Published On : Wed, Sep 6th, 2017

चंद्रपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंजीयन का दावा

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नागपुर:
संघ की कार्यशैली का परिचय देनेवाली पुस्तक ‘बिंदू सार’ की प्रस्तावना सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी ने लिखी है। संगठनात्मक संविधान के संबंध में पुस्तक में साफ तौर से लिखा गया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संविधान के आधार पर चलनेवाला संगठन नहीं है। यह केवल एक परिवार है जो विश्वास, समर्पण व त्याग की भावना के साथ चलता है। संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं कि इंग्लैंड की न्यायपालिका लिखित संविधान के आधार पर नहीं चलती है। संघ के साथ भी वैसी ही स्थिति है। हालांकि संघ से जुड़े विविध संगठनों के पंजीयन हैं।

संघ के संगठनात्मक पंजीयन के बारे में संघ पदाधिकारी खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं। लेकिन यह अवश्य बताते हैं कि संघ का संगठनात्मक संविधान चोरी हुआ था। 1925 में संघ ने स्थापना के साथ ही संगठनात्मक संविधान तैयार किया था, लेकिन संगठनात्मक पंजीयन नहीं कराया जा सका। 1947 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संघ पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी की थी। संघ के साथ सरकार का संबंध ठीक नहीं था। 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगाया गया। वह प्रतिबंध 12 सितंबर 1949 तक था। उस दौरान सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर जेल में थे। कानूनी प्रक्रिया के तहत गोलवलकर गुरुजी ने तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को संघ का संगठनात्मक संविधान दिया था। उसमें भी कहा गया था कि संघ का लिखित संविधान चोरी हो गया है। उसके जो अंश याद हैं, उसके आधार पर नया संविधान प्रारूप तैयार किया गया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठनात्मक पंजीयन के मामले में नया दावा सामने आया है। दरअसल, यह दावा तब सामने आया, जब एक संगठन ने नागपुर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नाम से पंजीयन करवाने के लिए आवेदन दिया। इस आवेदन पर सार्वजनिक न्यास पंजीयन कार्यालय ने 8 सितंबर को सुनवाई रखी थी। इस पर आपत्ति लेते हुए सामाजिक कार्यकर्ता व अधिवक्ता राजेंद्र गुंडलवार मंगलवार को सार्वजनिक न्यास पंजीयन कार्यालय, नागपुर में पंजीयन से जुड़ी जानकारी लेकर पहुंचे। उन्होंने दावा किया राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नाम से चंद्रपुर में इसका पंजीयन पहले ही हो चुका है, इसलिए नया पंजीयन न किया जाए।

संघ के पंजीयन को लेकर कांग्रेस व अन्य संगठन समय-समय पर सवाल उठाते रहे हैं। संघ की स्थापना के 92 वर्ष बाद अब पंजीयन को लेकर बात सामने आई है। यदि दावे पर यकीन करें तो संघ कार्यालय का पंजीकृत पता नागपुर नहीं, अपितु चंद्रपुर का है। गुंडलवार के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पंजीयन क्रमांक एमएच 08-डी 0018394 है। डिजिट कोड 94910 है। यह पंजीयन भारत सरकार ने अधिनियम 1860 व सोसायटी रजिस्ट्रेशन नियम 1950 के तहत जारी किया है। गुंडलवार स्वयं को आपत्ति व्यवस्थापन मामलों के विशेषज्ञ बताते हैं। उन्हाेंने पंजीयन के संबंध में संघ पदाधिकारियों से चर्चा की है।

संस्था का पंजीयन करें या नहीं, यह धर्मादाय आयुक्त का अधिकार : संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंजीयन का संबंध धर्मादाय आयुक्तालय (सार्वजनिक न्यास पंजीयन कार्यालय) से नहीं है। संघ धार्मिक संस्था नहीं हैं। अधिनियम 21 के तहत मंजूरी मिलती है। धर्मदाय आयुक्तालय के अंतर्गत पंजीबद्ध संस्थाओं को 6 श्रेणी में बांटा गया है। ‘ए’ में हिंदू मंदिर ‘व’ धार्मिक संस्था, ‘बी’ में मुस्लिम, मदरसे, ‘सी’ में क्रिश्चियन चर्चेस, ‘डी’ बौद्धिस्ट, ‘ई’ पारसी व ‘एफ’ श्रेणी में खेल, स्वास्थ्य व सार्वजनिक उपयोग से संबंधित संस्थाओं का समावेश रहता है।

संघ विचारों के साथ काम कर रहे राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के सहसंयोजक विराग पाचपोर के अनुसार, संघ के लिए पंजीयन का विषय अधिक महत् नहीं रखता है। समाज के विविध क्षेत्रों में संघ के कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। संघ के नाम पर किसी तरह का आर्थिक लाभ नहीं लिया जाता है। संघ के कार्यक्रमों में प्रायोजक भी नहीं होते हैं। दान नहीं लिया जाता है। संघ विचारक व लेखक दिलीप देवधर कहते हैं कि दिग्विजयसिंह, जनार्दन मून जैसे कार्यकर्ता मल्टी कम्युनल हैं। दिग्विजय ने भी संघ के नाम पर नये संगठन के पंजीयन का प्रयास किया था। संघ के नाम पर संगठन पंजीयन का उद्देश्य वे ही जानें। संघ परिवार के 1.50 लाख सेवा प्रकल्प चल रहे हैं। िवविध संस्थाओं का पंजीयन है। नई संस्था का पंजीयन कराने का अधिकार धर्मादाय आयुक्त को है।

पूर्व नगरसेवक जनार्दन मून ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम पर संगठन पंजीयन का आवेदन सार्वजनिक न्यास पंजीयन कार्यालय नागपुर में दिया है। मून के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम पर फिलहाल कोई संस्था पंजीबद्ध नहीं है। इसलिए उनकी संस्था का पंजीयन संघ के नाम से किया जाये। संगठन के पदाधिकारियों में मुस्लिम प्रतिनिधि भी रखने का दावा किया गया है। मून के आवेदन पर 8 सितंबर को सुनवाई थी। इस मामले में संघ के प्रवक्ता मनमोहन वैद्य ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम पर नये संगठन को पंजीबद्ध करना धर्मादाय आयुक्त का अधिकार है। इस मामले पर अधिक और कुछ नहीं कहा जा सकता है।