Published On : Sat, Nov 11th, 2017

साई बाबा की पादुका भ्रमण विवाद को जल्द सुलझा लेने का दावा


नागपुर: विश्व भर के करोड़ों लोगो के श्रद्धास्थान साई बाबा की मूल पादुका के भ्रमण को लेकर उठे विवाद के सुलझने का दावा साई मंदिर के अध्यक्ष सुरेश हावरे ने किया है। साईबाबा के समाधी की शताब्दी के निमित बाबा की पादुका को देश विदेश में भ्रमण कराने का कार्यक्रम बनाया गया है। इसी कार्यक्रम के दौरान कुछ स्थानों पर पादुका गई भी, लेकिन पादुका के भ्रमण को लेकर शिरडी के कुछ ग्रामीणो ने अपना विरोध दर्ज कराया है।

इन लोगो का कहना है की शिर्डी से बाबा की पादुका को कही ले जाने की वजह से मंदिर का महत्त्व कम होगा साथ ही यहाँ आने वाले भक्तों में भी कमी होगी। विरोध के बाद ईश्वर चिट्ठी ने पादुका को बाहर ले जाया जाये या शिर्डी में ही रखा जाए इसका फैसला लिया गया। चिट्टी में फैसला पादुका को मंदिर में ही रखने का फैसला निकला। लेकिन मंदिर संस्थान के अध्यक्ष सुरेश हावरे के अनुसार इसी मुद्दे पर आगामी हफ़्ते में बैठक होगी जिसमे इस मुद्दे पर अंतिम फैसला होगा। पादुका भ्रमण का निर्णय ग्रामपंचायत और ग्रामीणों ने बातचीत के दौरान लिया जायेगा।उन्होंने यह भी बताया की पादुका का भ्रमण यह ग्रामीणों की ही माँग थी जो लोग इसका विरोध कर रहे है उनकी संख्या कम है। भ्रमण के दौरान पादुका की पवित्रता और सुरक्षा की जिम्मेदारी संस्थान की होती है।

संस्थान द्वारा पादुका दर्शन समारोह का आयोजन
बाबा की समाधी को 100 वर्ष पुरे होने के उपलक्ष्य में संस्थान द्वारा पादुका दर्शन समारोह का आयोजन किया गया है। जिसका मकसद बाबा के भक्तों को उनकी पवित्र पादुका का दर्शन कराना। आयोजन का स्वरुप तय किया तय किया चुका है। इसके साथ ही साईरथ का निर्माण किया गया है। 50 देशो के अलावा भारत के विभिन्न प्रांतो में बाबा की पादुका ले जाने का कार्यक्रम तय किया जा चुका है।

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पादुका भ्रमण पर उठा विवाद राजनीतिक
पादुका दर्शन समारोह के अंतर्गत 18 जनवरी 2018 को बाबा की पादुका के नागपुर पहुँचने का कार्यक्रम सुनिश्चित है। जिसे भक्तो के दर्शनों के लिए वर्धा रोड स्थित साई मंदिर में रखा जायेगा। नागपुर स्थित साई मंदिर के सचिव अविनाश शेगांवकर ने पादुका भ्रमण को लेकर उठे विवाद को राजनीतिक बताया है। उनका कहना है इससे शिर्डी न पहुँचने वाले भक्तो को भी बाबा की पादुका के दर्शन मिलेंगे। इस आयोजन के बाद पादुका शिर्डी में ही रहेंगे। अगर कुछ दिन पादुका भ्रमण पर हो तो उससे मंदिर का महत्त्व कम नहीं होता। बाबा सबके है सबको उनके दर्शन का लाभ प्राप्त होना चाहिए। बाबा द्वारा इस्तेमाल की गयी पादुका इससे पहले दो बार 16 दिसंबर 1976 को मंदिर के भूमिपूजन और 3 दिसंबर 1979 को मूर्ति की स्थापना के समय नागपुर आ चुकी है। आगामी 18 जनवरी को तीसरी बार पादुका नागपुर पहुँचेगी।

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