Published On : Wed, Feb 25th, 2015

वरूड : ”विदर्भ गर्जना यात्रा” का वरूड में भव्य स्वागत

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इसबार विदर्भ लेकर रहेंगे – वामनराव चपट

Vidarbha Garjana Yatra in warud  (1)
वरूड (अमरावती)। विदर्भ राज्य आंदोलन समिति की ओर से 15 फरवरी से 3 मार्च तक ”विदर्भ गर्जना यात्रा” निकाली गई है. 22 फरवरी को यात्रा तालुका में पहुंची. इस दौरान पृथक विदर्भ राज्य आंदोलन को शक्तिशाली बनाने के लिए विदर्भ राज्य आंदोलन समिति की ओर से पूर्व सांसद वामनरावजी चपट ने आवाहन किया.

पृथक विदर्भ राज्य के लिए लड़ाई काफी पुरानी है. अनेक पार्टियों ने चुनाव के दौरान विदर्भ का मुद्दा उठाकर विदर्भ के मतदारों से मत लिए. जिससे विदर्भ की जनता को निंद से जगाने के लिए विदर्भ राज्य आंदोलन समिति की ओर से 15 फरवरी से 3 मार्च तक ”विदर्भ गर्जना यात्रा” निकाली गई. इसकी शुरुवात गांधी पुतला, व्हेरायटी चौक, नागपुर और समापन मेला गड़चिरोली में होगा. यह करीब 2100 किमी दुरी की यात्रा है. यह यात्रा रविवार को तालुका में दाखिल हुई. इस दौरान तालुका के बेनोड, जरूड उसके बाद वरूड के महात्मा फुले चौक में सभा ली गई. स्वतंत्र विदर्भ राज्य आंदोलन को शक्तिशाली बनाने का आवाहन पूर्व सांसद वामनरावजी चपट ने किया.

इस दौरान पूर्व विधायक वामनराव चटप ने कहां कि नागपुर करार अंतर्गत 1956 मे विदर्भप्रत महाराष्ट्र में शामिल हुआ. बाद में विदर्भ पर अन्याय शुरू हुआ और विदर्भ पर अन्याय बढ़ता गया. नागपुर करार का पालन राज्य सरकार ने नही किया. जिससे सिंचाई उद्योगधंदा, रोजगार प्रादेशिक विकास आदि बातों का संचित कार्य बढ़ता गया. परिणामतः खेती, पानी, कोयला, कपास, बिजली, मॅग्नीज वनस्पति सभी प्रकार का कच्चामाल और उद्योगधंदा, रोजगार, विकास पश्चिम महाराष्ट्र में होने लगा. हम किसान आत्महत्या, कुपोषन, प्रदुषण से कैंसर, दमा जैसे दुर्घम बिमारिया, नक्सलवाद से ग्रस्त और परेशान हुए.

Vidarbha Garjana Yatra in warud  (2)
पृथक विदर्भ राज्य के लिए “विदर्भ लेंगे इसबार” इस आंदोलन में अधिक संख्या में शामिल होने का आवाहन सांसद चपट ने किया है. इस दौरान पूर्व विधायक वामनराव चटप, संजय कोल्हे, दिलीप भोयर, प्रमोद कुटे, दिलीप यावलकर, शिवहरी सावरकर, दिलीप लव्हले, बाबाराव माकोडे, विनायकराव देशमुख, रघुनाथ खुजे, धनपालसिंग चंदेल, विनय फरकाडे, देवेंद्र गोरडे, साहेबराव पाटिल, बाबाराव तडस, प्रकाश ठाकरे, रामचन्द्र पाटिल, सुनील पावड़े, अनिल वानखेडे, गजानन उपासे, बाबाराव क्षीरसागर, बालू केचे, जयाताई नेरकर, मेदाताई भाष्कर समेत आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे.