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नागपुर: स्टेशन पर करीब 4 महीनों से घोषित बैटरी कार सुविधा शुरू होने का नाम ही नहीं ले रही. यह बात और है कि 2 बैटरी कारें स्टेशन पर लाकर खड़ी कर दी गई जो केवल बुजुर्ग और बीमार यात्रियों को चिढ़ा रही है. लेकिन चलाई नहीं जा रही. वास्तव में सारी प्रक्रियायें पूरी होने के बावजूद यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण और सहूलियत भरी बैटरी कार सुविधा को अब संरक्षा विभाग की अनुमति का इंतजार है.
समझ से परे है देरी
उल्लेखनीय है कि स्वयं मंडल रेल प्रबंधक बृजेश कुमार गुप्ता द्वारा दिसंबर 2017 में ही बैटरी कार सुविधा प्रारंभ करने की बात कही थी. इसके लिए बाकायदा निविदा जारी की गई और प्रति यात्री किराया भी तय किया गया. पटना की एक कम्पनी ने निविदा हासिल की. निश्चित तौर पर डीआरएम द्वारा सुविधा शुरू होने की तारीख प्रकिया के समय को देखते हुए दिया गया होगा. बावजूद इसके सफल ट्रायल के बाद भी अधिकारियों ने विभिन्न विभागों से अनुमति के लिए नाकों चने चबवा दिए. सवाल यह है कि जब तक बैटरी कार सुविधा सामाजिक संस्थाओं द्वारा संचालित की जा रही थी तब संबंधित विभाग इतने एक्टिव क्यों नहीं हुए. निविदा की बात आते ही अचानक सारे नियम-कानून और अड़ंगे सामने कैसे आने लगे.
यात्रियों से नहीं वास्ता
मंडल प्रशासन के संबंधित विभागों की कार्यप्रणाली से तय है कि उन्हें रेल यात्री सुविधा से कोई वास्ता नहीं है. भले ही उनकी कार्यप्रणाली के चलते हजारों-लाखों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हो. बैटरी कार सुविधा बंद होने से बुजुर्ग और बीमार यात्रियों को 2 मंजिला सीढ़ियां रैम्प चढ़ना-उतरना पड़ता है. भीड़ भरी स्थिति में यह परेशानी और अधिक बढ़ जाती है. इससे भी बड़ी चीज यह है कि स्वयं डीआरएम द्वारा सुविधा शुरू करने की तारीख देने के बाद भी अधिकारियों को प्रक्रिया पूरी करने के लिए 4 महीनों का समय लग गया. इससे साफ है कि रेल मंत्री पीयूष गोयल यात्री सुविधा के स्तर सुधारने और विस्तार की चाहे जितनी भी कोशिश करें, मनमर्जी तो रेल अधिकारियों की ही चलेगी.