नागपुर: सक्षम सत्ताधारी और मजबूत विपक्ष नहीं होने के कारण नागपुर महानगरपालिका में खाकीधारी के आड़ में ठेकेदारों का राज चल रहा है.आगामी मनपा चुनाव के मुहाने प्रशासन की चुप्पी का असर चुनावी जंग में उतरने वालों को निश्चित ही भुगतनी पड़ेगी और फिर जीत किसी की भी हो जीतने वाले के कंधे पर अस्त्र रख प्रशासन पर निशाना साध खुद के उल्लू सीधे करने में पुनः स्थापित ठेकेदार वर्ग पुनः दीमक की भूमिका में नज़र आना तय है.
दो वर्ष के अंदर तैयार सडकों की गुणवत्ता जांचने गठित समिति ने ढाई महीने में रिपोर्ट दी. उसके बाद आयुक्त श्रावण हर्डीकर को रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई कर एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) मनपा सदन के पटल पर रखना है. आगामी 6 अक्तूबर को मनपा सदन में एटीआर रखा जाना है. लेकिन खबर है कि एटीआर अब तक तैयार नहीं हुई है.
गुरुवार को आमसभा है. ऐसे में एटीआर के पटल पर रखे जाने को लेकर सस्पेंस बरकरार है. शहर के गड्ढों को लेकर जिस प्रकार हो-हल्ला हुआ. विपक्ष ने समिति गठित कर दोषी ठेकेदार व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. लेकिन बाद में समिति की लीपापोती के साथ ही विपक्ष शांत बैठ गया.लीपापोती का नेतृत्व हॉटमिक्स का एक ठेकेदार करने की जानकारी सामने आई है, चर्चा ऐसी है कि ठेकेदारों के संबंध सत्तापक्ष के साथ ही विपक्ष के कद्दावर नेताओं के साथ हैं. चर्चा में खुद कांग्रेस के पार्षद प्रफुल्ल गुडधे ने कहा था कि अगर सडकों की दुर्दशा की परते खोली गईं तो आधी मनपा ‘खाली’ हो जाएगी.
खाली के शब्द के माध्यम से उन्होंने बहुत कुछ कह डाला. इससे ही साफ है कि विपक्ष भी सडकों की दुर्दशा को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं है. गुरुवार की आम सभा में रिपोर्ट पेश नहीं होने की स्थिति में चर्चा नहीं हो पाएगी. ऐसे में दोषियों के बचने के प्रबल आसार बन रहे हैं. हालांकि पिछले महीने की आमसभा में ही एटीआर पेश किया जाना था. लेकिन सत्तापक्ष डर गई और आमसभा ही नहीं होने दिया जबकि हर महीने एक आमसभा आयोजित करना अनिवार्य है.
उल्लेखनीय यह है कि ठेकेदारों की एकता और ठेकेदारों को काम दिलवाने के एवज में लाभार्थी के सिफारिश पर मनपा प्रशासन ठेकेदारों को बचाने के लिए जिद्दोजहद कर रहा है,ठेकेदार वर्ग पक्ष और विपक्ष के दिग्गजों के करीबी होने के कारण “खोदा पहाड़ निकली चुहिया” जैसी कहावत को साकार कर सकती है.
आज शहर के सड़को की दुर्दशा इतनी बुरी है कि घर से गंतव्य स्थान तक पहुँचने के लिए पेट से सम्बंधित सभी प्रकार की कसरत हो जाती है,पीठ व रीड की हड्डी से संबंधित तकलीफे बढ़ते जा रही है. गाड़ियों को माह दर माह मिस्त्री के पास ले जाना पड़ रहा है. फिर भी मनपा के दिग्गज अधिकारी, पक्ष-विपक्ष के कानों पर जूं नहीं रेंगना, अर्थात मनपा में ठेकेदारों की कितनी बोलती होगी इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.