Published On : Thu, Mar 11th, 2021

चंद्रपुर जिले के 4 रेत घाटों की जाँच का आदेश

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– राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात ने जिला कांग्रेस के महासचिव गज्जू यादव की शिकायत पर विभागीय आयुक्त को दिया निर्देश

नागपुर/चंद्रपुर : चंद्रपुर जिले के 4 रेती घाटों में नियम के विरुद्ध जाकर उत्खनन सह भ्रष्टाचार की शिकायत मिलते ही राज्य के राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात ने जाँच के आदेश दिए.इस जाँच के लिए विभागीय आयुक्त को लिखित निर्देश देते हुए अविलंब जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया.दूसरी ओर सक्षम जाँच अधिकारी नियुक्त करने व जल्द से जल्द जाँच प्रक्रिया पूर्ण करवाने में विभागीय आयुक्त कार्यालय आनाकानी कर रही.इससे जाँच बाधित होने की संभावना एमओडीआई फाउंडेशन ने जताई हैं.

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गत माह जिला कांग्रेस के महासचिव गज्जू यादव ने उक्त मामले की शिकायत सह सबूत राजस्वमंत्री बालासाहेब थोरात को सौंपी और उच्च स्तरीय जाँच की मांग की थी.जिसकी गंभीरता को देखते हुए मंत्री थोरात ने विभागीय आयुक्तालय को जाँच के आदेश दिए.

याद रहे कि पिछले फडणवीस सरकार क्र कार्यकाल में दुर्बल घटक के लाभार्थियों को निर्माणकार्यों के लिए और सरकारी प्रकल्पों के लिए रेती देने के उद्देश्य से महाराष्ट्र राज्य खनिकर्म महामंडल के लिए आरक्षित की गई चंद्रपुर जिले के हड़दा -3 (ब्रम्हपुरी), बोडधा (ब्रम्हपुरी), चिचगांव (ब्रम्हपुरी), अन्हेरवनगांव (चिखलधोकड़ा), ब्रम्हपुरी के रेती घाटों से महामंडल और चंद्रपुर जिला प्रशासन ने करोड़ों की रेती बाहर बेच दी,जिससे लाभार्थी प्रभावित हुए,इसके साथ ही राज्य सरकार को करोड़ों का राजस्व नुकसान भी हुआ.इस संगीन मामले की निष्पक्ष जाँच हेतु मुख्यमंत्री,राजस्वमंत्री से निवेदन की गई.

याद रहे कि उक्त चारों रेती घाट सरकारी प्रकल्पों और योजनाओं के लिए आरक्षित की गई थी.इन चारों रेती घाटों में खनिकर्म महामंडल और चंद्रपुर जिला प्रशासन ने संयुक्त रूप से बड़ी हेराफेरी की गई .

