Published On : Thu, Jul 26th, 2018

शहर बस सेवा सुधारने की जगह महामेट्रो बस सेवा थमाने की मनपा कर रही तैयारी

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Aapli Bus

नागपुर: मनपा आपली बस की 35 बसों को बंद करने के बाद अब सारी बसों के संचालन से हाथ खड़े करने पर विचार कर रही है. मनपा आपली बस को महामेट्रो बस परियोजना को सौंपने की तैयारी कर रही है. इसके तहत शहर बसें मेट्रो सर्विस की फीडर बस सेवा का हिस्सा होंगी. ये फीडर बसें क़रीबी मेट्रो स्टेशनों तक यात्रियों को छोड़ेगी.

इसका निर्णय स्मार्ट सिटी की दसवीं बोर्ड बैठक में लिया जा चुका है. इस बैठक में बोर्ड के निदेशक ने ट्रांस्पोर्ट मैनेजर को आदेश देकर ट्रांस्पोर्ट कमेटी से इस संबंध में मंज़ूरी लेने के लिए कहा है.

साथ ही ट्रांस्पोर्ट मैनेजर से मंज़ूरी मिलने पर इसे आम सभा की भी मंज़ूरी लेने के निर्देश दिए गए हैं.
इसके बाद प्रस्ताव को मंजूरी के लिए आयुक्त को सरकार के पास भेजने के लिए भी ताक़ीद दी गई है. मनपा के इस पहल से जनता में स्मार्ट सिटी बनने से पहले ही संभ्रम की स्थिति पैदा हो गई है, जो चिंता का विषय बनता जा रहा है. यहां आपत्ति इसलिए भी क्योंकि शहर से ही मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री दोनों वास्ता रखते हैं. ऐसे में अब सवाल उठने सगे हैं कि इन नागरिकों को विश्वास में क्यों नहीं लिया गया जो सिर्फ़ सिटी बस पर ही निर्भर है. साथ ही 35 बसों को बंद करने से पहले भी जनता को विश्वास में नहीं लिया गया.

याद दिला दें कि मनपा ने शहर बस सेवा के लिए 432 लाल बसें और 55 हरी बसें शुरू करने का वादा किया था. नागपुर शहर की आबादी तकरीबन तीस लाख है. ऐसे में प्रति लाख आबादी के पीछे 30 बसों को लगने की जरूरत है. ऐसे में आबादी के अनुपात में शहर बस सेवा के पास कम से कम 900 बसें होनी जरूरी थी. लेकिन फिलहाल शहर में 349 लाल और केवल 25 हरी बसें ही शुरू है. इसमें से भी मनपा ने 30 बसों को 26 जुलाई से बंद कर दिया. इस बात की सूचना परिवहन समिति अध्यक्ष तक को सूचित नहीं किया गया.

कमाई के लिए नहीं होता पब्लिक ट्रांस्पोर्ट

यहां यह बताना जरूरी है कि मुंबई महानगर पालिका बेस्ट की बसों को 2.26 करोड़ रुपए हर दिन के नुक़सान पर चलाती है. ठाने मनपा भी अपनी बसों को हर दिन 8 लाख के नुक़सान पर चलाती है. आरटीई में इस बात का भी पता चलता है कि दिल्ली की बसें 2014-2015 में 2917.75 करोड़ रुपए के नुक़सान पर चलती है.

डिम्ट्स के पेरोल पर हैं परिवहन विभाग के दिग्गज
-अब बक़ाया थमने से थमे बस के पहिए, जनता हलाकान

मनपा ने शहर के बस संचालन के पूर्व मनपा की आर्थिक स्थिति की न तो समीक्षा की और न ही नियोजन किया. नतीजा घाटा करोड़ों में सर चढ़ कर बोलने लगा. और अब मनपा पल्ला झाड़ने की पहल कर रही है. लेकिन इस चक्कर में कई संवर गए हैं.

