Published On : Sun, Aug 19th, 2018

प्रशासन का दबदबा ही नहीं

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नागपुर: सीएम की सिटी और गडकरी के गढ़ को कभी सिंगापुर तो कभी मारिशस तो कभी बैंकाक बनाने के सपने तो दिखाये जाते रहे हैं लेकिन आज शहर में मूलभूत सुविधाओं पर भी अव्यवस्था का ऐसा घोर आलम है कि शहरवासी परेशान हो रहे हैं. प्रशासन का कहीं भी दबदबा ही नहीं नजर आ रहा. अतिक्रमणकारी अपनी दादागीरी कर रहे हैं तो बाइक व स्कूटी पर ट्रिपल ही नहीं चार-चार सीट सवारियां नजर आ रही हैं. आटो में भेड़ की तरह सवारियां ढोयी जा रही हैं. सड़कों पर मवेशी घूम रहे हैं जो दुर्घटना का कारण बन रहे हैं. सड़कों पर तो गड्ढे ही गड्ढे हैं जिन्हें भरने तक का कार्य नगर प्रशासन नहीं कर रहा है. ट्राफिक नियमों का उल्लंघन, अतिक्रमणकारियों की मनमानी से तो ऐसा लगता है कि शहर में प्रशासन नाम की कोई चीज ही नहीं बची है. हर ओर नियमों का सार्वजनिक उल्लंघन हो रहा है. लगता है प्रशासन का दबदबा ही नहीं है.

सड़कों पर घूम रहे मवेशी
शहर की कोई भी सड़क ऐसी नहीं जहां आवारा मवेशी घूमते नजर नहीं आते हों. सिविल लाइन्स जैसा पॉश इलाका भी इस समस्या से अछूता नहीं रह गया है. मनपा का काजीहाउस विभाग कुंभकर्णी नींद में है. पालतू मवेशियों को पालक दूध निकाल कर सड़क पर खुला छोड़ रहे हैं. रिंग रोड, सीतावर्डी, महल, इतवारी, गांधीबाग, गोकुलपेठ, काटन मार्केट जैसे अतिव्यस्त इलाकों में ये मवेशी दुर्घटना का कारण बन रहे हैं. रात में रिंग रोड पर आवारा मवेशियों के कब्जे के कारण कई दोपहिया वाहन चालक गिरकर जख्मी हुए हैं. आवारा कुत्तों की फौज भी शहर में बढ़ गई है जो रात को दोपहिया वाहन चालकों के पीछे काटने को भागते हैं. हड़बड़ाहट में वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. प्रशासन के कुंभकर्णी नींद में है और अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है.

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अतिक्रमणकारियों की दादागीरी
मनपा का अतिक्रमण उन्मूलन अभियान तो सीजन की तरह चलता है. कई दिनों से कार्रवाई बंद पड़ी हुई है. वैसे भी अतिक्रमणकारियों पर इस विभाग का जरा भी भय नहीं है. जहां कार्रवाई कर दस्ता हटता है तो कुछ ही देर बाद वे फिर अपने ठिये पर दूकान जमाकर बैठ जाते हैं. दरअसल, ठोस व कड़ी कार्रवाई नहीं होने के चलते ही इन लोगों को प्रशासन का डर नहीं है. कार्रवाई तो ऐसी होनी चाहिए कि उसका दबदबा बना रहे लेकिन लगता है सब ‘माया सेटिंग’ के चलते सेटल होता रहता है. दस्तों द्वारा भी आधी-अधूरी कार्रवाई होती है. टुटपूंजिया दंड वसूली कर रसीद थमा दी जाती है. कुछ सामानों की जब्ती हो जाती है, लेकिन फिर हालात ‘जैसे थे’ हो जाते हैं.

ट्राफिक नियमों का उल्लंघन
पूरे शहर में चौराहों व सड़कों पर 4,000 के करीब सीसीटीवी कैमरे लग चुके हैं. पूरा शहर ट्राफिक विभाग व नगर प्रशासन व पुलिस विभाग की नजर में है. कहीं कोई घटना हो जाए तो सीसीटीवी की नजर से बच नहीं सकते. बावजूद इसके शहर में ट्राफिक नियमों का घोर उल्लंघन किया जा रहा है. हेलमेट की कार्रवाई ठंडी हो गई है और लोग बिना हेलमेट के नजर आ रहे हैं. युवक-युवतियां ट्रिपल सीट ही नहीं कई बार तो चार-चार सीटें बाइक व स्कूटी पर नजर आ रहे हैं. किसी को प्रशासन का डर ही नहीं है. टारगेट पूरा करने के लिए चालान की कार्रवाई की जाती है जिसका कोई असर नजर नहीं आ रहा. शहर में ओवरलोड आटो चल रहे हैं. सीताबर्डी वेरायटी चौक, झांसी रानी चौक में ही यह नजारा देखा जा सकता है जहां ट्राफिक पुलिस के जवान तैनात रहते हैं. भेड़-बकरियों की तरह सवारियां भरी जा रही हैं, किसी को प्रशासन का डर ही नहीं है.

गड्ढों में सड़क
शहर में सड़कों पर गड्ढे नहीं, बल्कि गड्ढों में सड़क नजर आ रही है. जिन सड़कों पर मेट्रो रेल व सीमेंट रोड का कार्य चल रहा है उनकी तो दुर्गति हो गई है. बीते दिनों अंबाझरी इलाके में ऐसे ही संकरे व गड्ढों भरे रोड पर तीन छात्राओं की एक क्रेन की चपेट में आकर मौत हो गई थी. यहां रोड के किनारों में गड्ढे ही गड्ढे हैं. ऐसा ही लगभग सभी सड़कों का हाल है. जानलेवा गड्ढों के कारण कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. बावजूद इसके मनपा प्रशासन नहीं जागा है. यहां बैठे पदाधिकारी तो बस सिटी को सिंगापुर और मारिशस बनाने का सपना दिखाने में ही जुटे हुए हैं.

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