इस सन्दर्भ में निम्न मुद्दों पर गौर करने के साथ ही इन सभी मुद्दों की सूक्ष्म जाँच की नितांत आवश्यकता हैं.
1. सरकारी निर्णय के अनुसार उक्त सभी रेती घाटों से उत्खनन महामंडल खुद करें या फिर सम्बंधित ग्रामपंचायत के मार्फ़त होनी चाहिए,वह भी रेती घाट निलामी के लिए तय शर्तों के आधार पर.शासन के अनुमति के बगैर न घाट संचलन करने हेतु किसी को दे सकते और न ही हस्तांतरण और न ही साझेदारी कर सकते।इसके बावजूद गुप्ता कंस्ट्रक्शन नागपुर को उक्त सभी रेती घाट चलाने के लिए खनिकर्म महामंडल ने दिया।
2. गुपचुप रूप से महाराष्ट्र राज्य खनिकर्म महामंडल ने MDO(माइन डेवलपर कम ऑपरेटर) की नियुक्ति की.
3. उक्त रेती घाटों के निलामी के लिए महामंडल ने कब और कैसे और किन शर्तों पर का पालन किया,इसका जवाब महामंडल के पास नहीं।
4. गर महामंडल ने उक्त रेती घाटों के लिए निविदा आमंत्रित की तो कितनी पार्टियों ने टेंडर में भाग लिया,इन सभी द्वारा जमा किये गए कागजातों की सूक्ष्म जाँच हो,जानकारी मिली कि भाग लेने वाले सभी ने एक सा रकम टेंडर में ‘कोट’ किया,सभी टेंडर फॉर्म के ही HAND WRITING से भरी गई.
5. महामंडल ने सभी रेती घाटों से उत्खनन,परिवहन,लोडिंग के लिए रिज़र्व रेट ( OFFSET RATE) रखा था या नहीं,गर हाँ टी इसकी जाँच होनी आवश्यक हैं.
6. उक्त सभी रेती घाट का ठेका लेने वाले GUPTA CONSTRUCTION द्वारा जमा BANK GUARANTEE और उसकी तिथि की जाँच से कई राज का खुलासा हो सकता हैं.यह भी जानकारी मिली की महामंडल ने बिना AGREEMENT के WORK ORDER दिए.यह भी पता चला कि WORKORDER के 3 माह बाद BANK GUARANTEE जमा करवाई गई.
7. खनिकर्म महामंडल की ओर से ADDITIONAL COLLECTOR CHANDRAPUR को हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत किया गया,इस नियुक्ति प्रकरण की भी जाँच हो.
8. महामंडल की ओर से वर्ष 2019 जून,जुलाई,अगस्त,सितंबर माह में उक्त सभी घाटों से की गई उत्खनन,परिवहन,बिक्री और शेष STOCK की जाँच भी जरुरी हैं.इस दौरान कुल कितने मजदूरों से काम लिया गया,उनका नाम,पता,आधार कार्ड नंबर और उन्हें दिया गया मेहनताना का ब्यौरा दिया जाए.
9. उक्त सभी रेती घाटों से रेती उत्खनन कर उन्हें STOCK POINT तक लाने के लिए कितनी TRACTOR का उपयोग किया गया था.इन TRACTORS का नंबर,TRACTOR के मालिकों का नाम की जाँच हो,इन TRACTORS में GPS/RPID था या नहीं ?
क्यूंकि 1 ही क्रमांक का ट्रैक्टर 1 ही समय में सभी रेत घाटों पर होने का मामला दर्ज किया गया हैं.उक्त रेती घाटों से STOCK POINT 1KM,2KM,13KM और 39KM दर्शाया गया.अर्थात रेती उत्खनन बाद अन्यत्र जगह बिक्री की गई,इसलिए सभी TRACTOR का GPS LOCATION जांचने की आवश्यकता हैं.
10. महामंडल की ओर से वर्ष 2019 जून,जुलाई,अगस्त,सितंबर माह में उक्त सभी घाटों में लगाए गए CCTV फुटेज की जाँच हो.
11. महामंडल की ओर से वर्ष 2019 जून,जुलाई,अगस्त,सितंबर माह में उक्त सभी घाटों में बरसात के समय और बरसात के बाद का SAND STOCK की CCTV फुटेज की जाँच हो.
12.उक्त घाटों से उत्खनन बाद किस दर से रेत बेची गई,इसका INVOICE की जाँच जरुरी हैं.
13. उक्त सभी रेती घाटों के लिए दी गई BRASS ROYALTY के लिए SHAURYA INFOTECK TECHNOSOFT PVT. LTD. को दी गई रकम की जाँच भी जरुरी हैं.
14. इसके लिए जारी TRADING LICENSE जारी करने के लिए अधिकृत किये गए अधिकारी का नाम और पद की जाँच
15. मेसर्स गुप्ता कंस्ट्रक्शन को 4 माह के लिए उक्त सभी रेती घाटों से उत्खनन,परिवहन और बिक्री का ठेका/अनुमति दी गई,और शेष STOCK की जाँच हो.
16. उक्त सभी घाटों की ENVORNMENT MINING PLAN और MINE CLOSE PLAN संदर्भ में किया गया व्यवहार की जाँच हो.
17. उक्त सभी घाटों की निगरानी के लिए तैनात किये गए सुरक्षा-रक्षकों के नाम,आधार कार्ड,और उन्हें दिया गया भुगतान के नस्ती की जाँच हो.

इसके पूर्व शहबाज़ सिद्दीकी ने गत माह विभागीय आयुक्त का ध्यानाकर्षण करवाते हुए उच्च स्तरीय जांच सह दोषियों पर कड़क कार्रवाई मांग की। शहबाज़ के अनुसार खनिकर्म महामंडल ने चंद्रपुर जिले के चिंचगांव,हरदा-3,बोरधा, अन्हेरीनवरगांव(चिखलधोकड़ा-2) रेत घाट सरकारी प्रकल्पों के लिए आरक्षित किया था। शासन निर्णय के हिसाब से इन घाटों की रेती की नीलामी करने के पूर्व राज्य सरकार से अनुमति लेनी अनिवार्य की गई थी,या फिर सरकारी प्रकल्पों के लिए खनिकर्म महामंडल या फिर संबंधित ग्रामपंचायत के मार्फत उत्खनन करने का नियम होने के बावजूद नियमों को ताक पर रख चारों घाटों की निलामी की गई।

