Published On : Tue, Nov 19th, 2019

बालकल्याण समिति की लापरवाही से 7 महीने के 3 अनाथ बच्चों को नहीं ले पा रहा कोई गोद

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नागपुर– नागपुर बालकल्याण समिति की लापरवाही के कारण करीब 7 महीने से दुधमुहे बच्चों को कोई दूसरा गोद नहीं ले पा रहा है. नागपुर बालकल्याण समिति के कारण यह मासूम इसकी सजा भुगत रहे है. जानकारी के अनुसार कोंढाली स्थित पटेल बहुउद्देशीय शिक्षण संस्था शिशुगृह ( स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी ) बच्चो को गोद लेने और उसके बाद दूसरे पालकों को इस समिति की ओर से गोद दिया जाता है. इस संस्था को केंद्र और राज्य सरकार से मंजूरी मिली है. मई 2019 में यह बच्चे संस्था में लाएं गए थे.

अगस्त में इनका एडमिशन किया गया था. तीन कुवारी माताओ ने यहां पर बच्चे दिए थे. इसके बाद इन बच्चों को दुसरो को तब तक गोद नहीं दे सकते जब तक नागपुर के पाटणकर चौक स्थित बालकल्याण समिति की ओर से एडॉप्शन का आदेश क्रमांक 18 और आदेश क्रमांक 25 नहीं दिया जाता है. लेकिन पिछले 4 महीनो से बालकल्याण समिति की ओर से इस पटेल बहुउद्देशीय शिक्षण संस्था शिशुगृह के सचिव जे. खान को समिति ऑफिस के चक्कर लगवा रही है. लेकिन इस समिति ने अब तक कोई भी कदम इन बच्चों के लिए नहीं उठाया है. खान ने बताया की कुमारी माताओ को लेकर वे दो बार समिति के पास गए है. लेकिन कुछ नहीं किया गया है. उन्होंने बताया की इस समिति में 5 सदस्य है.

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बच्चों को गोद देने के लिए आदेश में ही लिखा गया है. इसमें से 3 सदस्यों ने हां कहा है और 2 सदस्यों ने ना कहा है. जबकि नियम के हिसाब से बच्चे देने ही पड़ते है. कोई भी सदस्य ना नहीं कह सकता. बच्चे को जब एडॉप्शन सेंटर में लाया जाता है उसके लिए नमूना 18 है और बच्चो को दत्तक देने के लिए फ्री, इसके लिए आदेश क्रमांक 25 की जरुरत होती है. यह आदेश नहीं देने के कारण इन बच्चों को भी इच्छुक गोद नहीं ले पा रहे है. तीनो बच्चों की उम्र लगभग 7 महीने के करीब करीब है. उन्होंने बताया बच्चों को एक बार एडॉप्शन सेंटर लाने पर 18 क्रमांक आदेश और 25 क्रमांक आदेश की जानकारी ‘ सीएआरए ‘ सेंट्रल एडॉप्शन अथॉरिटी ‘ दिल्ली ऑफिस में लोड करनी होती है. बालकल्याण समिति के अध्यक्ष को सीएआरए,एसएआरए, डीसीपीओ, डब्ल्यूडीसीडीओ के अधिकारियो ने भी फ़ोन पर नियमो के अनुसार काम करने की हिदायत दी. बावजूद इसके समिति किसी की भी बात नहीं मान रही है. बाल कल्याण अधिकारी (नोडल ऑफिसर ) प्रतिनिधि के रूप में दो बार समिति के पास जा चुके है. समिति के अध्यक्ष ने उल्टा उनसे ही मार्गदर्शन माँगा है. जबकि सभी अधिकार बालकल्याण समिति के अध्यक्ष के पास ही है. दत्तक का पुनर्वसन रोका गया है.

खान के अनुसार पुणे महिला व् बालविकास विभाग के कमिशनर का पत्र भी डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर अपर्णा कोल्हे को आया है. कोल्हे की ओर से भी इस समिति को लेटर दिया गया है. बावजूद इसके समिति के अध्यक्ष आगे की कार्रवाई और आदेश देने पर ध्यान नहीं दे रहे है. कोल्हे के दिए हुए पत्र का किसी भी तरह का कोई जवाब कमेटी ने नहीं दिया है. खान ने बताया की पटेल बहुउद्देशीय शिक्षण संस्था शिशुगृह अब तक 162 बच्चों का पुनर्वसन कर चुकी है. इसमें से 3 बच्चे विदेश में है और बाकी भारत के भीतर ही गोद दिए है. खान का कहना है की बाल न्याय अधिनियम 2015,महाराष्ट्र बाल न्याय नियम 2018 और सीएआरए की गाइडलाइन 2017 के अनुसार बालकल्याण समिति कानून का पालन नहीं कर रही है.

खान ने बताया की उनकी पटेल बहुउद्देशीय शिक्षण संस्था शिशुगृह ( स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी ) का जिला स्तरीय, जांच समिति का चार बार इंस्पेक्शन हुआ है. डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर के साथ डीएसपीओ, बालकल्याण मंडल ने भी इंस्पेक्शन किया है. सभी रिपोर्ट पॉजिटिव, समाधानकारक आयी है. उन्होंने बताया की अब तक इस समिति को 15 पत्र दिए गए है. लेकिन किसी भी तरह का उनका जवाब नहीं आया है.

इस बारे में जब 18 नवंबर को बालकल्याण समिति के अध्यक्ष राजीव थोरात से बात की गई तो उन्होंने कहा की समिति में आकर बात करिए. इस तरह से रिजल्ट आउट नहीं कर सकते. जब 19 नवंबर को पाटणकर चौक स्थित उनके ऑफिस में गए तो वे ऑफिस में नहीं थे. उनको संपर्क करने पर उन्होंने कोई प्रतिसाद नहीं दिया. जब उन्हें मेसेज भेजा गया तो उन्होंने बताया की वे 2 दिन आउट ऑफ़ स्टेशन है और अन्य सदस्यों से जानकारी लेने की बात उन्होंने कही. जबकि इस कमेटी के मुख्य अध्यक्ष खुद राजीव थोरात ही है.

शमानंद तायडे

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