Published On : Sat, Sep 23rd, 2017

करदाताओं के निधि से राष्ट्रपति के लिए चिकनाई गई सड़कें

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नागपुर: नागपुर की लाखों जनता शहर में रहने और शहरी मुलभुत सुविधा प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष करोड़ों में संपत्ति व जल कर देती हैं.लेकिन उन्हें बदहाल छोड़ दिया जाना महानगरपालिका प्रशासन की आदत में शुमार हो चूका हैं.वहीं शहर को कुछ न देने वाले( दौरे के दौरान कोई जनहितार्थ घोषणा) महामहिम के ३-४ घंटे के दौरे के लिए लाखों-करोड़ों का खर्च निंदनीय हैं.

ज्ञात हो कि महामहिम के दौरे की पूर्व सूचना मिलते ही मनपा, जिला प्रशासन,सेना से सम्बंधित विभाग सह राज्य सरकार बड़ी बारीकी से उनके सड़क व वायु मार्ग सहित उनके रुकने, भेंट देने व कार्यक्रम स्थलों पर सारी सुविधाएं अव्वल दर्जे की उपलब्ध करवाने के लिए निधि की कोई कमी नहीं होने देने का कड़क निर्देश दिया गया. इस दौरे में सड़को की मरम्मत,नई सड़कों का पूर्ण निर्माणकार्य,मार्ग विभाजक पर अस्थाई सजावट,वर्ष भर अतिक्रमण को शह देने वाले प्रशासन द्वारा अतिक्रमण की कार्रवाई आदि का समावेश था.

वर्षों से इसी शहर के एक केंद्रीय मंत्री मनपा की सड़कों और पदाधिकारियों व नगरसेवकों पर तंज कस्ते हुए प्रत्येक वर्ष डामर की सड़क निर्माण व निर्मित सड़क पर होने वाली मरम्मत खर्च में धांधली का आरोप लगाते रहे तो दूसरी ओर बारंबार सड़क निर्माण व मरम्मत खर्च से बचने के लिए वर्षो तक टिकने वाली सीमेंट सड़कों के निर्माण के लिए दबाव बनाते रहे.जब उन्हें मौका व अधिकार मिला तो शहर में सीमेंट सड़कों का मकड़जाल बिछाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

शहर में सीमेंट की सड़कों का निर्माणकार्य का अनुभव किसी ठेकेदार को नहीं होने के बाद भी नियम को तोड़-मड़ोड़ कर अपने पक्ष समर्थक ठेकेदारों को सीमेंट सड़क का ठेका दिलवाया. जब ठेका ही गलत ढंग से वितरित किया गया तो निर्माणकार्य में बड़ी संख्या में त्रुटियाँ होना लाजमी हैं.

शुक्रवार को महामहिम के हस्ते कवि सुरेशभट्ट सभागृह का उद्धघाटन हुआ, ठीक इसके सामने सीमेंट की सड़क (बैधनाथ चौक से रेशिमबाग चौक के आगे तक) है और इस सड़क पर कई दर्जन दरारे दर्शा रही हैं कि किस गुणवत्ता के साथ निर्माणकार्य किया गया है.

मनपा के पूर्व स्थाई समिति अध्यक्ष बाल्या बोरकर के कार्यकाल में उनके घर के दोनों ओर ८ से ९ टुकड़ों में सीमेंट सड़क का निर्माणकार्य किया गया था. इस सीमेंट सड़कों का पूर्ण निर्माणकार्य आज तक नहीं किया गया,बोरकर के अनुसार लगभग सभी सीमेंट सड़कों का ठेकेदार एक ही है,उन्हें अधूरे किये गए कार्यो का पूरा भुगतान तक बिना जाँच-पड़ताल किये जाने की जानकारी मिली हैं. आधे-अधूरे निर्माणकार्य से उक्त करोड़ों के सड़कों पर आवाजाही करने वाले आयेदिन छोटी-बड़ी दुर्घटनाओं से सामना करते हैं. उक्त सड़कों में से २०% सड़क का हिस्सा पूर्ण नज़र आया.

क्या उक्त मामलात भ्रष्टाचार से प्रेरित नहीं हैं,क्या उक्त मंत्री की नज़र में निर्माणकार्य पर किये गए खर्च बेफजूल नहीं हैं.सारे कानून-कायदे सिर्फ भोली-भाली करदाता रूपी जनता के लिए हैं.और अंत में यही महसूस कर संतोष करना पड़ेंगा ‘जिसकी लाठी,उसकी भैंस’.आलम तो यह हैं कि घर से भोजन करके निकले नागरिक को भोजन हजम करने के लिए न कोई योग,न कोई दवा और न और कोई उपाययोजना करने की जरुरत है,वह सिर्फ इतना ही करें कि घर से भोजन कर शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक दो या चार पहिये से घूम आये.