Published On : Tue, May 12th, 2020

लॉकडाउन के दौरान स्कूलों की ३ माह की फीस माफ़ की जाए – अग्रवाल  

NAGPUR: विदर्भ पेरेंट्स एसोसिएशन अध्यक्ष संदीप अग्रवाल ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को पत्र लिख के लॉकडाउन  के दौरान छात्रों की ३ माह की फीस माफ़ की जाये तथा शैक्षणिक वर्ष २०२० – २०२१ की स्कूलों की फीस में ५० % छूट दी जाए तथा पाठक्रम व स्कूल गणवेशो में इस वर्ष कोई भी बदलाव नहीं किया जाए। 

श्री अग्रवाल कहा की देश बहुत कठिन परिस्तिथि से गुजर रहा है। कोविद -१९ ने सभी की आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी है। लॉकडाउन के चलते देश के सभी परिवार आर्थिक नुकसान का सामना कर रहे है। इस दौरान अपने आप को और परिवार को इस महामारी से बचाने में हर नागरिक जदोजहद कर रहा है। तक़रीबन प्रदेश की सभी स्कूले १० मार्च से बंद पड़ी है और छात्र अपने घर पर ही पढ़ने के लिए मजबूर है। कई स्कूलों में परीक्षाएं भी नहीं हो पायी है अतः इस वर्ष मार्च से मई की फीस माफ़ की जाना आज की आवश्यकता है जिन पालको ने इन माह की फीस पहले ही भरदी थी उन्हें उसका क्रेडिट दिया जाए और वर्ष २०२० – २०२१ में उतना पैसा कम किया जाए।

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श्री अग्रवाल ने बताया की हाल ही में ऐसा देखने में आया है की कई CBSE स्कूलों ने फीस की मांग चालू करदी है जो पूरी तरह मानवता के खिलाफ व गैरवाजिब है स्कूल संचालको को शर्म आनी चाहिए की प्रति वर्ष फीस के करोडो रुपये डकारने के बाद भी इस तरह के संकट काल में गैर जवाबदारी बर्ताव कर रहे है कुछ स्कूलों द्वारा ऑनलाइन पढाई का ढोंग किया जा रहा है यह सब केवल फीस वसूल ने का बहाना है। श्री अग्रवाल ने मांग की इस वर्ष देश में कोई भी स्कूल अपना पाठ्यक्रम ना बदले बल्कि इस वर्ष किताबो का खर्च का बोझ भी पालको पर ना डाला जाए उनके अनुसार इस वर्ष जो भी उत्तीर्ण छात्र है उनसे पिछले वर्ष की पुस्तके मंगवाकर स्कूलों द्वारा उपलब्ध कराई जाए ताकि पालको को आर्थिक बोझ से बचाया जाए। पुराने समय में भी एक दूसरे की पुस्तके लेकर सभी पढ़ा करते थे। 

श्री अग्रवाल ने मांग की शैक्षणिक वर्ष २०२०-२०२१ में ५०% की रियायत दी जाए तथा लॉकडाउन के दौरान मार्च से मई तक की पूरी फीस माफ़ की जाए तथा जिन पालको ने इन माह की फीस भरदी है उन्हें उसका क्रेडिट दिया जाए। श्री अग्रवाल ने कहा की अगर सरकार ने इस पर तुरंत कार्यवाही नहीं की तो विदर्भा पेरेंट्स एसोसिएशन पालको को संगठित कर तीव्र आंदोलन करेगा। जरुरत पड़ने पर जनहित याचिका का भी सहारा लिया जायेगा।

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