Published On : Mon, Jun 1st, 2020

स्कूलों को ‘ कोरोना हब ‘ बनने से बचाएं – डॉ. डबली

Advertisement

– लॉक डॉउन बढ़ाना एकमात्र पर्याय
– ऑनलाइन शिक्षा बच्चों के सेहत के हित में नहीं

नागपुर: देश में चर्चा चल रही है कि लॉक डॉउन 5 लगेगा क्या? देश में बढ़ते मामलों को देख कर तो लगता है लॉक डॉउन बढ़ाया जाएगा। नागपुर शहर की बात करे तो शहर में 10 मनपा जोन में से 9 जोन कोरोना महामारी से संक्रमित है । ऐसे में बाहर से आने वाले लोगों में अब कोरोना का संक्रमण सामने आ रहा है। मुंबई – पुणे जैसे अन्य शहरों से आ रहे लोग कैरियर बन रहे हैं। ऐसे में इन लोगों से समाज में होने वाले फैलाओ को यदि रोकना है, तो लॉक डाउन व कंटेनमेंट जोन के नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। यह बात डॉ. प्रवीण डबली ने कहीं।

Gold Rate
15 May 2025
Gold 24 KT 92,100/-
Gold 22 KT 85,700/-
Silver/Kg 94,800/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

उन्होंने कहा कि आज की स्थिति देखे तो आज भी नागपुर में नए पेशंट मिल रहे है। इससे शहर में नए कंटेनमेंट जोन बन रहे है। लॉक डॉउन में नियमों में ढील देना भी आवश्यक है, लेकिन यह शहर के हर नागरिक की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह प्रशासन द्वारा दिए गए नियमों का पालन करें। वास्तव में यह देखा गया है कि लोग बेखौफ होकर सड़कों पर विचरण कर रहे हैं । उन्हें यह लगता है कि हमें क्या होगा? हम स्ट्रांग है। लेकिन इनकी इसी भूल का खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ता है, जो लोग नियमों का पालन कर रहे हैं। इसलिए यदि प्रशासन ढील देता भी है तो समाज – व्यक्ति और शहर के हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह प्रशासन के साथ चलें। वह अपने शहर को कोरोना मुक्त शहर बनाने में मदद करें ।

कुछ दुकानों को खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए, लेकिन उसे समय व नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी भी उसी दुकानदार की होनी चाहिए। उसे गार्ड वह स्वयंसेवकों की व्यवस्था अपनी दुकान पर रखनी चाहिए। अब आप कहेंगे कि छोटे दुकानदार यह व्यवस्था कैसे कर पाएंगे? लेकिन ऐसा बोलकर हम आने वाली मुसीबत को नहीं टाल सकते हैं । इसलिए सजगता ही हमारा सबसे बड़ा कोरोना के विरुद्ध हथियार है ।

स्कूल खोलने के संबंध में उन्होंने कहा कि इस समय स्कूलों में वैसे भी गर्मी की छुट्टियों का समय है, इसलिए स्कूल प्रशासन भी स्कूल को खोलने की जल्दी ना करें। क्योंकि हर स्कूल में 5 से 6 हजार बच्चे पढ़ते हैं। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग रखना संभव नहीं है । स्कूलों में यदि आधे वर्ष का अभ्यासक्रम रद्द कर भी दिया जाए तो विशेष फर्क नहीं पड़ता है । वैसे भी हमारी १ ली से १० वी तक की शिक्षा परिस्थितियों को लेकर में नहीं खाती है। उसमे बदलाव व स्किल आधारित शिक्षा होनी चाहिए। बच्चों को दिवाली के पश्चात ही स्कूलों में बुलाया जाना चाहिए। ताकि पालकगन निश्चिंत होकर अपने बच्चों को स्कूल भेज सकेंगे। स्कूलों को भी अधिक व्यवस्था नहीं करनी पड़ेगी। वर्ना स्कूल कोरोंना का हब बन जायेंगे। ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था सभी के लिए योग्य नहीं है, क्योंकि इसमें तकनीक व डाटा पैक हर छात्र के पास उपलब्ध होगा ऐसा नहीं है। दूसरा इससे नुकसान भी है ।

हम बच्चों को मोबाइल से दूर रखने की शिक्षा देते हैं और अब शिक्षा के लिए ही बच्चों के हाथ में मोबाइल थमा रहे हैं । यह कहां तक उचित होगा। इस पर डॉक्टर खुद अपना मत प्रदर्शित कर चुके हैं कि मोबाइल का उपयोग बच्चों के लिए हानिकारक है। लॉक डाउन से हमारे सामने अनेक प्रश्न उपस्थित हुए हैं। उसके समाधान के पश्चात ही हमें आगे की रणनीति बनानी चाहिए। वरना अब तक का लॉक डाउन अर्थ हिन हो जाएगा।

Advertisement
Advertisement
Advertisement