नागपुर : नागपुर जिले के सभी 12 विधान सभा सीटों में से कांग्रेस को 11 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा है। हालांकि सावनेर विधान सभा से सुनील केदार ने अपनी सीट लंबे अंतर से जीत कर जिले में कांग्रेस को चारों खाने चित होने से बचा लिया। इस जीत के पीछे सबसे बड़ी वजह यह थी कि केदार ने ज्यादा से ज्यादा समय अपने क्षेत्र को दिया। साल के 365 में से 330 दिन वे अपने विधानसभा क्षेत्र में किन्ही न किन्ही कारणों से नज़र आते हैं। इस वजह से वे अपने क्षेत्र के नागरिकों से सीधे संपर्क में रहते थे
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारी पुनः सुनील केदार को देने पर आवेदन के अंतिम समय तक विरोध चलता रहा। जब केदार ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर ली तो अचानक कांग्रेसी दिग्गज ने उम्मीदवारी देने का ठोस आश्वासन दिया। किस्मत इतनी बुलंदी पर रही कि प्रमुख भाजपा प्रतिद्वंद्वी सोनबा मुसले का आवेदन तकनीकी कारणों से रद्द हो गया। विरोधियों ने इसका सारा ठीकरा केदार पर फोड़ा और शुरू कर माहौल नकारात्मक बनाना शुरू कर दिया था। इसको लगातार पाटते हुए 5 दिन तक अपने विधानसभा क्षेत्र में उत्तर भारत के दिग्गज बाहुबली नेता डॉ मुन्ना शुक्ला को घुमाते रहे और पूर्व केंद्रीय मंत्री कामनाथ का एक ही दिन में 3 सभा कर नकारात्मक माहौल को सकारात्मक करने में कामयाबी हासिल की, जिसका नतीजा 9209 से अधिक के अंतर से जीत दर्ज करने में सफलता हासिल की। इस जीत में “मुन्ना बाबू और कमल बाबू” की मेहनत को नकारा नहीं जा सकता है। दोनों ही दिग्गज जनप्रतिनिधियों का सावनेर विस में अपना खुद का वोट बैंक है.
संभावना व्यक्त की जा रही है कि केदार के आवेदन भरने और चुनाव प्रचारार्थ अंतिम रैली की भीड़ से अधिक जीत की बढ़त होनी चाहिए थी. यानि 20000 से अधिक की मार्जिन संभावित थी लेकिन कलमेश्वर में लगभग 7000 मतों का नुकसान हुआ लेकिन उत्तर भारतीय मतदाताओ के झुकाव ने उनका मनोबल ऊँचा रखा।
द्वारा:-राजीव रंजन कुशवाहा
