Published On : Fri, Feb 21st, 2020

अवैध शिकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट में डाली याचिका : वन्यजीव प्रेमी संगीता डोगरा

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नागपुर– करीब 2 साल पहले यवतमाल जिले में अवनी नामक बाघिन को नरभक्षी होने के नाम पर शूट किया गया था. इसको शूटर असगर अली ने शूट किया था. अवनि के मारे जाने के बाद कई वन्यजीव संघटनो ने इसका विरोध किया था. इसके साथ ही शूटर शफ़ात खान ने भी कई वन्यजीव को शूट किया है. कई वन्यजीव के संरक्षण करनेवाले पशुप्रेमियों ने शूटर शफ़ात खान की गिरफ्तारी की मांग की थी और उसके हथियार को जब्त करने की भी मांग की गई थी. शफ़ात खान और दूसरे शूटरो द्वारा अवैध तरीके से वन्यजीवो को जान से मारने के मामले में दिल्ली की वन्यजीव प्रेमी और रेड लिंक्स कॉन्फ़ेडरेशन ( Red Lynx Confederation) की संगीता डोगरा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है. डोगरा से बातचीत के अनुसार अवैध पद्दति द्वारा वनजीवों को मारना, शूटरों के पास मौजूद हथियार के बारे में जानकारी और इसके साथ ही किया गया नियमों का उल्लंघन यह सभी बातें याचिका में दी गई है. इस मामले में वे खुद अपना केस लड़नेवाली है. इस बारे में संगीता ने बताया की जब कोई खुद अपने केस की पैरवी करता है तो वो बेहतर ढंग से मामले को कोर्ट के सामने रखता है. क्योंकि सम्बंधित मामले और घटना के बारे में उसे अच्छी जानकारी होती है.

डोगरा के अनुसार 2018 में यह पता चला था कि टाइग्रेस टी 1, जिसे अवनी के नाम से जाना जाता है. और मैंने इस मामले को जानने और समझने के लिए अपना शोध शुरू किया, मामला बहुत आसान लग रहा था लेकिन फिर यह जटिल तथ्यों और कई सबूत बाहर निकले और शिकारियों के हथियारों के साथ उनके जुनून के बारे में पता चला. 1.4 वर्षों में अध्ययन और अनन्य अनुसंधान से पता चला कि इसके खेल श्रेणी के हथियार धारक जो संरक्षणवादी के रूप में काम कर रहे हैं, जो सरकार के साथ पैनल पर आते हैं और राज्य सरकार के अधिकारियों को अपनी हथियार सेवाएं प्रदान करते हैं, जहां ये शिकारी-सह-संरक्षणकर्ता नहीं हैं कथित तौर पर सेवा के लिए कोई भी पैसा चार्ज नहीं करते हैं , लेकिन इन शिकारियों को शिकार करने के बाद काफी सुकून और संतोष मिलता है.

डोगरा ने अपनी याचिका में कहा है की विशेष रूप से खेल शूटिंग का मतलब इन खिलड़ियों ने सार्वजनिक संपत्ति यानि वाइल्ड एनिमल्स को नष्ट करने का लक्ष्य रखा है. जंगली जानवर हमारे देश के वन्यजीव धन हैं राष्ट्रीय पशु टाइगर और राष्ट्रीय धरोहर हाथी को ज्यादातर अपमानित तरीके से गोली मार दी जाती है और उनके शव का विज्ञापन सामाजिक मंच और अंतर्राष्ट्रीय शिकार वेबसाइट पर किया जाता है. सोशल मीडिया पर प्रदर्शित की जाने वाली तस्वीरें जहाँ इसे पर्यावरण संरक्षणवादी कहा जाता है या समाज सेवा के रूप में चित्रित करती हैं. यह हथियार धारक मंत्रालय केंद्र या राज्य की निगाह में नहीं आते हैं क्योंकि ये मंत्रालय केंद्रीयकृत नहीं होते हैं और ये लोग अच्छे से जानते हैं और अपराध करते जाते हैं.

