Published On : Sat, Aug 1st, 2020

रक्षाबंधन स्पेशल: वैदिक राखी- गौमय राखी ने देश में मचा दी धूम

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रेडिएशन से सुरक्षा प्रदान करती है गौमय राखियां

गोंदिया । राखी का पर्व हर साल मनाया जाने वाला पर्व है , यह पर्व 3 अगस्त सोमवार को मनाया जाने वाला है इस दिन बहनों द्वारा भाइयों की कलाई पर खूबसूरत राखियां सजाई जाती है।

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शास्त्रानुसार रक्षाबंधन का पर्व वैदिक विधि से मनाना श्रेष्ठ माना गया है इस विधि से मनाने पर भाई का जीवन सुखमय और शुभ बनता है।
गोंदिया के राखी सेंटरों पर इस वर्ष पहली बार वैदिक राखी- गौमय रखी ने धूम मचा रखी है। 10 , 15 , 20 और 30 रुपए प्रति नग के हिसाब से यह गौमय राखियां डिजाइन और आकार के अनुसार सीता एजेंसी ( जैन मंदिर निकट ) शुभम स्टोर ( दुर्गा चौक) मुरली रखी सेंटर (गाड़ेकर हॉस्पिटल निकट) राधिका कलेक्शन ( रेल टोली ) सहित 10 से 12 स्टॉल पर बिक रही है।

चीनी राखियों का बहिष्कार हो रहा है और वैदिक रखी- गौमय स्वदेशी राखी को हाथों हाथ स्वीकार किया जा रहा है।

गौमय राखियां वैसे ही कलाई में सजाई जाती हैं जैसे अन्य राखियां ? गौमय राखियां हमें रेडिएशन से सुरक्षा प्रदान करती है , छोटी और बड़ी राखी का उपयोग करने के बाद इसे मोबाइल , लैपटॉप ,कंप्यूटर पर चिपका कर रेडिएशन से बचाव के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।

उपयोग करने के बाद गमले में डालने पर खाद का काम करता है। गौमय राखियां खरीदने व पहनने से गौ-माता के जीवन की रक्षा होती है।

हम सब ऐसे सामानों का उपयोग करें जिसमें पांचों तत्वों का समावेश हो जिससे हमारा शरीर और प्रकृति बनी है । इसलिए रक्षाबंधन स्पेशल वैदिक राखी-गौमय राखी ने समूचे देश में धूम मचा दी है।

गौशाला में बनी राखियों से महिलाओं को मिला रोजगार

वैदिक राखी- गौमय राखी, गौ- माता, गौ- रक्षा का पवित्र बंधन है और इसे लक्ष्मी गोशाला चैरिटेबल ट्रस्ट (चुटिया , गोंदिया) द्वारा तैयार किया गया है। नागपुर टुडे से बात करते – संजय टेंभरे ने बताया वर्ष 2015 से हमारी बंसी गीर गाय की गौशाला खुली , दूध सप्लाई के साथ 10-12 प्रोडक्ट हमारे गौशाला में तैयार होते हैं।

उनके छोटे भाई ऋषिकुमार टेंभरे तथा बहू सौ. प्रीति टेंभरे यह 10- 12 दिनों के ट्रेनिंग के लिए गुजरात गए थे वहां से लौटकर प्रीति टेंभरे ने गीर गाय के गोबर से राखी बनाने का प्रोजेक्ट अप्रैल 2020 में शुरू किया , 35 से 40 गांव की महिलाओं को राखी उद्योग से रोजगार मिला है।
राखी सीजन के बाद बंसी गीर गाय के गोबर से निर्मित 3 लाख आकर्षक दिए (दीपक) 15 अगस्त के बाद गौशाला में दीपोत्सव पर्व हेतु बनने शुरू होंगे।

कैसे बनती है वैदिक राखी- गौमय राखी ?

लक्ष्मी गौशाला चैरिटेबल ट्रस्ट (गोंदिया) की गौशाला में 250 बंसी गीर गाय हैं। निकलने वाले गोबर को सुखाकर उनके कंडे तैयार किए जाते हैं। फिर मशीन (ग्राइंडर) में डालकर उसे चुरा किया जाता है तत्पश्चात पलस , बबूल और आम इसके ढींक का मिश्रण गोबर को ठोस आकार देने हेतु मिलाया जाता है।

उस तैयार मिश्रण को सांचे (डाई मशीन ) में डालकर आकार देकर राखी बनाई जाती है ,फिनिशिंग के बाद वह पानी में घुलकर खराब ना हो इसके लिए उस पर वाटर प्रूफ पेंट का उपयोग , डिजाइन और नक्काशी के साथ किया जाता है तथा सूखने के बाद राखी में धागा लगाकर उसकी आकर्षक पैकिंग की जाती है।

गोंदिया में बनी वैदिक राखी – गौमय राखी की धूम इस कदर है कि समस्त महावीर ग्रुप के श्री गिरीशभाई शाह जो राष्ट्रीय स्तर पर गौशाला के उत्थान के लिए काम करते हैं उन्होंने गोंदिया की गौशाला से संपर्क साधा तथा एडवांस पैसे बैंक अकाउंट में भेज दिए फिर 10000 राखियां जो तैयार थी वह उन्हें डिस्पैच की गई इसके साथ गुजरात , राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र के मुंबई, बीड़, जलगांव , अहमदनगर के राखी सेंटरों से भी आर्डर प्राप्त हुए उन्हें भी गोंदिया से गौमय स्वदेशी राखियां बिक्री हेतु भेजी गई हैं।

कुल मिलाकर यह वैदिक राखी उद्योग आत्मनिर्भर भारत के लिए एक मिसाल है।

रवि आर्य

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