Published On : Thu, Jul 26th, 2018

इंटक : राजेंद्र गुट व ददई गुट का समझौता अधर में

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नागपुर: इंटक के ददई दुबे गुट और संजीवा रेड्डी गुट के विलय में पेंच फंसता दिख रहा हैं.विलय के शर्तों के मुताबिक विलय मामले पर दूसरी बैठक कल बुधवार को दिल्ली में होने वाली थी,जो नहीं हो सकी.इस बैठक में भाग लेने के लिए ददई दुबे सूचना मिलने का इंतज़ार करते रह गए लेकिन सूचना नहीं आई.अब ददई गुट दिल्ली उच्च न्यायालय में १ अगस्त २०१८ को होने वाली सुनवाई की तैयारी में भीड़ गया हैं.

सूत्रों के मुताबिक ददई गुट का कहना था कि वे राजेंद्र सिंह के कहने पर विलय मसले पर बैठक के लिए तैयार हुए थे.इसके बाद २६ जून को हैदराबाद में रेड्डी के घर पर भी गए थे.बाद में १२ व १३ जुलाई को दिल्ली मे बैठक भी हुए.जिसमें रेड्डी खुद अनुपस्थित थे.२५ जुलाई की बैठक तय की गई थी,इस बैठक को लेकर रेड्डी गुट की तैयारी अधूरी रह गई या फिर कुछ और मसला खड़ा होने से बैठक नहीं हो पाई.

अब ददई गुट विलय मामले को महज एक ड्रामा बता रहे हैं.संभवतः रेड्डी एचएमएस में चले गए और एचएमएस और इंटक विलय का मामला पर जोर दिया जा रहा हैं,जिसके कुछेक सबूत हाथ लगे हैं। १ अगस्त को न्यायालय में होने वाली सुनवाई हेतु फ़िलहाल तैयारी में ददई गुट नेतृत्व जुट गया हैं.

उल्लेखनीय यह हैं कि १७ जून २०१८ को रांची में ददई दुबे और राजेंद्र सिंह पुराने गीले-शिकवे भूल मतभेद मिटाते हुए गले मिले।फिर दोनों एक ही विमान से रांची से हैदराबाद रवाना हुए,हैदराबाद पहुँच रेड्डी के घर गए.जहाँ एक होने पर सहमति बनी और १२,१३ जुलाई को विलय मामले पर दिल्ली में बैठक होना तय किया गया.उक्त तिथि पर ददई और राजेंद्र गट की बैठकें भी हुई लेकिन रेड्डी का अनुपस्थित होना चर्चा का विषय बन गया.

वर्ष २००१ में ददई और राजेंद्र गुट के मध्य विवाद शुरू हुआ,वर्ष २००५ में एकता फिर वर्ष २००६ में पुनः विवाद शुरू हो गया.१० वें जेबीसीसीआई में रेड्डी गुट को प्रतिनिधित्व देने के खिलाफ ददई गुट ने दिल्ली उच्च न्यायालय में १४ सितम्बर २०१६ को एक याचिका दायर की.इसके बाद न्यायाधीश संजीव सचदेव ने जेबीसीसीआई में इंटक के प्रतिनिधित्व पर रोक लगा दी.

इसके बाद ४ जनवरी २०१७ को श्रम मंत्रालय ने इंटक को देश के सभी द्विपक्षीय व त्रिपक्षीय समितियों से एवं ११ जनवरी २०१७ को कोल मंत्रालय ने कोल इंडिया समेत सभी समितियों से इंटक को बाहर कर दिया।कोयला वेतन समझौते के इतिहास में पहली बार १० वां वेतन समझौता बगैर इंटक के संपन्न हुआ.