Published On : Mon, Jun 17th, 2019

नसीब हो तो डॉ. परिणय फुके जैसा.

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किस्मत से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता?

गोंदिया-भंडारा जिले के राजनीतिक जीवन से जुड़ा हर नेता आज यहीं सोचता होगा , भाग्य हो तो डॉ. परिणय फुके जैसा..?
लालबत्ती में घुमना भला किसे अच्छा नहीं लगता? जब मंत्रीजी दौरे के लिए निकलते है तो उनके वाहन के आगे पुलिस की पायलट गाड़ी एक विशेष सायरन बजाते हुए सरपट चलती है जिससे उसके रूतबे में चार चांद लग जाते है।

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कार से उतरते ही जिले के बड़े-बड़े आला अधिकारी सेल्यूट बजाते हुए नजर आते है तब मन के भीतर एक अलग ही उर्जा का संचार होता है। रेस्ट हाऊस में प्रवेश करते और निकलते वक्त लाल कारर्पेट बिछायी जाती है और पुलिस अधिकारी व कर्मचारी सेल्यूट मारकर सलामी देता हुआ दिखाई पड़ता है। तब आस-पास मौजुद कार्यकर्ता भी अपने चेहते नेता के इस जलवे को देखकर खुद को गौरान्वित महसुस करते है।

लेकिन एैसी खुशियां हर किसी के नसीब में नहीं होती? बात गोंदिया के कांग्रेसी नेता की ही कर लें, तो वे 2 टर्म विधान परिषद सदस्य रहे अर्थात 12 वर्षों के विधान परिषद के काम का अनुभव तथा गत 3 टर्म से वे गोंदिया विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे है अर्थात 15 वर्षों से वे गोंदिया के विधायक है और उन्होंने जीत की हैट्रिक भी लगायी है। कुल मिलाकर उनके राजनीतिक अनुभव की बात करें तो वे गत 27 वर्षों से विधिमंडल में है।

विशेष उल्लेखनीय है कि, महाराष्ट्र राज्य में 10 वर्षों तक कांग्रेस और राष्ट्रवादी के गठबंधन की सरकार रही इस दौरान जब-जब मंत्रीमंंडल के विस्तार की घोषणा होती थी तो कांग्रेसी नेता की बांछें खिल उठती थी और उनके चेले-चपाटे बढ़-चढ़कर इस प्रचार में जुट जाते थे कि, इस बार उन्हें लालबत्ती नसीब होगी ? लेकिन हर बार की तरह बार-बार बिल्ली रास्ता काट जाती थी और मंत्री मंडल की विस्तार प्रक्रिया पूर्ण हो जाने के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा यह कहते हुए गुस्सा उतारा जाता था कि, भाईजी की वजह से हमारे नेता मंत्री नहीं बन पा रहे है?
हालात यह हो गए कि, मंत्रीपद पाने की चाह में उन्होंने राष्ट्रवादी नेता से सारे मतभेद खत्म कर समझौता कर लिया बावजूद उन्हें मंत्री पद नसीब नहीं हुआ और वे वरिष्ठ कांग्रेसी विधायक होने की वजह से लोक लेखा समिति के अध्यक्ष बना दिए गए।

अब 27 वर्षों के राजनीतिक अनुभव का उनके पास यहीं एक पारितोषिक पुरस्कार है जिसका मलाल आज भी कांग्रेसी नेता और उनके कार्यकर्ताओं के मन को कचौटता जरूर होगा?

अब बात राष्ट्रवादी कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रफुल पटेल के भक्त कहे जानेवाले पूर्व विधायक राजेंद्र जैन की करें तो वे भी 2 बार एमएलसी चुनाव जीतकर 12 वर्षों तक विधान परिषद सदस्य रहे है और विधिमंडल में लंबे अनुभव के बावजूद उन्हें भी लालबत्ती नसीब नहीं हुई।

एक वक्त एैसा आया कि जब लगा राजेंद्र जैन को इस बार मंत्रीमंडल विस्तार में जगह मिलेगी और वे लालबत्ती हासिल करने में कामियाब होगे लेकिन भाग्य यहां भी धोखा दे गया। गोंदिया-भंडारा जिले को प्रतिनिधित्व मिला लेकिन राष्ट्रवादी कोटे से उनके विधायक नानाभाऊ पंचबुद्धे की लॉटरी निकली और वे उन्हें 6 माह तक मंत्रीपद की कुर्सी को सुशोभित करने का मौका मिला।