प्रति शिफ्ट रु.700 का चूना – मनपा प्रशासन ने शहर बस के संचालन की जिम्मेदारी परिवहन विभाग से हटाकर डिम्ट्स को दे दी. डिम्ट्स के सामने यह शर्त रखी गई कि शहर बस संचलन में गुणवत्ता पूर्ण सुधार लाया जाएगा. लेकिन डिम्ट्स ने कागजों पर बस संचलन का प्रोजेक्ट दिखाकर मनपा परिवहन विभाग को अपने झांसे में लिया. डिम्ट्स ने कागजों पर अधिकारी कर्मी दिखाकर दर माह करोड़ों में माया जमाई. काम के नाम पर लाल और हरी बस ऑपरेशन के मासिक बिल में लाखों में कटौती कर अपनी जिम्मेदारी निभाई. कटौती के लिए परिवहन विभाग ने डिम्ट्स के कंधों का इस्तेमाल किया. और डिम्ट्स पर लगे प्रत्येक आरोपों से परिवहन विभाग ने उन्हें बड़ी सफाई से बचाया. जिसके बदले में डिम्ट्स की ओर से प्रत्येक शिफ्ट के हिसाब से प्रति बस ७०० रुपए परिवहन विभाग के संबंधित अधिकारी को अब तक दिया. मामला तब अटक गया जब से डिम्ट्स को बकाया नहीं मिला. याने मासिक लगभग ढाई लाख रुपए डिम्ट्स मनपा की चोरी कर रहा था. यह चोरी रोजाना सभी करेंसी चेस्ट पर हो रही है. करेंसी चेस्ट पर रोजाना दो बार प्रत्येक शिफ्ट में हुई कमाई का लेखा जोखा ट्रांसफर किया जाता है. इस दौरान मनपा परिवहन विभाग का कोई प्रतिनिधि नहीं होने से डिम्ट्स ने जो हिसाब दिया उसे ही मनपा प्रशासन सही मानता रहा. इसी दौरान डिम्ट्स प्रत्येक शिफ्ट से ७०० रुपए कम दर्शाकर अलग निकाल लेता था. बाद में तय रणनीति के तहत परिवहन विभाग के एक दिग्गज को यह रकम थमा देता था. जिसके बदले में यह अधिकारी हर मौके पर डिम्ट्स को क्लीन चिट देता रहा.

एक मेल से बंद हुई दर्जनों बस, हलाकान हुए यात्री:- कल रात डिम्ट्स का एक मेल सभी लाल बस ऑपरेटरों को मिला कि फलां तारीख से ३६ बसें उन मार्गों की बंद की जाएं. जहां कम आय होती है. इस हिसाब से बिना पूर्व सूचना के यात्रियों से परिवहन विभाग और मनपा प्रशासन ने धोखा किया. शंका तो यह भी हैं कि मनपा प्रशासन की योजना के तहत स्मार्ट सिटी की बोर्ड की बैठक में शहर बस का विषय लाना और मेट्रो रेल को देने हेतु प्रयास करने का निर्णय लेना एक षड्यंत्र का हिस्सा लग रहा है. इसी साजिश को सफल बनाने के लिए उक्त बसें बंद की गईं या फिर कल लाल बस ऑपरेटर बकाया भुगतान न मिलने से बस खड़ी करना शुरू कर दिए तो मनपा और उसके अधिकारियों को सभी ओर से खरी खोटी सुनना पड़ेगा. मनपा पर बस ऑपरेटरों के करीब ३५ करोड़ रुपए बकाया है. जबकि मनपा प्रशासन को आय बढ़ाने की जरूरत महसूस हुई तो जिस मार्ग पर अधिक कमाई थी, उन मार्गों पर बसे बढ़ा देनी चाहिए थी, बजाय बंद करने के.

रोजगार छीनने पर बल परिवहन विभाग के आदेश पर जितने भी बसे बंद कर दी गई, अचानक उनके बस चालक, कंडक्टर, सह कर्मी याने कुल १६० लोगों का रोजगार छिन गया. मनपा प्रशासन को कटौती करना ही था तो परिवहन विभाग में छटनी और डिम्ट्स का करार रद्द करने से मनपा को अच्छा खासा लाभ हुआ होता. यात्रियों के साथ अन्याय कर मनपा को क्या हासिल हुआ समझ से परे है.

– राजीव रंजन कुशवाहा