जनसुनवाई में कड़ा विरोध
अमरावती। प्रस्तावित बिजली दरवृध्दि का बिजली निमायक आयोग (एमइआरसी) को गुरुवार को कड़ा विरोध झेलना पड़ा. संभागीय राजस्व आयुक्तालय में चली जनसुनवाई में सहभागी हुये उद्योजकों, व्यापारियों ने बेतहाशा दर वृध्दि तत्काल रद्द करने की मांग बुलंद की. कड़ा विरोध करते हुये सभी ने अपना आक्षेप दर्ज किया. इस समय आयोग प्रमुख चंद्रा अयंगार, डायरेक्टर खान, ई डायरेक्टर लाड, सेक्रेटरी आश्विनी कुमार उपस्थित थे.
एडीशनल चार्ज के अनुसार वसूली
किरण पातुरकर ने महावितरण व्दारा दाखिल की गई याचिका को गुमराह करने का आरोप लगाया. कहा कि यह पीटिशन 7 रुपये 1 पैसे के आधार पर दाखिल करनी चाहिए थी. जबकि महावितरण ने यह पीटिशन एडीश्नल चार्ज यानी 8 रुपये 59 पैसे के अनुसार वसूली शुरु की है. अलग-अलग अपील के अनुसार अदालत ने भी वसूली के अधिकार प्रदान की थे. किंतु यह भी सच है कि कानून के मुताबिक 10 प्रतिशत से अधिक बिजली दरवृध्दि करना नियम के खिलाफ है. पातुरकर ने महावितरण पर 40 पैसे रेट कम करने का बहाना कर जनता को उल्लू बनाने का आरोप भी लगाया.
90 प्रतिशत बिजली जा रही बाहर
पातुरकर ने कहा कि बिजली के लिए पानी जमीन हम देते है लेकिन 90 प्रतिशत बिजली विदर्भ से बाहर जाती है. जबकि यहां जनता तथा किसान लोडशेडिंग का सामना करता है. बिजली नहीं होने से उद्योग धंदे बंद पड रहे है. युवा वर्ग बेरोजगार हो रहा है. इसलिए विदर्भ वासियों को कम रेट से बिजली आपूर्ति करने पर भी आयोग ने विचार करने के प्रस्ताव के साथ ही किसानों के कृषि पंपों का ऑडीट करने की मांग की. उन्होंने आयोग को बताया कि किसानों को हमेशा ही दोषि ठहराया जाता है. लेकिन वास्तविकता ऑडीट में ही पता चल सकती है. किसानों को 24 घंटे बिजली उपलब्ध नहीं रहने के बावजूद हजारों रुपयों का बिल थमाया जाता है. समयावधि के पहले ही कनेक्शन कांटकर मनमानी कामकाज महावितरण कर रही है,जिससे भी किसान परेशान है.