नागपुर टुडे
भाजपा के पूर्व सांसद दत्ता मेघे के छोटे सुपुत्र समीर मेघे ने राजनैतिक सफर की धमाकेदार शुरुआत करते हुए हिंगना विधान सभा क्षेत्र से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा और मजबूती के साथ विरोधी दिग्गज एनसीपी लीडर व मंत्री रमेश बंग को लम्बी मार्जिन से हरा दिया। समीर को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए पार्टी के भीतर सह बाहर काफी प्रयास हुए.अंततः भाजपा नेता नितिन गडकरी ने हिंगना के भाजपा विधायक को पुनः उम्मीदवारी न देकर उनकी जगह समीर को उतारा।
चुनाव के ११वे घंटे में न चाहते हुए समीर ने उम्मीदवारी स्वीकारी और हिंगणा विस के उत्तर भारतीय बहुल इलाके में उत्तर भारतीय नेताओं को लेकर धुँआधार जनसम्पर्क सह प्रचार-प्रसार किया।जिसका नतीजा यह हुआ कि मतगणना पूर्व समीर समर्थकों ने दीपावली मनानी शुरू कर दी.समीर की जीत में राजीव नगर,बुट्टीबोरी जैसे सघन उत्तर भारतीय बहुल इलाके का योगदान को नाकारा नहीं जा है,उत्तर भारतीय बहुल इलाके का मोर्चा अरुण कुमार सिंह,बबलू गौतम,मुकेश सिंह आदि ने सँभाले रखा,जिसका नतीजा अबतक इन्ही मतदाताओं के भरोसे विधानसभा पहुँचने वाले एनसीपी नेता रमेश बंग को लगातार भाजपा ने विधायक बनने से रोक दिया।
उल्लेखनीय यह है कि समीर की हिंगणा से उम्मीदवारी सार्वजानिक होते ही जिले सह वर्धा से उसके समर्थको ने हिंगणा विस क्षेत्र के कोने-कोने में डेरा डाल लिया।वही रमेश बंग समर्थक हिंदी भाषी का राग अलाप मतदाताओं को गुमराह करते रहे और खुद के खिलाफ विरोध का वातावरण निर्माण करते रहे.वही हिंगणा और बुट्टीबोरी इंड्रस्ट्रिअल क्षेत्र की राजनीति में लिप्त हिन्दी भाषी नेताओं ने खुद को एकता में खुद को पिरो कर समीर को विधानसभा की सदस्यता दिलवाने में अहम भूमिका निभाई।
सम्पूर्ण जिले में आम धरना थी कि समीर बनाम बंग की लड़ाई में बंग जीत जायेगा,लेकिन सभी को गलत साबित करते हुए समीर ने भाजपा को भी “सरप्राइज विनर” बन तोहफा दिया।
द्वारा:-राजीव रंजन कुशवाहा