Published On : Tue, Jul 3rd, 2018

बिना अनुमति बेच दिया 3 करोड़ का स्क्रैप

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नागपुर: मनपा की सभा में उस समय प्रशासन को सत्तापक्ष के पार्षद एवं विधि समिति सभापति धर्मपाल मेश्राम की नाराजगी झेलनी पड़ गई, जब भांडेवाड़ी में कचरे का निपटारा करने के लिए नियुक्त मेसर्स हैंजर बायोटेक एनर्जी कम्पनी द्वारा बिना अनुमति 3 करोड़ का स्क्रेप बेचे जाने को लेकर प्रशासन की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया. प्रश्नकाल के दौरान पार्षद ने इस संदर्भ में खुलासा करने की मांग की.

चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि एक तरह से स्क्रैप बेचने में प्रशासन ने ही इस कम्पनी को मदद की है. जवाब दे रहे अधिकारी का मानना था कि गत समय भांडेवाडी डम्पिंग यार्ड में लगी आग के कारण काफी मशीनरी और सामान जल गया था. कम्पनी ने इस सामान को यहां से निकाल लिया. लेकिन इसके लिए मनपा की ओर से किसी तरह की अनुमति नहीं ली. जवाब पर ही आपत्ति जताते हुए पार्षद ने कहा कि पूरे मामले को देखते हुए लग रहा है कि सामान जला है या जलाया गया, इसे लेकर भी संदेह है.

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मनपा ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की
पार्षद मेश्राम का मानना था कि मनपा ने कम्पनी को करोड़ों रुपए का भुगतान किया है. इसके अलावा काम में कोताही के बाद इसका काम बंद कर दिया है. आग लगने के बाद यहां से कम्पनी ने तो स्क्रैप बताकर करोड़ों की मशीनरी बेच दी, लेकिन प्रशासकीय कार्यप्रणाली का आलम यह रहा कि 16 मार्च 2016 को मनपा की ओर से नंदनवन पुलिस को केवल पत्र भेजकर सामान चोरी होने की सूचना दी गई. इस तरह के अजीबोगरीब जवाब पर पार्षद का मानना था कि भांडेवाडी डम्पिंग यार्ड में मनपा के स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी कार्यरत हैं. इसके अलावा सुरक्षा गार्ड की भी नियुक्ति की गई है. दूसरी ओर प्रशासन को कम्पनी द्वारा ही यहां से सामान निकाले जाने की भी जानकारी है, इसके बाद भी एफआईआर करने की बजाय केवल खानापूर्ति के लिए नंदनवन पुलिस को चोरी होने का नाममात्र पत्र भेजा गया.

पूरा मामला ही संदेहास्पद
चर्चा के दौरान जवाब दे रहे अधिकारी का मानना था कि नंदनवन पुलिस को पत्र भेजकर सूचना दी गई थी, जिससे यदि मामले में पुलिस को तथ्य दिखाई देते तो उन्होंने स्वयं एफआईआर दर्ज की होती. सहज तरीके से प्रशासन की ओर से दिए जा रहे जवाब पर रोष जताते हुए पार्षद का मानना था कि बीओटी प्रकल्पों पर जब तक टेंडरधारक कम्पनी का काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक पूरे प्रकल्प की सम्पत्ति पर मनपा का मालिकाना हक होता है. इसके लिए बाकायदा एमओयू होता है. पूरे मामले देखते हुए अधिकारियों की सहमति से ही स्क्रैप बाहर जाने से इंकार नहीं किया जा सकता है. पूरा मामला संदेहास्पद होने से सघन जांच के आदेश प्रशासन को देने की मांग भी उन्होंने की. चर्चा के उपरांत महापौर नंदा जिचकार ने मनपा आयुक्त को सघन जांच कर संबंधित दोषी अधिकारी पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

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