Published On : Wed, Jun 22nd, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

जिप लोकनिर्माण विभाग में धांधली

Advertisement

– टेंडर की बजाय कामों के टुकड़े-टुकड़े कर कोटेशन या लॉटरी पद्धत से ठेकेदारों को खुश करने की कवायत

नागपुर – नियमों को कैसे लचीला बनाना है, इस बात से अधिकारी और ठेकेदार अच्छी तरह वाकिफ हैं. सरकारी महकमे में कुछ भी हो सकता है अगर वो ठान लें तो। चूंकि 10 लाख से ऊपर के कार्यों के लिए निविदा अनिवार्य है, इसलिए जिला परिषद के लोक निर्माण विभाग के माध्यम से केवल 8 लाख कार्यों का प्रस्ताव तैयार कर उसके टुकड़े-टुकड़े कर सभी संबंधितों में वितरित जा रहा है।

Today’s Rate
Thursday 03 Oct. 2024
Gold 24 KT 76,100 /-
Gold 22 KT 70,800 /-
Silver / Kg 92,000/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

नागपुर जिला परिषद का निर्माण विभाग टेंडर प्रक्रिया को दरकिनार कर लॉटरी पद्दत का इस्तेमाल कर संबंधितों में काम बाँटने पर जोर दे रहा है. इससे पहले लोक निर्माण विभाग के खिलाफ आपत्तियां उठाई गई थीं। सिक्योरिटी डिपॉज़िट घोटाले में इस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम भी सामने आए। कुछ कर्मचारियों की विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। बावजूद इसके विभाग अपने परिचित ठेकेदारों पर मेहरबान है।

Advertisement

प्रत्येक वर्ष विभाग द्वारा 1.25 से 1.50 करोड़ रुपये की सामग्री खरीदी की जा रही है। नियमानुसार 10 लाख से अधिक के कार्य के लिए निविदा प्रक्रिया आवश्यक है। पहले यह सीमा तीन लाख थी। हालांकि, सरकार ने यह सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ा कर 10 लाख रुपये कर दी। लेकिन विभाग के अधिकारी टेंडर प्रक्रिया को दरकिनार कर 10 लाख से कम का काम का टुकड़ा-टुकड़ा कर कोटेशन पद्धति से बंदरबांट कर रहे है। निविदा प्रक्रिया में पसंदीदा ठेकेदारों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इसलिए, कार्यों की संख्या में वृद्धि करके राशि को कम किया जाता है।

लोक निर्माण विभाग से करोड़ों की खरीद की जा रही है। इन कार्यों की संख्या बढ़ाकर राशि कम कर दी गई। 2 से 8 लाख घर के काम लिए गए। इसलिए निर्माण विभाग ने इन कार्यों को शिक्षित बेरोजगारों और समाज के माध्यम से करने का निर्णय लिया। पांच से छह हजार तक की सामग्री सात से आठ हजार में खरीदी की जा रही है। विभाग के विशेषज्ञ के अनुसार अगर टेंडर प्रक्रिया पूरी की गई होती तो रकम कम हो जाती।

उल्लेखनीय यह है कि विभाग के अधिकारी/कर्मी वर्ग अपने अपने करीबी ठेकेदारों को काम देने के उद्देश्य से टेंडर प्रक्रिया में देरी की गई।