- तालाब इकॉर्निया मुक्त करे : इको-प्रो संघटना की मांग
- जिलाधिकारी को सौंपा निवेदन
चंद्रपुर। शहर के ऐतिहासिक रामाला तालाब को जलीय वनस्पति इकॉर्निया ने इस कदर ढक लिया है कि कहीं पानी नजर नहीं आता. दूर-दूर तक नजर दौडाने पर सिर्फ हरी घास का मैदान दिखाई देता है. पूरा तालाब वनस्पति से ढका होने से इसका पानी दूषित हुआ है. कहा तो यहां तक जा रहा है कि इसमें की मछलियां भी दूषित होने से खाने योग्य नहीं है. इस स्थिति को देखते हुए सन 2009 की तरह पुन: तालाब का पूरा दूषित जल निकालकर उसे इकॉर्निया मुक्त करने की आवश्यकता है. चंद्रपुर की अस्मीता माने जानेवाले रामाला तालाब को इकॉर्निया ने अपना घर बनाया है. जिस तेजी से यह वनस्पति बढ रही है उससे तालाब की सुंदरता खतरे में पड. गई है. इसी प्रकार प्रदूषण भी बढ रहा है. शहर का गंदा पानी नाला व नालियों से तालाब में गिरता है. इस पानी से दुर्गंध उठती है. जिससे लोगों के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हुआ है. पानी की उपरी सतह इकॉर्निया से ढक जाने से मछली व्यवसाय प्रभावित हुआ है. मछुवारे मछली नहीं पकड. पा रहे हैं.
तालाब के अंदर रामाला गार्डन बनाया गया है. तालाब के कारण गार्डन की सुंदरता में चार चांद लगती थी. चारों तरफ पानी और बीच में बगीचा सबकों इसकी सैर करने के लिए ललचाता था. लेकिन अब पानी ही दिखाई नहीं देने से बगीचे की सुंदरता भी गायब हो गई है. जिससे बगीचा में लोगों के आने की संख्या कम हुई है. इसी प्रकार इस भव्य तालाब में बोट चलाई जाती थी. जिसका मजा लेने हर दिन लोग पहुंचते थे. किन्तु इकॉर्निया के कारण यह बोट भी नहीं चल पा रही है और लोग बोटिंग के आनंद से वंचित हो रहे हैं. यही स्थिति 2009 में बनी थी. उस समय इको-प्रो संस्था ने तत्कालीन जिलाधिकारी प्रदीप कालभोर को इस संदर्भ में निवेदन देकर सभी पहलुओं से अवगत कराया था. जिसके मद्देनजर जिला व नगर प्रशासन ने रामाला स्वच्छता अभियान चलाया था. उस समय तालाब का पूरा पानी खाली कर दिया गया था.
तालाब सुखने के बाद पूरी इकॉर्निया वनस्पति को निकाला गया था. तीन साल बाद फिर वहीं स्थिति हो गई. इको-प्रो संस्था ने जिलाधिकारी डॉ. दीपक म्हैसेकर को दिया। ज्ञापन रामाला तालाब की यह दयनीय स्थिति देखते हुए पर्यावरणवादी संस्था इको-प्रो के अध्यक्ष बंडू धोतरे ने जिलाधिकारी को निवेदन देकर तालाब को इकॉर्निया से मुक्त कराने की मांग की है. संस्था ने अपने निवेदन में कहा है कि 2009 में तालाब का पूरा पानी निकालकर जब उसे इकॉर्निया मुक्त किया गया था तो उक्त वनस्पति बढने न देने तथा उस पर नियंत्रण रखने की जिम्मेदारी मच्छीमार सोसायटी व रामाला उद्यान पर सौंपी गई थी. लेकिन पिछले चार-पांच वर्षों में संबंधित विभागों ने इस ओर पूरी तरह अनदेखी की. जिसकी वजह से यह स्थिति पैदा हुई है. पिछली बार की तरह बरसात के मुहाने पर पानी निकालकर सफाई शुरू करने की बजाय इस बार अभी से इकॉर्निया निकालने का प्रयास शुरू करें. ताकी बरसात से पूर्व उसकी पूरी सफाई हो सकें. जिलाधिकारी ने संस्था को तालाब की सफाई के लिए उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया.