Published On : Thu, Oct 5th, 2017

स्वच्छ नागपुर, सुंदर नागपुर अभियान पर धब्बा ‘राहुल बाजार’

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नागपुर: पीएम मोदी के जन-स्वास्थ्य हितार्थ अभियान स्वच्छ भारत अभियान के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए नागपुर महानगरपालिका एक ओर शहर का प्रत्येक इलाका स्वच्छ करने का भरसक प्रयास कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर शहर के विवादास्पद भवन निर्माता अपने इलाके के रोज जमा होने वाले कचरे को या तो जमा कर या फिर आसपास के गलियों में फेंक कर सम्पूर्ण परिसर को प्रदूषित कर रहे हैं. ऐसा ही कुछ आलम है सीताबर्डी के ‘राहुल बाजार’ परिसर का.

स्थानीय नागरिकों के अनुसार राय उद्योग समूह द्वारा सीताबर्डी के मध्य में स्थानीय नागरिकों से समझौता कर उनकी जगह पर ‘राहुल बाजार’ का निर्माण किया गया. इस बाजार में तल मंज़िल पार्किंग एवं दूसरी, तीसरी व चौथी मंज़िलों पर दुकानें बनाई गई हैं एवं पांचवीं मंज़िल पर जिनकी जमीन लेकर बाजार का निर्माण किया गया, उन्हें तय शर्तों के हिसाब से फ्लैट दिया गया. क्योंकि इस बाजार का व्यवस्थापक खुद निर्माता कंपनी है, वह कभी यहां की जरूरतों व सुविधाओं को सुलझाने के लिए सक्रिय नहीं रहा. इसलिए यह बाजार लावारिस जैसा पड़ा है, यह कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसलिए दूसरी से लेकर चौथी मंज़िल के दुकानदार रोजाना जमा होनेवाले कचरे को बाजार के पीछली गल्ली और उससे लगे परिसर के बाहर की गल्ली में कचरा डाल अपना इलाका साफ़ रखते हैं. इस कचरों ने बाजार को अपनी ‘सुगंध’ में जकड़ रखा है.

संकुल के रहवासियों को ढो कर लाना-ले जाना पड़ता हैं…
भवन निर्माता ने बाजार के सबसे ऊपरी मंज़िल पर इस जमीन में मूल मालिकों को फ्लैट बनाकर रहने दिया है. इस बिल्डिंग में लिफ्ट लगा जरूर है लेकिन भवन निर्माता उसे कभी शुरू नहीं किया. जिसके कारण ऊपरी मंजिल पर रहने वालों में कोई बीमार, लाचार, बुजुर्ग को पांचवीं मंज़िल तक लाने ले-जाने के लिए कन्धों का सहारा लेने को मजबूर होना पड़ता है. लिफ्ट शुरू करने के लिए सैकड़ों दफे रहवासियों ने भवन निर्माता से गुहार लगाई।अधिकांशतः वे मिलते नहीं और उनके एवज में पटेल मिलते हैं, जो लगातार गुमराह करते रहते हैं.

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भवन निर्माता इस फ़िराक में हैं कि रहवासी खुद सोसाइटी निर्माण करें, जिसे वे मंजुरी देकर अपना खर्च वाला पल्ला झड़क सकें. जबकि रहवासियों को शुरुआत में उनसे समझौता करते वक़्त यह आश्वस्त किया गया था कि उन्हें मुफ्त में लिफ्ट सुविधा मुहैया करवाकर दी जाएंगी। लेकिन आज भवन निर्माता अपने शब्दों से मुकर जाने से रहवासी बड़े अड़चन में आ गए हैं.


भवन निर्माता पर स्पैंको है महरबान

भवननिर्माता अपने दर्जनभर संकुल, स्कीम के घर, फ्लैट, दुकान के खरीददारों से बिजली कनेक्शन के नाम पर नगदी में कम से कम २५००० रूपए लेते हैं. इन्होंने कमोबेश २००० ग्राहकों से उक्त राशि की नगदी में वसूली की और स्पैंको के साथ महावितरण को प्रत्येक नए मीटर के लिए अत्याधिक २००० रूपए जमा करवाए। नए मीटर एक किलो वाट से लेकर १८०० वाट तक का मीटर लगवाया. जबकि नियमानुसार प्रत्येक फ्लैट या दुकान के बिजली की खपत के हिसाब से मीटर लगना चाहिए था. इसके बावजूद जब ग्राहकों को अत्याधिक मासिक बिजली बिल आने लगा तो स्पैंको या महावितरण ने शिकायतकर्ता की खपत के अनुसार उसका वाट बढ़ाना चाहिए था. उसकी जगह में सिर्फ मीटर बदल कर अपना पल्ला झड़क रहे हैं. बावजूद इसके समस्या हल नहीं हो रही. स्पैंको के बकाया के एक सफेदपोश वसूली ठेकेदार के अनुसार खपत के हिसाब से वाट बढ़ा देने से स्पैंको का आर्थिक नुकसान है.

इनमें से रजत हाइट स्कीम के एक रहवासी ने वाट बढ़ाने हेतु सारी मांग पूरी कर डिमांड डेढ़ माह पहले भर दिया लेकिन कल जो पिछले माह का बिल भेजा गया,उसमें वाट जस का तस था. इससे यह साफ़ हैं कि स्पैंको बिल्डरों से मिलीभगत कर रोजाना आम फ्लैट धारकों, दुकानधारकों को आर्थिक चूना लगा रहा है.






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