नागपुर। मनपा में शिवसेना के नवनियुक्त पक्ष नेता व किशोर कुमेरिया ने महापौर प्रवीण दटके पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी प्रशासन पर ढीली पकड़ होने के कारण लगातार प्रशासन के अधिकारी गुमराह कर रहे है, इसलिए उन्हें अविलंब पद छोड़ देना चाहिए और गुमराह करने वाले निगम सचिव को भी बिना समय गवाए निलंबित कर दिया जाये. अन्यथा शिवसेना अपने शैली पर आंदोलन करेगी.
कुमेरिया के अनुसार 16 फ़रवरी को मनपा की आमसभा थी. शिवसेना के नगरसेवक द्वय अलका अजय दलाल और बंडू तलवेकर ने आमसभा शुरू होने के पूर्व महापौर से मुलाकात कर उन्हें जानकारी दी थी कि 12 फ़रवरी को शिवसेना ने मनपा में शिवसेना का सत्तापक्ष नेता बदल कर किशोर कुमेरिया को नियुक्त किया है. 16 फ़रवरी को विभागीय आयुक्त सरकारी कार्य से मुंबई में थे. डटके ने शिवसेना द्वारा भेजे गए पत्र प्राप्त होने की हामी भरी थी. हमने निवेदन देकर स्थाई समिति में शिवसेना की ओर से एकमात्र नाम देने की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी लेकिन महापौर ने शिवसेना प्रतिनिधि मंडल को झूठा आश्वासन देकर गुमराह कर दिया था.
आमसभा में उक्त मुद्दे संबंधी विषय आने पर जब महापौर ने अपना वादा नहीं निभाया तो अलका दलाल ने सार्वजनिक रूप से मुद्दा उठाया तो महापौर ने इस मुद्दे पर गंभीरता न दिखाकर प्रशासन से हस्तक्षेप करने को कहा तो निगम सचिव हरीश दुबे ने नियम का पहाड़ा पढ़ अपना पल्ला झड़क दिया. जबकि सच्चाई यह है कि मनपा में सेना के पक्ष नेता बंडू तलवेकर ही थे, उसके बाद किशोर कुमेरिया बनाये गए और जिन्होंने स्थाई समिति सदस्य का नाम भेजा वह नगरसेविका घरत को सेना ने कभी पक्ष नेता नहीं बनाया. लेकिन प्रशासन ने इसकी कभी पूछ-परख विभागीय आयुक्त कार्यालय से करने की बजाय अपने मन-मर्जी से घरत को सेना का पक्ष नेता बनाकर सत्तापक्ष और महापौर को गुमराह करते रहे. महापौर भी प्रशासन की हाँ में हाँ मिलाने में ही अपनी शान समझते रहे. इसलिए महापौर को मनपा प्रशासन पर कमजोर पकड़ होने के कारण इस्तीफा दे देना चाहिए.
इसके सत्ता ही निगम सचिव दुबे को मनपा प्रशासन और महापौर को गुमराह करने के लिए निलंबित करना चाहिए. मनपा प्रशासन से कुमेरिया ने मांग की कि जब तक सेना का उक्त मसला नहीं सुलझता तब तक स्थाई समिति अध्यक्ष का चुनाव रोकना चाहिए.