Published On : Sun, Aug 19th, 2018

सिटी के लिए महारेरा कोर्ट को मंजूरी

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नागपुर: महारेरा में एक ओर प्रोजेक्टों की बाढ़ सी आ रही है, तो दूसरी ओर शिकायतों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. बढ़ती शिकायतों का निपटारा जल्द से जल्द हो और लोगों को समय पर न्याय मिल सके, इसे ध्यान में रखते हुए नागपुर में भी न्यायालय की स्थापना को मंज़ूरी प्रदान कर दी गई है. एडजूरिकेटर की नियुक्त जल्द होने की संभावना है.

वर्तमान में नागपुर सहित संपूर्ण विदर्भ के मामलों को निपटारे के लिए मुंबई भेजना पड़ता है, जबकि मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में ही शिकायतों की संख्या काफी ज्यादा है. मुंबई कोर्ट में बोझ बढ़ने लगा है. नागपुर में कोर्ट निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है. आरंभ में 1 एडजूरिकेटर को रखा जाएगा.

क्षेत्रीय अधिकारी गिरीश जोशी ने बताया कि नागपुर और विदर्भ के लिए यह अच्छी खबर है. नागपुर में कोर्ट के शुरू होने से इस क्षेत्र के मामलों को स्थानीय स्तर पर ही निपटाया जा सकता है. वर्तमान में मामलों को मुंबई में सुनवाई के लिए भेजना पड़ता है. उन्होंने कहा कि इससे समय और पैसे ज्यादा लगते हैं. नागपुर में कोर्ट के शुरू होने से दोनों ही बातों की बचत होगी. हालांकि उ‌न्होंने माना कि नागपुर और विदर्भ में शिकायतों की संख्या काफी कम है और इस क्षेत्र में अभी काफी कम लोगों के खिलाफ शिकायतें मिली हैं. अधिकांश जो मामले सामने आए हैं, वे महारेरा के अधिकारियों और कर्मचारियों ने स्वयं लाये हैं. रेरा कार्यालय के पूर्ण स्वरूप में आने के बाद जानकारी जुटाने के लिए काफी कदम उठाये जा रहे हैं.

फटाफट निपट रहे मामले
मुंबई रीजन में जिस प्रकार प्रोजेक्टों का पंजीयन हुआ है, उसी अनुपात में शिकायतें भी आ रही है. महारेरा भी चुस्ती के साथ काम कर रहा है और मामलों का निपटारा फटाफट कर रहा है. मार्च माह तक कुल 3643 शिकायतें महारेरा के सामने आईं थीं, जिनमें से 247 में कागजात जमा नहीं कराए गए थे. 1121 मामलों को प्रोसेस कर हियरिंग के लिए भेज दिया गया था. 2125 मामलों में आर्डर पास भी कर दिए गए. यानी ग्राहकों की शिकायतों का निपटारा भी कर दिया गया.

ट्रिब्यूनल में पहुंचे 310 मामले
पहले चरण के बाद भी 310 मामले एपिलेट ट्रिब्यूनल तक पहुंचा. इसमें भी 146 मामलों में कागजात जमा नहीं कराए गए थे. 80 मामलों को प्रोसेसिंग कर हियरिंग के लिए भेजा गया है. 84 मामलों में आर्डर पास भी हो गए हैं.

समझौता मंच में भी सुलझे मामले
कोर्ट और ट्रब्यूनल जाने के पूर्व ग्राहक और बिल्डर को मामलों को समझौता मंच में सुलझाने का भी मौका दिया जाता है. इस मंच में बिल्डर प्रतिनिधि, ग्राहक और ग्राहक मंच के लोग शामिल हैं. राज्यस्तर पर इस मंच के समक्ष 323 मामले आए, जिनमें 176 मामलों में बिल्डर की ओर से जवाब दिया गया है.159 मामलों में फर्स्ट पार्टी पेमेंट कर दिया गया है. 42 मामलों की हिगरिंग जारी है, जबकि 83 मामले का निपटारा हो गया है. विदर्भ में इस मंच के समक्ष केवल 2 ही मामले आए हैं. 1 सुलझ गया, जबकि दूसरे को ट्रिब्यूनल में भेजा गया है.