Published On : Thu, Aug 10th, 2017

राष्ट्रिय केमिकल्स एंड फर्टिलायझर्स ने अब तक नहीं किया अस्थायी कर्मियों के करोड़ों रुपयों की भविष्य निधि का भुगतान

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  • बकाया पीएफ मामले को रफादफा करने के लिए ईपीएफ और आरसीएफ में समझौता
  • समझौते के तहत मुंबई में ट्रांसपोर्टर के मार्फ़त होगी लाखों की डील
Provident Fund

Representational Pic


नागपुर:
 सरकारी दफ्तरों में बीते २ दो दशकों से अस्थायी कर्मियों को मामूली वेतन देकर पूरा काम करवाया जा रहा है. ऐसा ही एक मामला राष्ट्रिय शंकरनगर स्थित कंपनी ‘केमिकल्स एंड फर्टिलायझर्स लिमिटेड’ में सामने आया है. साथ ही मानसिक तनाव व आर्थिक शोषण भी जारी है. कुछ कर्मियों ने इसके खिलाफ आवाज उठायी तो कार्रवाई करनेवाले और दोषी अधिकारीयों ने आपस में समझौता कर लिया, जिससे पीड़ित कर्मी सकते में आ गए हैं.

हुआ यूँ कि, उक्त कंपनी में पिछले २०-२५ साल से डेढ़ दर्जन अस्थाई कर्मी विभिन्न पदों (लैब अटेंडेंट, वाहन चालक, कार्यालय अटेंडेंट, मिटटी परिक्षण इंचार्ज, कंप्यूटर ऑपरेटर, गार्डनर, क्लीनर आदि ) पर कार्यरत है. शुरुआत से लेकर आजतक इन्हें केंद्र सरकार के नियमानुसार न्यूनतम वेतन नहीं दिया गया. और ना ही ईपीएफ व ईएसआईसी जैसी अन्य सुविधा दी गई. इनमें से कुछ आज सेवानिवृत्त की दहलीज पर है, जब वे सेवानिवृत्त हो जायेंगे तो उनके हाथ खाली के खाली रह सकते है.

वर्ष २०१५ में भारतीय मजदुर संघ के प्रतिनिधि नरेश चौधरी ने सेमिनरी हिल्स स्थित केंद्र सरकार के सहायक कामगार आयुक्त के समक्ष उक्त प्रकरण को जानकारी देकर स्थाई कर्मियों के संग न्याय व दोषी पर कानूनन कार्रवाई की मांग की थी. कामगार आयुक्त ने तब से अबतक आधा दर्जन नोटिस भेज कर अस्थाई कर्मियों को न्यूनतम वेतन,पुराना बकाया सह अन्य सुविधाएं देने का निर्देश दे चुकी है.लेकिन आजतक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की.तो दूसरी ओर उक्त कंपनी सहायक कामगार आयुक्त को पत्र लिख यही आश्वासन देती रही है कि, १ जुलाई २०१७ से न्यूनतम वेतन, बकाया सह अन्य सुविधाएं दे देंगे, लेकिन आजतक दी नहीं गई.

भारतीय मजदुर संघ ने १६ मई २०१६ को केंद्रीय भविष्य निधि कार्यालय के आयुक्त को पत्र लिखकर रखी कि, उक्त कंपनी ने अस्थाई कर्मियों का भविष्य निधि राशि पिछले १५-२० वर्षो से नहीं जमा करवाया है. इसलिए उनसे स्थाई कर्मियों का पिछले १५-२० सालों का भविष्य निधि राशि, उक्त कंपनी का हिस्सा, बकाया राशि का ब्याज सह जुर्माना वसूला जाये. संघ की मांग पर इस कार्यालय ने भी काफी नोटिस दी लेकिन ‘आरसीएफ’ प्रबंधन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी.

इसके अलावा केंद्रीय लेबर एनफोर्समेंट ऑफिसर मीनल ताजनेकर ने १८ जुलाई २०१७ को निर्देश दिया कि स्थाई कर्मियों की ग्रेज्युटी की पूर्ण जानकारी दी जाये। साथ ही अस्थाई कर्मी हेमंत कुमार चौधरी की शिकायत पर स्थानीय ‘ईपीएफओ’ ने उक्त कंपनी से वर्ष १९८९ से २०१७ तक प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष कर्मियों की सम्पूर्ण विवरण मांगी,लेकिन उक्त कंपनी टस से मस नहीं हुई.

‘ईपीएफओ’ के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार ‘आरसीएफ’ पर उक्त अस्थाई कर्मियों से सम्बंधित पौने ३ करोड़ का भविष्य निधि राशि बकाया है.इसके अलावा ब्याज व पेनाल्टी भी ईपीएफओ को वसूलनी है.इससे सकपकाए ‘आरसीएफ’ प्रबंधन ने सम्बंधित ‘ईपीएफओ’ अधिकारी से समझौता कर लिया है.तय समझौते के हिसाब से ‘आरसीएफ’ अपने अस्थाई कर्मियों को पिछले ३ माह से बकाया राशि देंगे,न्यूनतम वेतन देंगे और अन्य सुविधाएं भी देगा. जिसके एवज में अस्थाई कर्मियों को सभी शिकायतें वापिस लेनी होंगी। साथ ही ‘ईपीएफओ’ ने शिकायतकर्ता को गुमराह करने व उसका जवाब ७ दिनों में देने की नोटिस थमा दी.अस्थाई कर्मियों ने एक तरफ प्रबंधन के दबाव में उनके मांगों अनुरूप हस्ताक्षर कर दिए तो दूसरी तरफ शिकायतकर्ता ने अपने जवाब में प्रबंधन के करतूतों का जिक्र करते हुए अपना जवाब ‘ईपीएफओ’ तक पहुंचा दिया।

सूत्र बतलाते है कि, ‘ईपीएफओ’ के सम्बंधित अधिकारी ने ‘आरसीएफ’ प्रबंधन से साफ़-साफ़ शब्दों में निर्देश दिया कि, वे अस्थाई कर्मियों के सभी मामलात शांत करें फिर आगे की तय समझौते के हिसाब से बात आगे बढ़ाई जाएँगी. ‘आरसीएफ’ प्रबंधन को ‘ईपीएफओ’ के सम्बंधित अधिकारीने निर्देश दिया कि ‘पीएफ’ का बकाया सह दंड मामला निपटाने के एवज में तय कमीशन मुंबई में ली जाएँगी.

इससे यह साफ़ है कि, ‘ईपीएफओ’ में उक्त गोरखधंधा आज से नहीं बल्कि कई वर्षो से जारी है.




















– राजीव रंजन कुशवाहा