Published On : Thu, Jun 10th, 2021

धर्म स्थान पर ध्यान करना चाहिये- आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी

Advertisement

नागपुर : सिद्धक्षेत्र में ध्यान करने का स्थान सर्वश्रेष्ठ हैं. ध्यान तीर्थ पर कर सकते हैं, गुरु के सामने, नदी के किनारे, बगीचे में भी अच्छा स्थान हैं यह उदबोधन प्रज्ञायोगी दिगंबर जैनाचार्य गुप्तिनंदीजी गुरुदेव ने विश्व के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन सर्वोदय धार्मिक शिक्षण शिविर में दिया.

गुरुदेव ने कहा धर्म स्थान पर ध्यान करना चाहिये. ध्यान का कोई समय नहीं, मन एकाग्र हो तब ध्यान कर सकते हैं. ध्यान करने का स्थान हो अच्छे परिणाम होते हैं. ध्यान करने के लिये प्रथमानुयोग ग्रंथ पढ़ना चाहिये. मालकोष राग के प्रभाव से पत्थर भी पिघल जाता हैं. परमात्मा महावीर भी शायद इसी कारण से मालकोष राग में देशना देते होंगे. पत्थर पिघल सकते हैं, तो लोगों का हृदय तो पिघलेगा ही. तोड़ी राग से जंगल के हिरण एक जगह जमा हो जाते हैं यह प्रभाव लयबद्ध ध्वनि का हैं. लेफ्ट राइट की तालबद्ध ध्वनि से उत्पन्न एकीभूत शक्ति से पुल को खतरा होता हैं,

Gold Rate
09 May 2025
Gold 24 KT 96,800/-
Gold 22 KT 90,000/-
Silver/Kg 96,500/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

पुल टूट भी सकता हैं. जब सेना पुल से गुजरती हैं, तब उसकी तालबद्ध ध्वनि रोक दी जाती हैं. शंख ध्वनि से बैक्टीरिया और संक्रामक रोगों के जीवाणु और मलेरिया के जीवाणु नष्ट हो जाते हैं. वाणी में, ध्वनि में, शारिरिक, मानसिक व आत्मविषयक तीनों की तरह उन्नति करने का सामर्थ्य हैं तथा संगीत रत्नाकर ग्रंथ में आचार्यश्री शारंगदेव ने विभिन्न स्वरों से संबंधित स्नायुओं का, चक्रों का शारीरिक अंगों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया हैं.

साधना के बल से अनेक अनेक लाभ प्राप्त होते हैं. सहस्त्रएचक्र मस्तिष्क के बीचोबीच होता हैं. आज्ञा चक्र दोनो आंखों के बीच ललाट में होता हैं, विशुद्ध चक्र कंठ में होता हैं. अनाहत चक्र हृदय में होता हैं, मणिपुर चक्र हृदय और नाभि के बीच आंत के भाग में होता हैं. स्वाधिष्ठान चक्र नाभि में होता हैं. मूलाधार चक्र गुह्यस्थान में होता हैं. पंच नमस्कार सभी पापों का नाश करनेवाला हैं. इस मंत्र के जाप से आराधना करना चाहिये.

Advertisement
Advertisement