Published On : Fri, Jul 2nd, 2021

झाड़ की टहनियों पर सजती है ‘ऑनलाइन क्लास’ यह है.. ‘ नेटवर्क-ट्री ‘

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आज का डिजिटल इंडिया ? मोबाइल नेटवर्क के लिए झाड़ का सहारा

गोंदिया/भंडारा । नेटवर्क की कीमत तुम क्या जानो रवि बाबू… आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन शालेय क्लासेस अटेंड करने का एकमात्र सहारा है मोबाइल नेटवर्क… ? अगर नेटवर्क की कनेक्टिविटी कमजोर… तो समझो विद्यार्थी का भविष्य अंधकारमय ?

आज के डिजिटल युग में मोबाइल नेटवर्क की अहमियत वहीं विद्यार्थी जान सकता है जो ऑनलाइन क्लासेस अटेंड कर रहा हो।

कोरोना काल के कारण गत 15 माह से स्कूल कॉलेज बंद है सरकार और शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है , ऐसे में सरकार और जिला प्रशासन को चाहिए कि दूर-दराज के गांव में भी नेटवर्क की कनेक्टिविटी को बेहतर और चुस्त दुरुस्त किया जाए , लेकिन भंडारा जिले के लाखनी शहर से 18 कि.मी दूर स्थित ग्राम जेवनाला का आलम यह है कि यहां छात्रों को पेड़ पर चढ़कर ऑनलाइन क्लास अटेंड करने हेतु विवश होना पड़ रहा है।

गांव के घरों तक मोबाइल नेटवर्क की रेंज पहुंचती नहीं लिहाजा सुबह 11:00 बजे से ही विद्यार्थी कॉपी- किताब ,पेन ,मोबाइल, हेडफोन लेकर घरों से निकल पड़ते हैं ।खेत खलियानों से होकर विद्यार्थी इस वटवृक्ष (नेटवर्क ट्री ) पर पहुंचते हैं तथा इसकी टहनियों पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करते सहज ही देखे जा सकते हैं।

जेवनाला गांव में मोबाइल टावर होने के बावजूद उसकी कनेक्टिविटी कैपेसिटी बेहद साधारण सी है लिहाज़ा टावर से 200 मीटर की दूरी पर स्थित नीम के झाड़ के पास इंटरनेट की स्पीड अच्छी है इसलिए गांव के युवा और विद्यार्थी इंटरनेट स्पीड पाने के लिए तथा ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिए इस नीम के पेड़ के पास शरण लेते हैं इसलिए इसे ‘ नेटवर्क ट्री ‘ के रूप में जाना जाने लगा है।
नेटवर्क की रेंज टहनियों पर चढ़कर और बेहतर मिलती है इसलिए विद्यार्थी बेहतर शिक्षा के खातिर रिस्क उठाते हुए टहनियों पर जाकर पढ़ने बैठते हैं।

आखिर क्या करें गांव में नेटवर्क का प्रॉब्लम जो है इसलिए सभी ऑनलाइन क्लास अटेंड करने वाले विद्यार्थीयों को इस झाड़ का आधार लेना पड़ता है ।
नेट सर्फिंग करने वाले सभी युवाओं के लिए यह झाड़ बड़ा सहारा है।

एक और सरकार डिजिटल इंडिया और 5G नेटवर्क के सपने दिखा रही है वहीं दूसरी ओर देश में जेवनाला जैसे कई गांव होंगे जहां मोबाइल नेटवर्क की रेंज नहीं मिलती।

मोबाइल नेटवर्क की मृत आत्मा को जीवित करने के लिए विद्यार्थियों को इस नेटवर्क ट्री का सहारा लेना पड़ता है।

यह दृश्य सरकार के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम की पोल खोलती हुई एक कड़वी सच्चाई है यह कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

जेवनाला गांव के विद्यार्थियों ने सरकार और जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि वह उनकी इस नेटवर्क समस्या को शीघ्रता शीघ्र हल करें ताकि उनके ऑनलाइन पढ़ाई में कोई बाधा उत्पन्न ना हो।

रवि आर्य