Published On : Thu, Apr 5th, 2018

दाल उद्योगों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा के लिए प्रतिनिधि मण्डल दिल्ली में


नागपुर: आॅल इण्डिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, सुरेश अग्रवाल, उपाध्यक्ष सुभाष गुप्ता एवं सचिव दिनेश अग्रवाल ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि दाल उद्योगों की विभिन्न समस्याओं के निराकरण के लिए संस्था का प्रतिनिधि मण्डल नई दिल्ली में आज भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव संतोशकुमार सारंगी से मिलेगा।

पदाधिकारियों ने आगे बताया कि पूर्व में भारत सरकार ने 5 लाख मिट्रिक टन दलहन- तुअर, उड़द एवं मूंग के आयात का कोटा वर्तमान में 31 मार्च 2018 तक निर्धारित था, उसे वर्तमान में भी जारी रखा है।

  • ज्ञातव्य हो कि माह अगस्त 2017 में भारत सरकार द्वारा तुअर के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिसमें 2 लाख मिट्रिक टन तुअर एवं 3 लाख मिट्रिक टन उड़द व मूंग के आयात की समय सीमा दिनांक 31 मार्च 2018 निर्धारित की थी। उसे आज भी जारी रखा गया है, इसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए। इस वर्ष देश में दलहनों का उत्पादन काफी अच्छा हुआ है। काफी समय से तुअर, उड़द एवं मूंग की कीमत समर्थन मूल्य से बहुत कम होने से किसानों को नुकसान हो रहा है।
  • साथ ही 25 लाख टन दलहन देश के बाहर निर्यात करने के विषय में भी चर्चा कर निवेदन किया जायेगा कि देष के बाहर चना, तुअर, उड़द, कच्चे माल, खड़ा दलहन का निर्यात प्रारंभ करना चाहिए, क्योंकि सरकार के पास 20 लाख टन दलहनों का बम्पर स्टाॅक है, उसे भी देश के बाहर विक्रय करने की जरूरत है। सरकार को कम से कम 25 लाख टन दलहन देश के बाहर निर्यात करना चाहिए।
  • जिस प्रकार आॅस्ट्रेलिया के चने व चने की दाल की डिमांड पाकिस्तान, बांग्लादेश, अरब कन्ट्री एवं चीन सहित अनेक देषों में है। मसूर की मांग भी कनाडा, टर्की, बहरीन, पाकिस्तान एवं गल्फ कन्ट्री में विक्रय के लिये है। साथ ही तुअर की मांग भी अरब कन्ट्री में भी रहती है एवं पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल भी तुअर खरीदते हैं, इसलिए भारत सरकार को भी इन देषों तथा अन्य देषों को तुअर दलहन निर्यात करने की आवष्यकता है।
  • इसी प्रकार व्यापारियों एवं किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए, देश के बाहर सभी प्रकार की दालों का निर्यात करने के लिए प्रोत्साहन राशि इन्सेंटिव राशि का 15 प्रतिषत सहयोग करने के लिए भी अनुरोध किया जायेगा।
  • वर्तमान में भारत सरकार द्वारा दालों के निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया गया है, किन्तु सरकार के इस निर्णय से देष के दाल मिलर्स और व्यापारियों को जो प्रतिसाद मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है। पूर्व में एक्सपोर्ट बंद होने से सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ है कि भारत का दालों का बना-बनाया एक्सपोर्ट मार्केट, दालों का निर्यात न होने के कारण पूरी तरह से खत्म हो गया है। भारत से एक्सपोर्ट बंद होने की वजह से बर्मा, दुबई, श्रीलंका, जेद्दा और अफ्रीकन देषों में अनेक दाल मिलें भारत से वहाँ जाकर खुल गई है। इसलिए जो एक्सपोर्ट हमारे देश से होता था, वह अब बर्मा, दुबई, श्रीलंका, जेद्दा और अफ्रीकन देशों से विश्व के अनेक देशों में हो रहा है। इसलिए देश के बाहर दालों के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए निर्यात पाॅलिसी निर्धारित करने की अत्यंत आवश्यकता है।
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement

Advertisement
Advertisement
Advertisement

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement