Published On : Wed, Jan 29th, 2020

सरेआम ‘प्रोटोकॉल’ का हो रहा उल्लंघन !

केंद्र व राज्य में परस्पर विरोधी सरकार को तहरिज देने के चक्कर में पिस रहा प्रशासन

नागपुर: राज्य में सत्ता परिवर्तन बाद पिछले कुछ समय से खुलेआम ‘प्रोटोकॉल’ का उल्लंघन किया जा रहा.क्या केंद्र सरकार के दबाव में सम्बंधित विभाग के अधिकारी उन्हें खुश करने के फ़िराक में राज्य के मंत्रियों सह नेताओं को नज़रअंदाज कर रहे.जिसका कल खुलेआम विरोध दर्शाया गया.जिसे शांत करने के चक्कर में लीपापोती भी गई,जो आम हो चुकी हैं.

Advertisement

गत विधानसभा चुनाव के पहले केंद्र और राज्य में एक पक्ष अर्थात भाजपा की सरकार थी.तब नागपुर समेत राज्य में होने वाले सरकारी कार्यक्रमों में ‘प्रोटोकॉल’ का पालन किया जाता था.लेकिन राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही केंद्र की परस्पर विरोधी पक्षों की तिकड़ी सरकार बनी,तब से ‘प्रोटोकॉल’ को दरकिनार सा कर दिया गया.

विगत दिनों मनपा के द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश का सार्वजानिक सत्कार किया गया.इस कार्यक्रम की पत्रिका/विज्ञापन में ‘प्रोटोकॉल’ का पालन नहीं किये जाने का आशंका शहर के जागरूक नागरिकों ने लगाई थी.राज्य में मुख्यमंत्री के बाद दूसरा प्रमुख व्यक्ति विपक्ष नेता होता हैं,इसके बावजूद उनका नाम प्रमुख अतिथियों के क्रम में आखिर में अंकित था.

दूसरी घटना कल मेट्रो रेल के एक्वा लाइन के उद्धघाटन मामले में घटी.इसके भी पत्रिका/विज्ञापन राज्य के मंत्रियों के साथ क्यूंकि नागपुर जिले में कार्यक्रम हो रहा,इसलिए जिले के पालकमंत्री का नाम ‘प्रोटोकॉल’ के हिसाब से नहीं था.जिसका पालकमंत्री सह अन्य मंत्री ने खुलकर विरोध दर्ज करवाया।नतीजा मेट्रो सुप्रीमो ने लीपापोती कर आज के अखबारों में उक्त तमाम मंत्रियों के संबोधन का मुख्य अंश को संकलित कर एक विज्ञापन का रूप में जारी किया।क्या यह सरकारी राजस्व की बर्बादी नहीं ?

इतने से ही मामला थमा नहीं।अब ‘एम्स’ के कार्यक्रम पत्रिका से जिले के पालकमंत्री का नाम गायब कर दिया गया.अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था ‘एम्स’ की स्थापना दिवस के कार्यक्रम से जिले के पालकमंत्री सह जिलापरिषद अध्यक्ष सह अनेक महत्वपूर्ण पदाधिकारियों का नाम गायब होने की जानकारी मिली।यह कार्यक्रम २ फरवरी की सुबह ९.३० बजे आयोजित की गई हैं.

कल का मामला ठंडा हुआ नहीं था कि ‘एम्स’ का मामला ने ‘प्रोटोकॉल’ को लेकर नया मामला गर्मा दिया।

उल्लेखनीय यह हैं कि क्या केंद्र और राज्य में परस्पर विरोधी सरकार के मध्य प्रशासन और अधिकारी वर्ग पिस रहे या दोनों सरकार के मध्य खुली संघर्ष शुरू हो चुकी हैं.

Advertisement
Advertisement
Advertisement