Published On : Sat, May 12th, 2018

आरटीई योजना के उद्देश्यों से खिलवाड़ कर रहा ‘संदीपनी’

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नागपुर: आरटीई से हो रहे आर्थिक नुकसान से बचने के लिए शहर की कई शैक्षणिक संस्थानों ने नायब तरीका ढूंढ, आरटीई के तहत अध्ययनरत बच्चों को शिक्षा से वंचित रखने का प्रयास कर रहा है. इनमें से कई पालक शुल्क देकर अपने बच्चों को उसी स्कूल में कायम रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. लेकिन कई प्रबंधन आनाकानी कर रहे हैं. इनमें संदीपनी स्कूल प्रबंधन अग्रणी है. इस मामले में स्कूल प्रबंधन का साथ देते हुए जिलापरिषद और राज्य शिक्षण विभाग हाथ खड़े कर रहा है.

त्रस्त पालकों के अनुसार सिविल लाइंस में संदीपनी स्कूल है, जहां पहली से चौथी तक पढ़ाई होती है. यहां चौथी पास विद्यार्थियों को संदीपनी के हज़ारी पहाड़ की शाखा में आगे की पढाई हेतु प्रवेश दिया जाता है. वर्ष २०१५ तक सिविल लाइंस के संदीपनी के आरटीई के तहत अध्ययनरत विद्यार्थियों को भी हजारी पहाड़ शाखा में प्रवेश दिया जाता है.

आरटीई से हो रहे प्रति विद्यार्थी नुकसान से बचने के लिए वर्ष २०१६ में स्कूल प्रबंधन ने हज़ारी पहाड़ शाखा का अलग पंजीयन करवा लिया और सिविल लाइंस की शाखा में अध्ययनरत आरटीई के विद्यार्थियों के प्रवेश पर बंदी ला दी. सिविल लाइंस की संदीपनी की शाखा का पुराना ही पंजीयन रखा गया है. आरटीई के तहत सिविल लाइंस में अध्ययनरत या चौथी पास विद्यार्थियों के पालकों द्वारा वजह पूछने पर जानकारी दी गई कि दोनों स्कूल का पंजीयन अलग-अलग हो गया है.

जानकारी मिली है कि हज़ारी पहाड़ शाखा में आरटीई के तहत प्रवेश लिया जा रहा है.
उल्लेखनीय यह है कि सिविल लाइंस की शाखा से ५२ विद्यार्थियों ने चौथी पास की. सभी ने आरटीई के तहत अब तक शिक्षा ग्रहण की, इनमें से कुछ ने हज़ारी पहाड़ की शाखा में पांचवी में प्रवेश के लिए आवेदन किए.

प्रबंधन ने उक्त विद्यार्थियों के पालकों को २ से १० मई के मध्य हज़ारी पहाड़ की शाखा में प्रवेश कराने की जानकारी दी. जब पालक वर्ग अपने बच्चों के प्रवेश हेतु हज़ारी पहाड़ शाखा पहुंचे तो प्राचार्य ने प्रवेश देने से मना कर दिया. सिविल लाइंस की शाखा में आरटीई के तहत चौथी पास विद्यार्थियों को हज़ारी पहाड़ में आरटीई के तहत प्रवेश तो दी नहीं जा रही, साथ ही जिन पालकों ने पूर्ण शुल्क देकर प्रवेश देने की मांग की तो उन्हें भी खाली हाथ लौटा दिया.

प्रबंधन का तर्क यह है कि हज़ारी पहाड़ की शाखा में पांचवी में प्रवेश के लिए ५४००० वार्षिक शुल्क व १५००० आवाजाही के लिए वाहन खर्च देते हैं. यह खर्च डूब न जाये इसलिए सिविल लाइंस की शाखा के चौथी पास विधार्थियों से नहीं मिलेगी. और अगर सिविल लाइंस वाले चौथी पास आरटीई के विद्यार्थियों को पूर्ण शुल्क की शर्त पर प्रवेश दे भी दिए और भविष्य में किसी पालक ने प्रबंधन के इस नित को न्यायालय में चुनौती दी तो उन्हें वसूले गए पूर्ण शुल्क लौटानी पड़ सकती हैं, साथ में प्रबंधन की बदनामी अलग हो जाएंगी.

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की तिलांजलि
सरकार ‘बेटी बचाव,बेटी पढ़ाओ’ अभियान काफी गाजे-बाजे से प्रचारित कर अपने सकारात्मक सोच को प्रदर्शित कर रहे हैं. इधर संदीपनी हज़ारी पहाड़ शाखा में सिविल लाइंस शाखा से चौथी पास दर्जनभर विद्यार्थी प्रयासरत हैं जो अपने भविष्य पर मंडराता खतरा देख सकते में आ गए हैं और संदीपनी प्रबंधन अपने आर्थिक उत्थान के लिए ‘बेटी बचाव, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की तिलांजलि दे रहा है.