Published On : Thu, Feb 11th, 2021

समितियों संग बदलेगा सत्तापक्ष नेता

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– वरिष्ठ नगरसेवक अविनाश ठाकरे और छोटू भोयर के नामों पर चर्चा चल रही,या फिर पहली बार चुनकर आये तेजतर्रारें नगरसेवक को मिल सकता हैं मौका

नागपुर – भाजपा परंपरा और तय नियमानुसार चला करती हैं। मनपा में भाजपा का बतौर सत्तापक्ष तीसरा कार्यकाल हैं, इसके अंतिम वर्ष में विभिन्न समितियों संग सत्तापक्ष नेता बदलने पर भी विचार हो रहा हैं। इस पद के लिए अनुभवी के साथ नए नवेले तेजतर्रारें नगरसेवकों पर मंथन का क्रम जारी हैं।

पिछले दिनों तय रणनीत के अनुसार मनपा में सत्ताधारी भाजपा ने महापौर और उपमहापौर बदल कर वरिष्ठ नगरसेवक दयाशंकर तिवारी को महापौर और पूर्व नागपुर से पहली मर्तबा चुनकर आई महिला नगरसेविका मनीषा धावड़े को उपमहापौर बनाया।

अब चूंकि पिछली सभा में महापौर को सभी समिति के लिए अपने अपने पक्ष के कोटे से नाम देने अधिकार दे दिया गया। इन नामों के आने के बाद सभी समितियों के सभापतियों का सर्वसम्मति से चयन किया जाएगा। इन समितियों में सबसे ज्यादा स्वास्थ्य और परिवहन समिति सभापति पद के लिए रस्साकशी शुरू हैं।

इसके साथ यह भी खबर हैं कि इन समितियों के साथ सत्तापक्ष नेता भी बदला जाएगा,इसके लिए वरिष्ठ नगरसेवक अविनाश ठाकरे और छोटू भोयर का नाम सामने चल रहा।भोयर के नाम का विधायकों में विरोध हैं तो अविनाश ठाकरे पहले भी मनपा में बड़े पद पर रह चुके,फिलहाल मनपा मामले में दरकिनार कर दिए गए इसलिए इनके नामों पर सभी की मतभिन्नता होने से मनपा में पहली बार चुन कर आए तेजतर्रारें नगरसेवक अधिवक्ता धर्मपाल मेश्राम,पिंटू झलके आदि का नाम पर मंथन जारी हैं। मेश्राम वर्तमान में विधि समिति के प्रमुख हैं और झलके 2-2 समितियों सह नासुप्र के विश्वस्त हैं। दोनों ही ऊर्जावान हैं और दोनों ही ऊर्जावान नेतृत्वकर्ता के विश्वासपात्र हैं।हो सकता हैं, इन्हें नई जिम्मेदारियां नहीं दी गई तो पुरानी जिम्मेदारियां कायम रखी जाए,ताकि संबंधित विभागों का यथावत संचलन हो सके।

उक्त प्रकार के चयन करते वक़्त भाजपा की खासियत यह हैं कि संसदीय मंडल विधानसभा निहाय विधायकों के सिफारिशों पर ज्यादा गौर करती हैं। यह भी खासियत हैं कि यह संसदीय मंडल और पक्ष के विधायक ने जिसे नज़रअंदाज किया,उसे उठने का कभी मौका नहीं देती,भाजपा में ऐसे कई नगरसेवक/नगरसेविका हैं, जिन्हें आजतक महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया,फिर चाहे कोई भी समीकरण का तर्क देकर नज़रअंदाज किया गया।

शहर भाजपा के नेतृत्व कर्ताओं के अनुसार उक्त समिति सह सत्तापक्ष के लिए उन्हें ही चयन किया जाएगा,जो चयन मंडल के सदस्यों का खासमखास होगा।

उल्लेखनीय यह हैं कि पिछले वर्षों तक स्थाई समिति में स्थान मिलने के लिए मारामारी हुआ करती थी,लेकिन पिछले कुछ वर्षों से समिति में जाने में पूर्व की तरह नगरसेवक वर्ग रुचि नहीं दिखा रहे,क्योंकि पिछले 2 आयुक्त के कार्यकाल से स्थाई समिति का महत्व कम हो गया,समिति के निर्देशों का पालन नहीं हो रहा,सदस्यों के मनमुताबिक प्रस्तावों को निधि नहीं मिल रही,पिछले वर्षों मंजूर प्रस्तावों का काम शुरू नहीं हो पाया। आज के स्थाई समिति की बैठक में भाजपा के 5 सदस्य के कार्यकाल समाप्ति पर मुहर लगने वाली हैं।इन 5 रिक्त पदों को भी अन्य समितियों संग भरा जाएगा।

उक्त समितियों में स्थान पाने वाले भाजपा सह अन्य पक्ष के नगरसेवकों के सामने दोहरी जिम्मेदारियां रहेगी,पहली यह कि अगले वर्ष मनपा चुनाव हैं, इनमें से अगला चुनाव लड़ने वालों को क्षेत्र भी संभालना और दी गई जिम्मेदारियों भी निभानी होगी।

स्थाई समिति को CE जैसे अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे,इसलिए सीसी रोड फेज-2 में हुए टेंडर सह भुगतान घोटाले का अबतक अधर में हैं, स्थाई समिति को जांच का DEVPLOPMENT से रु-ब-रु नहीं करवाया जा रहा,शंका हैं कि कोई वरिष्ठ बाहर से जांच में बाधा डाल रहा।खुलासा होते ही नाम सार्वजनिक कर दिया जाएगा।