डोगरा ने अपनी याचिका में ठाकूर दत्त जोशी, आशिष दास गुप्ता, लखपतसिंग रावत, कुंवरसिंग, प्रेमसिंह नेगी, सैफी, दीपक सिंह, अली अदनान, ताजबीरसिंह रावत, विजेंद्रसिंग चौहान, प्रशांत सिंह, जॉय हुकील, गंभीर सिंह भंडारी, अशोक मित्तल, बलबीरसिंग पवार इन शूटरों के नाम भी डाले है.

शफ़ात अली ख़ान, असगर अली ख़ान (व्यवसाय किसी को पता नहीं), लखपत सिंह, जो उत्तराखंड में सरकारी स्कूल के शिक्षक हैं ने अपमानजनक रूप से जानवरों का शिकार किया, जो कि राष्ट्रीय पशु अधिनियम 1971 और राष्ट्रीय पशु संरक्षण अधिनियम, राष्ट्रीय प्रतीक और प्रतीक का शिकार करके अपमानित हुए. देशभक्ति और राष्ट्रीय धरोहर हाथी को भी उसी तरह मारा गया था. विभिन्न राज्यों से प्राप्त आरटीआई की मदद से पाया गया कि पोस्टमार्टम में कोई भी जानवर नरभक्षी नहीं पाया गया. उत्तराखंड में 213 पशु मारे गए हैं, उन्हें मनुष्य भक्षक घोषित किया गया है, इसलिए नहीं कि वे मानव भक्षक थे, इसलिए की उनको ढूंढना मुश्किल था. एक तेंदुए की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसे आदमखोर घोषित किया गया था, लेकिन पोस्टमार्टम में पता चला कि उसके पास 35 दिनों का भ्रूण था और इस तरह के कई उदाहरण याचिका के साथ तैयार किए गए हैं.

अगर तेंदुए को वैज्ञानिक रूप से आदमखोर घोषित कर दिया जाता तो यह दोहरी हत्या नहीं होती. इस लाभ के लिए केवल शिकारी जानवरों को शिकार करने के लिए अपनी शिकार की हवस के रूप में बेनफिट कर रहे हैं. पीलीभीत टाइग्रेस जो 2009 में मृत हो गई थी, वह भी नरभक्षी नहीं थी और शिकारी ने बेरहमी से उसको उसके नाक के बीच गोली मारी थी. उसके अलावा भी 2 और गोलियां मारी थी, यह घोषणा करते हुए कि शफ़ात अली खान ने www.africahunting.com पर आईडी rinehart0005 द्वारा प्रकाशित और उक्त विवादास्पद शिकारी द्वारा विभिन्न शिकार किए. शफ़ात 2013 में हिमाचल में उसने 1 तेंदुए की गोली मारकर हत्या कर दी, उसका वजन 65 किग्रा था जो एक आदमखोर नहीं था और फिर उसने एक अन्य तेंदुए को गोली मार दी जो शावक का वजन 30 किलोग्राम था, और दोनों के सामने पोस्टमार्टम में कुत्ते के बाल थे. पिछले 1.4 वर्षों में हर प्राधिकरण को कई ईमेल लिखे गए हैं लेकिन उसका लाइसेंस फिर भी नवीनीकृत किया गया है.

डोगरा ने कहा की यह मेरी तीसरी याचिका होगी, इससे पहले टाइगर राम और चिंपांजी रीता की मृत्यु का मामला दिल्ली के माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष उप-न्यायिक है.बिट्टू टाइगर जो दिल्ली चिड़ियाघर में 6 साल से कैद है और उसके दांत टूटे हुए हैं , माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है.


इस याचिका में स्पोर्ट्स वेपन लाइसेंस, यूथ अफेयर और खेल मंत्रालय और पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के भेस में किए गए प्रत्येक अपराध के बारे में 32 उत्तरदाता और दस्तावेजी विवरण शामिल हैं और ये कुख्यात असामाजिक तत्व पूरी सरकार को चालाकी से धोखा दे रहे हैं. शिकार के इस युग की उम्मीद और वन्यजीवों के धन का विनाश जल्द ही समाप्त हो जाएगा खेल मंत्रालय और भारतीय शस्त्र अधिनियम में ऐसे तत्वों के खिलाफ नए दिशानिर्देश मिलेंगे.