Published On : Tue, Sep 6th, 2016

मनपा चुनाव : नई सीटों ने बिगाड़ा पार्टियों का समीकरण, बढ़ गई आरक्षित सीटें

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NMC Polls


नागपुर:
आगामी नागपुर महानगर पालिका चुनाव के लिए जनसंख्या के अनुसार महानगरपालिका के नगरसेवकों में वृद्धि हुई है। इससे जहां अनेक इच्छुकों में मनपा चुनाव लड़ने हेतु उम्मीदें जाग गई है, वहीँ सीटों की नई व्यवस्था ने पार्टियों का समीकरण बिगाड़ दिया है। नई संरचना में अनुसूचित जमाती सह खुला वर्ग के लिए आरक्षित सीटों में कमी आई है। तो एससी और ओबीसी के लिए आरक्षित जगहों में वृद्धि किये जाने की जानकारी प्राप्त हुई है। जिसके कारण अनेक राजकीय गणित बिगड़ जाने से राजकीय पक्षो में चिंता का विषय बना हुआ है।

आगामी मनपा चुनाव फरवरी/मार्च २०१७ में होने वाली है। क्योंकि ४-४ का प्रभाग बनेगा तो ३८ में से अधिकांश प्रभागों में चौतरफा मुकाबला देखने को मिल सकता है। राज्य सरकार ने पिछले मनपा चुनाव की तुलना में ६ सीटों की वृद्धि की है। पिछले चुनाव में १४५ थी। हाल ही में जुड़े गांव के नागरिकों को मनपा में प्रतिनिधित्व मिले इसलिए इसमें इस बार हुडकेश्वर और नरसाला भी जुड़ गया है। उम्मीद की जा रही थी कि सदस्यों की संख्या वृद्धि से सभी वर्गों के प्रतिनिधियों में वृद्धि होंगी। लेकिन सिर्फ एससी और ओबीसीके लिए आरक्षित जगहों में वृद्धि किये जाने का समाचार प्राप्त हुआ है।

फ़िलहाल एसटी के मनपा में मात्र १३ नगरसेवक है। आगामी मनपा चुनाव में १२ ही रह जायेंगे। ओपन वर्ग में ६९ से घटाकर ६८ कर दी गई है, तो ओबीसी नगरसेवक अगले चुनाव में इस बार की अपेक्षा २ अधिक तथा एससी वर्ग में वर्तमान की अपेक्षा ६ सीटों की वृद्धि उल्लेखनीय है।

फ़िलहाल शहर की जनसंख्या २४,४७,४९४ है। इस आधार पर सभी वर्गों के मद्देनज़र नगरसेवकों की संख्या निश्चित की गई है। कुल नगरसेवकों में आधी सीटे महिलाओं के लिए आरक्षित है।

  • २०१७ (१५१)        वर्तमान (१४५)
  • एससी – ३०                २४
  • एसटी – १२                 १३
  • ओबीसी – ४१              ३९
  • खुला प्रवर्ग – ६८          ६९

आरक्षण
जाति की जनसंख्या के आधार पर एससी व एसटी का प्रभाग निहाय आरक्षण निश्चित किया जायेगा। प्रत्येक प्रभाग में एक ओबीसी रहना निश्चित है। वही तीन प्रभागों में ओबीसी के लिए दो-दो जगह आरक्षित होंगे। इसके लिए ईश्वरीय चिट्ठी निकाली जाएंगी। ३० प्रभागों में ओपन वर्ग की दो-दो सीटे आरक्षित होंगी।

 – राजीव रंजन कुशवाहा