Published On : Sat, Jan 19th, 2019

आरटीई की शिकायतों पर शिक्षामंत्री के आदेशों की अवहेलना

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फिर पैदा होंगी एडमिशन में पेचीदगियां

नागपुर: कई वर्षों से आरटीई के अंतर्गत विद्यार्थियों को एडमिशन में काफी परेशानी हो रही है. जिस पर पिछले वर्ष शिक्षामंत्री की अधिकारियों के साथ बैठक भी हुई थी. इस दौरान कई शिकायतों पर निर्णय भी लिए गए थे और जिला परिषद के शिक्षाधिकारी को आदेश भी दिए गए थे. लेकिन इतने महीने बीत जाने के बाद भी इन निर्णयों पर किसी भी तरह का कोई अमल नहीं किया गया है. जिसके कारण इस वर्ष भी विद्यार्थियों को एडमिशन लेने में काफी कठिनाइयां होने की नौबत आने के हालात बनते जा रहे हैं.

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आरटीई एक्शन कमेटी के चेयरमैन मो. शाहिद शरीफ ने कहा कि नियम के अनुसार सबसे पहले किलोमीटर में रहनेवाले विद्यार्थियों को एडमिशन दिया जाना चाहिए, लेकिन यह देखा गया है कि इससे ज्यादा के अंतर के विद्यार्थियों को एडमिशन दिए जा रहे हैं. नियम के तहत एक किलोमीटर वाले विद्यार्थियों को पहली प्राथमिकता देनी चाहिए. एडमिशन के दौरान समय का कहीं उल्लेख नहीं किया जा रहा है. एनआईसी का मुद्दा अगर सॉल्व नहीं हुआ तो पूरी प्रक्रिया गड़बड़ होगी. आरटीई में समस्याओं को लेकर बैठक ली गई थी. लेकिन जब बैठक के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ तो यह प्रक्रिया क्यों की जा रही है. सरकार ने कहा है कि अगर सीटें खाली जाएंगी तो 3 से ज्यादा किलोमीटर के बच्चों का एडमिशन होगा. जब जीआर निकाला तो उसका पालन होना चाहिए . जिन स्कूलों में एक किलोमीटर के विद्यार्थियों को एडमिशन नहीं मिल रहा वहां पर 3 किलोमीटर से ज्यादा के डिस्टेंस के विद्यार्थियों एडमिशन दे रहे हैं.

आरटीई में हो रही समस्याओं को लेकर पिछले वर्ष के विधानसभा के दौरान शिक्षामंत्री विनोद तावडे की अध्यक्षता में 19 जुलाई 2018 को मॉरेस कॉलेज में बैठक हुई थी. जिसमें आरटीई एक्शन कमेटी की ओर से आरटीई के एडमिशन से जुड़े मुद्दों को रखा गया था और उसे मान्य भी किया गया था. लेकिन अब तक इन निर्णयों पर किसी भी तरह का अमल नहीं हो सका है. इस बैठक में महाराष्ट्र राज्य के प्राथमिक शिक्षा संचालक सुनील चव्हाण, शिक्षा सहसंचालक दिनकर टेमकर, शिक्षा आयुक्तालय के सहसंचालक र.वी.गोधने, नागपुर के प्राथमिक शिक्षणाधिकारी चिंतामन वंजारी, मुंबई मंत्रालय शालेय शिक्षा व क्रीड़ा विभाग के अवर सचिव संतोष गायकवाड़, मनपा के शिक्षा विभाग की प्रीति वेडीवार और आरटीई एक्शन कमेटी के चेयरमैन मोहम्मद शाहिद शरीफ मौजूद थे.

इस समय आरटीई एक्शन कमेटी के चेयरमैन मो.शाहिद शरीफ ने बैठक में बताया था कि आरटीई में 25 प्रतिशत अंतर्गत ऑनलाइन पोर्टल द्वारा 3 किलोमीटर से ज्यादा डिस्टेंस के विद्यार्थियों को प्रवेश मिलने के बाद भी स्कूलों ने एडमिशन नहीं दिया है. इस पर यह निर्णय लिया गया था कि कौन से स्कूलों ने एडमिशन देने से इंकार किया है. ऐसी स्कूलों की जानकारी लेने का आदेश जिला परिषद् के प्राथमिक शिक्षणाधिकारी को दिया और विद्यार्थियों को नियमानुसार एडमिशन देने के लिए कहा गया था. इसके बाद दूसरी शिकायत में पहली क्लास में विद्यार्थियों के प्रवेश नकारना, बैंक द्वारा सील की गई स्कूल में प्रवेश मिलना और आरटीई के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन के बाद भी स्कूल का नहीं होना. ऐसे विद्यार्थियों को भी एडमिशन देने की शिकायत की गई थी. जिस पर बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि बैंक द्वारा सील किए गए स्कूल के साथ ही स्कूल नहीं होने पर भी एडमिशन दिए जाने पर विद्यार्थियों को दूसरी स्कूलों में एडमिशन देने के आदेश दिए गए थे.

आरटीई के अंतर्गत एडमिशन पानेवाले विद्यार्थियों को शिक्षणाधिकारी द्वारा प्रवेश पत्र पर शिक्षा का अधिकार के तहत क्लास आठवीं तक शिक्षा का अधिकार ऐसा उल्लेख करने की बात कही गई थी. जिस पर यह निर्णय लिया गया था की ऑनलाइन प्रवेशपत्र में क्लास आठवीं तक मुफ्त शिक्षा दी जाए ऐसा उल्लेख करने के लिए कहा गया था.

राज्य सलाहकार समिति की मुद्दत समाप्त होने के कारण समिति पर अशासकीय सदस्यों को फिर से नियुक्त करने की मांग की गई. इस पर मंत्री ने यह आदेश दिया था कि समिति में नए सदस्यों की नियुक्ति की जाए. आरटीई में प्रवेश लेनेवाले विद्यार्थियों को मुफ्त में ड्रेस और किताबें देने की मांग की गई थी. इस पर यह निर्णय लिया गया था कि शिक्षणाधिकारी ऐसी स्कूलों को हिदायत दें कि मुफ्त किताबें और ड्रेस मिल सके.

मुंबई शहर के इनकम की मर्यादा 2. 50 लाख की जाए. इस पर निर्णय लेने की बात भी कही गई थी. बैठक में यह भी कहा गया था कि आरटीई के अंतर्गत स्कूलों को शैक्षणिक शुल्क नहीं मिलने की वजह से वे पालकों से फ़ीस मांग रहे हैं. इस पर शिक्षणाधिकारी को यह निर्देश दिया गया था कि स्कूलों को शैक्षणिक शुल्क प्रतिपूर्ति की बाकी रकम देने की कार्रवाई जल्द की जाएऔर 7 दिनों में रिपोर्ट सरकार के पास भेजी जाए.

इसमें आखरी शिकायत थी कि क्लास पहली से लेकर चौथी तक की स्कूलों में विद्यार्थियों को आरटीई के अंतर्गत पांचवीं में प्रवेश दिए जाएं. इस शिकायत पर भी निर्णय लेने की बात कही गई थी.

इस बारे में आरटीई एक्शन कमेटी के चेयरमैन मो. शाहिद शरीफ ने बताया कि एनआईसी द्वारा लापरवाही की गई है. अब तक इनमें से किसी भी शिकायत के अमल पर निर्णय नहीं हो पाया है. जिसके कारण इस वर्ष भी आरटीई के अंतर्गत एडमिशन मिलने में पालकों को परेशानी होनेवाली है. इस सारी प्रक्रिया में एनआईसी पर ही सवालियां निशान लग रहे हैं.

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