तो इस तरह गोंदिया-भंडारा जिले की राजनीति में हमेशा यह कहावत चरितार्थ होती रही है, कि जब तक प्रफुल पटेल न चाहे तब तक इस क्षेत्र से कोई नेता मंत्री नहीं बन सकता? लेकिन इस मिथ्या को डॉ. परिणय फुके ने तोड़ दिया और उन्होंने प्रफुल पटेल के भक्त कहे जानेवाले राजेंद्र जैन तथा कांग्रेसी उम्मीदवार प्रफुल अग्रवाल को हराकर ना सिर्फ विधान परिषद में प्रवेश किया बल्कि महज 3 वर्ष के विधायकी कार्यकाल में ही उन्होंने मंत्री पद की कुर्सी हासिल कर ली, इसलिए अब क्षेत्र की जनता के जुबान पर बस एक ही वाक्य है, नसीब हो तो डॉ. परिणय फुके जैसा…

डॉ. परिणय फुके को राजनीति विरासत में मिली, नागपुर जिले के सावरगांव जिला परिषद क्षेत्र से उनके पिता रमेश फुके जि.प. सदस्य चुने गए। बड़े-बड़े राजनेताओं के साथ मेल-मुलाकात से डॉ. परिणय फुके में भी समाज सेवा का जज्बा जागृत हुआ और वे 2003 से सामाजिक कार्यों में विशेष रूची रखते हुए नागपुर में दुर्गा उत्सव जैसे बड़े आयोजन में खास भूमिका निभाते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में कामियाब हुए।

वर्ष 2007 में जब उनकी उम्र महज 26 वर्ष थी तब बतौर निर्दलीय नागपुर महानगर पालिका का चुनाव लड़ा और इलेक्शन जीते जिसके बाद नगर परिषद सेवक के प्रथम कार्यकाल में उन्होंने अपने क्षेत्र में 24 घंटे जलापूर्ति योजना, प्रभाग के घर-घर में नल योजना, सीमेंट सड़कों के निर्माण, जैसे कार्य करते हुए नगर का विकास किया जिसकी वजह से इलाके में उनकी पेठ गहरी हो गई। दुसरे कार्यकाल में उन्होंने बतौर निर्दलीय 4 हजार मतों से जीत दर्ज की तथा प्रभाग के 600 लोगों को घरकुल योजना का लाभ दिलाया। 1500 लोगों को मालकी हक्क के पट्टे दिलाए। अंबाझरी परिसर की सैकड़ों एकड़ जमीन बायो डायर्व्हसिटी पार्क प्रोजेक्टर लाने में कामियाबी हासिल की। इसी दौरान तत्कालीन आमदार देवेंद्र फडणवीस के चुनाव में उन्होंने अपनी खास भूमिका निभायी जिसके बाद वे फडणवीस के घनिष्ठ सहयोगी बन गए।

अक्टू.2016 में बीजेपी में गोंदिया-भंडारा क्षेत्र से उम्मीदवारी का उन्हें प्रस्ताव दिया जिसे उन्होंने स्वीकार करते हुए विगत 48 वर्षों से राष्ट्रीय कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाले इस किले में सेंध लगाकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

भाजपा आलाकमान ने उनकी योग्यता व काबिलियत का इस्तेमाल गोंदिया-भंडारा 2019 के लोकसभा चुनाव में किया। डॉ. परिणय फुके ने सुझबुझ व बेहतर चुनावी रणनीती बनाकर कार्यकर्ताओं से आपसी समन्वय स्थापित कर बीजेपी उम्मीदवार सुनील मेंढे को 2 लाख मतों से जीत दिलाकर संसदीय क्षेत्र पर भाजपा का परचम ऐतिहासिक जीत के साथ लहराया। पार्टी के प्रति समर्पण और उनकी मेहनत का ही परिणाम कहें कि, 38 वर्ष की उम्र में उन्हें महाराष्ट्र के मंत्रीमंडल में मुख्यमंत्री ने स्थान दिया और उन्हें अब सार्वजनिक बांधकाम, वन व आदिवासी विकास मंत्रालय को संभालने की खास जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस तरह 26 वें वर्ष में नगरसेवक और 38 वें वर्ष में पदार्पण करते ही मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

गोंदिया-भंडारा में खुशी की लहरः आतिशबाजी, मिठाईयां बटी

गोंदिया-भंडारा विधान परिषद सदस्य डॉ. परिणय फुके के राज्यमंत्री पद की शपथ लिए जाने के साथ ही गोंदिया-भंडारा जिले में हर्ष की लहर दौड़ गई। नवनिर्वाचित लोकसभा सांसद सुनील मेंढे ने भंडारा के गांधी चौक पहुंचकर राष्ट्रपिता की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ चौराहे पर आतिशबाजी करते हुए मिठाईयों के वितरण के साथ खुशी का इजहार किया।

गोंदिया जिले में भी कुछ एैसा ही नजारा देखने को मिला। जगह-जगह आतिशबाजी हुई और मिठाईयां बांटी गई। डॉ. परिणय फुके के समर्थकों ने शहर के प्रमुख चौराहों पर होर्डिग लगाकर शहर को शुभकामनाओं के पोस्टर-बैनर से पाट दिया है। सोशल मीडिया पर भी बधाई देने वाले और पोस्ट भेजने वालों की कमी नहीं है।

रवि आर्य

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