निलामी हेतु नियम-शर्तो के हिसाब से नदी से रेती निकाल कर तय STOCK क्षेत्र में जमा करना था। नदी से STOCK तक रेती लाने के लिए दिखाए गए ट्रैक्टरों का RTO में पंजीयन कृषि उपयोग दर्शाया गया,जबकि कमर्शियल होना चाहिए था। चारों घाटों के लिए लगभग 200 ट्रैक्टरों का उपयोग दर्शाया गया। लेकिन इन ट्रैक्टरों में रेत भरने वाले मजदूरों का कोई सूची नहीं, न ही उनके मासिक वेतन,PF, ESIC का कोई अतापता,महामंडल की नीति पर पहला ज्वलंत सवाल हिचकोले खा रही।

सिद्दीकी ने बताया कि उक्त सभी घाटों के निकट लगभग 500 मीटर की दूरी पर STOCK जमा करने के लिए स्थान तय किया गया था। नदी से रेत निकालकर STOCK तक लाने के लिए 45 मिनट और आसपास की रॉयल्टी निकाली गई थी। मगर उक्त ट्रैक्टरों की आवाजाही 13 से 39 किलोमीटर की दर्ज की गई याने घाट से रेती उठने के बाद STOCK पर नहीं पहुंची अर्थात रेत सीधे घाट से भरकर बाहर ही बाहर बेच दिया गया या फिर ज्यादा दूरी दर्शाकर महामंडल से ज्यादा पैसे उठा लिए गए। नियमानुसार 3 किलोमीटर तक रेती पहुंचाने के लिए महामंडल 2100 रुपए और इससे अधिक दूरी के लिए अतिरिक्त भुगतान कर रही थी।

उदाहरण के रूप में चिंचगांव रेत घाट से ट्रेक्टर क्रमांक MH34-AP2749 में रेती 1.02 बजे भरी गई और 1.47 बजे खाली की गई तो यहीं ट्रेक्टर दूसरे घाट में 1.12 बजे रेत भरी गई और 1.57 बजे खाली की गई,यह कैसे संभव हो सकता हैं।ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं.

महा माइनिंग के हिसाब से रिजर्व STOCK खत्म हो चुका हैं। इसके बावजूद STOCK में रेत बड़ी मात्रा में जमा हैं,क्या यह अवैध उत्खनन की गई रेती हैं ? या फिर बोगस ट्रेक्टर दर्शाया गया।

किसी भी रॉयल्टी का एक ही बार उपयोग किया जा सकता हैं।जबकि महा माइनिंग को 1 ही रॉयल्टी से अवैध फेरियां लगाने की जानकारी मिली लेकिन उन्होंने राज्य के राजस्व विभाग को इसकी सूचना नहीं दी। महा माइनिंग एप्प का निर्माण अवैध रेती उत्खनन और चोरियां रोकने के लिए किया गया था। रेत कब वैध उत्खनन करने वाले अपने गाड़ियों का यहां पंजीयन करवाते हैं, जिससे रॉयल्टी जारी होंवे के बाद GPS सिस्टम के आधार पर उन गाड़ियों का सम्पूर्ण लोकशन महा माइनिंग एप्प में रिकॉर्ड हो जाता हैं।

उक्त सभी रेत घाटों पर एक ही समय में 1 ही ट्रेक्टर का पंजीयन समझ से परे हैं। रेत उत्खनन करने के लिए सेक्शन पाइप का उपयोग किया गया। ENVOIREMENT CLEARANCE वर्ष 2019 के लिए उक्त घाटों को मिला था लेकिन आजतक 2021 में भी उसका उपयोग EXTENSION की आड़ में शुरू हैं। सिद्दीकी की मांग हैं कि उक्त सभी रेती घाटों के STOCK जप्त की जाए। सभी चारों घाटों का लेखा-जोखा की सूक्ष्म जांच हो और दोषियों पर कड़क कानूनी कार्रवाई की जाए।

उल्लेखनीय यह हैं कि तब चंद्रपुर जिले के जो खनन अधिकारी थे,वे फिलहाल नागपुर जिले के खनन अधिकारी हैं। खनिकर्म महामंडल ने नागपुर जिले के 6 महत्वपूर्ण रेती घाट की मांग की थी,जिसका सिरे से उक्त खनन अधिकारी ने विरोध दर्ज करवाया हैं क्योंकि उन्हें चंद्रपुर की घटना का प्रत्यक्ष अनुभव हैं।

https://www.nagpurtoday.in/economic-rigging-occurred-on-sand-ghats-reserved-for-mining-complex/01231243

https://www.nagpurtoday.in/sand-stolen-from-the-reserve-ghat-of-the-mining-mine/01101027

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