नागपुर: गत पाच छह वर्षों से किसानों को ओलावृष्टि, तुफान,बेमौसम बारिश, सुखा,बोंड इल्ली, कोहरे की मार से तथा उत्पादन फसलों को आर्थिक रूप बाजार भाव नहीं मिलना लागता अनुसार फसलों का उत्पादन में कमी तथा फसलों उचित मुल्य न मिलने से खर्चा भी निकलना मुश्किल हो गया है। आये दिन रासायनिक खाद तथा कृत्रिम खादों के दाम बढ़ाने उनकी किमते आसमान छू रहे हैं. तथा किसानों के हित में न निसर्ग और व्यापारी नीति न सरकार कोई उपाययोजना भी किसानों को कोई मददगार साबित नहीं होते दिखाई दे रही है.
जिससे किसान आज सभी जिने की उम्मीद से हार का सामना करते हुए दिखाई देता है. वर्तमान स्थिति में सुधार जल से जल नहीं हुई तो इस तरह के चक्रव्यूह में गिरे किसानों आधे से ज्यादा खेत खलिहानों को बंजर भूमि होने में देर नहीं लगती जिस वजह से अधिकांश किसानों ने अपने खेत खलिहानों को बेचना शुरू कर दिया है. लेकिन आज भी पहले के तौर तरीके से अब किसानों को अपनाना चाहिए जिससे कम खर्च में कटौती की खेती करने लगे तो उत्पन्न में बढ़त होगी। वहीं आज अब पुरानी पद्धति से सेंद्रिय खेती (खोबर खाद) कि और ज्यादा रूख करते दिखाई दे रहे हैं.
जैसे जैसे मोसम अपना रूख कर रहा है वैसे ही किसानों द्वारा अपने खेत खलिहानों कार्य तैयारी तेज कर दी है. रोज दिन में धूप छाव के मौसम के गर्मी अपना रूख दिखाई दे रही है वहीं शाम होते होते हुए बादलों का गर्जना के साथ जमकर बरस रहे हैं.
जिस वजह से किसानों की समय अनुसार हो रही बारिश से नहीं किरनो कि उम्मीद आस लगाए जा रहे हैं अपने खेतों को तैयार कर भूवाई पैरनी करने के लिए तैयार बैठे हुए हैं और जोरदार झम झम बारिश का इन्तजार कर रहे हैं.