Published On : Thu, Sep 6th, 2018

अधिसूचना जारी कर बताया गया है स्कूल बसों के लिए पार्किंग स्थल

Advertisement

नागपुर: सेंट्रल इंडिया पब्लिक स्कूल द्वारा संचालित लिटिल पर्ल कान्वेंट की बस में वीरथ की हुई दुर्घटना के संदर्भ में स्वयं संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने इसे जनहित के रूप में स्वीकार कर लिया. याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अति. सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने अदालत को बताया कि आदेश के अनुसार शहर में स्कूल बसों के पार्किंग को लेकर स्थल निश्चित किए गए हैं, जिन्हें लेकर नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है.

इस जानकारी के साथ तुरंत हलफनामा भी दायर किया जा रहा है, जिसके बाद न्यायाधीश भूषण धर्माधिकारी और न्यायाधीश मुरलीधर गिरटकर ने प्रतिवादियों को अपना पक्ष रखने और सरकार को भी हलफनामा दायर करने के लिए समय देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी. अदालत मित्र के रूप में अधि. फिरदौस मिर्जा ने पैरवी की.

Gold Rate
3 May 2025
Gold 24 KT 93,800/-
Gold 22 KT 87,200/-
Silver/Kg 94,500/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

RTO को दिए थे निर्देश
गत सुनवाई के दौरान अदालत मित्र फिरदौस मिर्जा का मानना था कि महाराष्ट्र मोटर वेहिकल रुल्स 2011 के तहत स्कूलों के शुरू होने और छूटने के समय आसपास होनेवाली बसों की भीड़ के कारण छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए बसों की पार्किंग की व्यवस्था करने का नियम हैं. लेकिन आरटीओ द्वारा इस संदर्भ में कुछ भी नहीं किया जा रहा है.

जिस अदालत ने धारा 6 के तहत कार्रवाई पूरी कर अदालत में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे. उनका मानना था कि बड़ी बसों के अलावा वैन से स्कूली बच्चो की आवाजाही होती है, जिनकी जांच करने के भी अदालत ने आदेश दिए थे. लेकिन वर्तमान में परीक्षाएं होने के कारण इस जांच से परेशानी खड़ी होने की संभावना आरटीओ द्वारा जताई गई है. अदालत मित्र का मानना था कि बड़ी बसों के अलावा 12 सीट से कम वहन क्षमतावाली छोटी बसों का भी उपयोग किया जा रहा है. लेकिन इस संदर्भ में अब तक कोई दिशानिर्देश नहीं है, जबकि ऐसी छोटे वाहनों को अनुमति नहीं है.

138 स्कूलों को बनाया प्रतिवादी
गत सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि कई स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास बस उपलब्ध नहीं है. ऐसे स्कूल अन्य संस्थान की बसों का सहारा ले रहे हैं. जिस पर अदालत ने इन स्थितियों का अध्ययन कर जानकारी अदालत के समक्ष रखने के आदेश अदालत मित्र को दिए. विशेषत: याचिका में 138 स्कूलों को प्रतिवादी बनाया गया था, जिसके बाद अदालत ने सभी को जवाब दायर करने के आदेश दिए थे. अदालत के आदेशों के बावजूद केवल 12 स्कूलों की ओर से अदालत में हलफनामा दायर किया गया.

Advertisement
Advertisement