Published On : Thu, Nov 29th, 2018

पाटणसावंगी टोल प्लाजा : पुलिसवालों के परिवारों को क्यों मिल रही छूट?

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नागपुर: राष्ट्रीय राजमार्ग-69 पर महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की सीमा पर नागपुर-सावनेर-बेतूल रोड पर स्थित पाटणसावंगी टोल प्लाजा एक बार फिर विवादों में है. इस बार कुछ खास पुलिसवालों के नामों वाली लिस्ट सामने आई है जिसके अनुसार इन लोगों और इनके परिवार के वाहनों को टोल की रियायत दी जा रही है।

दरअसल नागपुर टुडे के हाथ कुछ तस्वीरें लगी हैं जो कड़वी सच्चाई को बयां करती हैं. यही नहीं इस संदिग्ध कनेक्शन का पर्दाफाश भी करती हैं. नागपुर टुडे ने जब इस टोल प्लाजा के केबिन का निरीक्षण किया तो पाया कि यह प्लाजा केसीसी कंपनी – जो वर्तमान ऑपरेटर है द्वारा संचालित है. यहां स्थानीय प्रतिनिधि और पुलिस अधिकारियों के परिजनों को टोल की छूट दी जाती है. वहीं आम वाहन चालकों से यहां सख्ती से टोल वसूला जाता है.

सूची ने खोली पोल
नागपुर टुडे के पास उपलब्ध तस्वीरों के अनुसार पाटणसावंगी टोल प्लाजा में टोल संग्रह केबिन के अंदर कुछ सूचियों को चिपकाया गया है, जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों के नाम विशेष रूप से उनके और उनके परिवारों को टोल टैक्स का भुगतान करने से छूट देने के लिए उल्लेख किया गया है. केबिन के अंदर लगाई गई हस्तलिखित सूची में उल्लिखित नाम पुलिस निरीक्षक पारधी साहेब, पुलिस सब-इंस्पेक्टर – दंडवते, यादव, सोनवणे, तालिकोथ, देशमुख, नेरकर हैं. अंत में यह विशेष रूप से उल्लेख किया गया कि इन पुलिसकर्मियों के परिवारों को जाने की अनुमति दी जानी चाहिए. सूची में केवल उपनामों का उल्लेख किया गया है और उच्च स्तर की जांच में इन नामों का खुलासा हो सकता है। इसी तरह, यह भी उल्लेख किया गया है कि गुरुकृपा और ओरिएंटल कंपनियों के वाहनों को भी इसके तहत मुक्त रखा गया है.

पक्षपात का आरोप
स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि टोल प्लाजा में कार्य पूरी तरह पक्षपातपूर्ण है. इस टोल प्लाजा का संचालन केसीसी कंपनी द्वारा किया जा रहा है, जिसने पांच महीने पहले ही इसे चलाना शुरू किया है. उदय शिंदे इस कंपनी का प्रतिनिधित्व करते हैं. पहले, मुंबई से प्रवीण पांडे द्वारा इस टोल बूथ का संचालन किया जा रहा था. अपने कार्यकाल के दौरान पांडे विवाद में बने रहे.

आपसी समझ से मिल जाती है रियायत
जब नागपुर टुडे ने उदय शिंदे से संपर्क किया, तो उन्होंने ऐसी किसी भी सूची से अनभिज्ञ होने की जानकारी दी. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले ठेकेदार इस तरह के काम में थे और छूट सूची में 3000 से ज्यादा वाहन शामिल किए थे. उन्होंने कहा की, “अब हम उन सूचियों को हटाने की कोशिश कर रहे हैं,” उन्होंने कहा, कि “वर्दी में किसी भी पुलिसकर्मी को आपसी समझ पर छूट की अनुमति है.” जब उनसे पूछा गया कि पुलिसवालों के परिवारों को किसी भी टोल शुल्क के भुगतान के बिना क्यों छोड़ा जा रहा है, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले को देखना होगा.

कौन हैं ये उपद्रवी तत्व?
शिंदे ने और स्पष्ट करते हुए कहा कि कभी-कभी मोटरसाइकल टोल बूथ पर उपद्रव पैदा करते हैं, जिससे जाम होता है. खासतौर से, उन्होंने कुछ अन्य लोगों को इस अन्य संकीर्ण बूथ पर किसी भी अव्यवस्था से बचने के लिए जाने दिया जाता है. हालांकि, उन्होंने उल्लेख नहीं किया कि ये लोग कौन हैं, जो टोल बूथ पर उपद्रव पैदा करते हैं. ऐसे में ये आशंका जताई जा रही है कि कहीं ये उपद्रवी तत्व खाकी वाले तो नहीं?

जांच करके लेंगे एक्शन : राकेश ओला
इस बीच जब नागपुर टुडे ने पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) राकेश ओला से संपर्क किया, तो उन्होंने व्हाट्सएप पर तस्वीरें मांगी. जब हमने तस्वीर साझा की और उनसे जवाब मांगा तो उन्होंने कहा कि, “पुलिसकर्मियों और उनके परिवारों को ऐसी कोई छूट की अनुमति नहीं है. केवल सरकारी वाहनों और कुछ छूट वाले लोगों को रियायत होती है. मैं इस मामले की और जांच करूँगा और आगे की कार्रवाई करूँगा.