Published On : Thu, Nov 16th, 2017

राम मंदिर पर सुलह कराने गए श्री श्री रविशंकर का संतों ने किया विरोध

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अयोध्या: अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर मध्यस्थता की कोशिश करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर गुरुवार को अयोध्या पहुंच गए। श्री श्री की इस कोशिश के बीच संत समाज में घमासान मचा हुआ है। निर्मोही अखाड़े ने जहां विश्व हिंदू परिषद पर राम मंदिर के नाम पर घोटाला करने का आरोप लगाया है, वहीं राम मंदिर आंदोलन से प्रमुखता से जुड़े रहे राम विलास वेदांती ने श्री श्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

निर्मोही अखाड़े के सदस्य सीताराम ने आरोप लगाया कि बीएचपी ने राम मंदिर के नाम पर 1400 करोड़ का घोटाला किया है। उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा, 1400 करोड़ रुपया खा गए बीएचपी के लोग, हम लोग राम जी के पुत्र हैं, सेवक हैं, हमें कभी भी पैसे की पेशकश नहीं हुई। पैसे खाकर तो नेता लोग बैठे हैं।’ सीताराम ने कहा कि बीएचपी ने घर-घर घूम कर एक-एक ईंट मांगी, पैसा जमा किया और फिर इस पैसे को खा गए।

उन्होंने कहा कि जितने फर्जी न्यास बने हैं, वे मुसलमानों को मजबूत करना चाहते हैं। रामलला यानि निर्मोही अखाड़ा और निर्मोही अखाड़ा यानि रामलला। उधर, बीएचपी ने उनके इस आरोप को निराधार बताया है। विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी विनोद बंसल ने कहा कि राम मंदिर के लिए बीएचपी ने कभी किसी से एक पैसा नहीं लिया।

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बंसल ने कहा कि 1964 में वीएचपी आस्तित्व में आया था और हर साल इसका ऑडिट होता है। हमारे पास एक-एक पैसे का हिसाब है।’ इस बीच राम मंदिर आंदोलन से प्रमुखता से जुड़े रहे पूर्व बीजेपी सांसद राम विलास वेदांती ने श्री श्री की मंशा पर ही गंभीर सवाल उठाए हैं।

वेदांती ने कहा, ‘श्री श्री कौन होते हैं मध्यस्थता के लिए। उन्हें अपना एनजीओ चलाना चाहिए और विदेशी चंदे को जमा करना चाहिए। मेरा मानना है कि श्री श्री ने काफी धन इकट्ठा कर रखा है और इसकी जांच से बचने के लिए वह राम मंदिर के मुद्दे पर कूद पड़े हैं।’

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्री श्री की मध्यस्थता की कोशिश पर कहा कि अब बातचीत में देर हो चुकी है। एक टीवी चैनल से बातचीत में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्री श्री रविशंकर से मुलाकात के दौरान राम मंदिर के मसले पर विस्तार से कोई बातचीत नहीं हुई।

बता दे, श्री श्री रविशंकर मामले के पक्षकारों से मुलाकात के लिए अयोध्या पहुंच चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट में 5 दिसंबर से अयोध्या मसले पर हर दिन सुनवाई होनी है। श्री श्री इस विवाद का कोर्ट के बाहर ही समाधान कराना चाहते हैं। इससे पहले 30 अक्टूबर, 2008 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में विभाजित करते हुए दो हिस्सों को राम मंदिर के पैरोकारों और एक हिस्सा बाबरी मस्जिद के पैरोकारों को सौंपने का आदेश किया था।

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