Published On : Sat, Feb 17th, 2018

स्कूल बदलने पर नहीं मिलेगा आरटीई का लाभ, 151 से ज्यादा स्कूल है केवल चौथी तक

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RTE, Nagpur

नागपुर: आरटीई अंतर्गत इस सत्र 2018-19 में जिले में 6 हजार 993 सीटें भरी जाएंगी . लेकिन हजारों ऐसे विद्यार्थी हैं जो चौथी क्लास के बाद आरटीई की सुविधा से वंचित रह जाएंगे. जिन स्कूलों में केवल चौथी तक ही क्लास है उन विद्यार्थियों को काफी नुकसान होगा क्योंकि स्कूल बदलने पर आरटीई का लाभ समाप्त हो जाएगा . पालक चौथी के बाद अपने बच्चों का एडमिशन जब दूसरी स्कूलों में करेंगे तो वहां उन्हें आरटीई का लाभ नहीं मिलेगा . जबकि आरटीई के तहत बच्चों को 8वी क्लास तक मुफ्त शिक्षा मिलती है. आरटीई के अंतर्गत 25 प्रतिशत इंग्लिश मीडियम स्कूलो में सीटे आरक्षित रखी जाती है. शिक्षा के अधिकार के तहत अगर किसी स्कूल में केवल चौथी तक ही क्लास होती है तो आरटीई का लाभ विद्यार्थियों को चौथी तक ही मिलेगा.

उसके बाद उसे इस कानून का लाभ नहीं मिलेगा. 10 फरवरी से आरटीई रजिस्ट्रेशन की शुरुआत हो चुकी है. आरटीई के अंतर्गत 663 स्कूलों ने शिक्षा विभाग में रजिस्ट्रेशन कराया है. 151 स्कूल ऐसी हैं, जहां केवल चार कक्षाएं हैं . जबकि कई स्कुले ऐसी भी हैं जहां पर पहली से लेकर सातवीं कक्षा तक ही क्लास है. अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब चौथी क्लास तक और सातवीं क्लास तक ही स्कूल है तो ऐसी स्कूलों को आरटीई में प्रवेश के अधिकार क्यों दिए गए हैं.

इस बारे में आरटीई एक्शन कमेटी के चैयरमेन मोहम्मद शाहिद शरीफ ने जानकारी देते हुए बताया कि आयोग को पत्र भेज दिया गया है. आयोग ने कमेटी को बताया कि वे सरकार को निर्देश देंगे कि आरटीई के तहत ऐसी स्कूलों को शामिल न करें जो पहली से लेकर आठवीं तक न हों. एक चौथाई स्कूल पहली से लेकर चौथी तक ही है. आर्टिकल 12/1/C के अनुसार 6 से 14 वर्षों तक बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए . इनकी शिक्षा की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार की रहती है.

शिक्षा के कानून के तहत विद्यार्थियों के घर से 3 किलोमीटर के दायरे में स्कूल होनी चाहिए . लेकिन अगर 3 किलोमीटर के दायरे में पहली से लेकर चौथी क्लास तक ही स्कूल है तो शिक्षा का अधिकार गरीब बच्चों को कैसे मिलेगा.शरीफ ने कहा कि पहली से लेकर चौथी तक तो ठीक है लेकिन पांचवी से लेकर आठवीं तक बच्चों को शिक्षा देने का काम सरकार का है.अगर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो चौथी के बाद से हजारों गरीब तबके के बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे. इस बारे में जिला परिषद के प्राथमिक शिक्षणाधिकारी दीपेंद्र लोखंडे से संपर्क किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया .