
गोंदिया। गोंदिया पुलिस की लगातार चल रही नक्सल विरोधी मुहिम को बड़ी सफलता मिली है। 3.5 लाख के इनामी माओवादी वर्गेश उर्फ कोसा मंगलू उइका (26) ने सोमवार 10 नवंबर को जिलाधिकारी प्रजित नायर और पुलिस अधीक्षक गोरख भामरे के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
2016 में थामी थी बंदूक , कई बड़ी वारदातों में रहा शामिल
छत्तीसगढ़ के अति नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के बेदरे निवासी कोसा ने बचपन से ही हथियारबंद नक्सलियों को आना-जाना देखा था।
लिहाज़ा सितंबर 2016 में जगरगुंडा दलम में भर्ती हुआ बेसिक ट्रेनिंग के बाद उसे दक्षिण गड़चिरौली डिवीजन के भामरागढ़ क्षेत्रीय कमेटी के के.पी.एल 7 दलम में भेजा गया वहां सक्रिय रहते सुरजागढ़ आगजनी, मोहंदी फायरिंग, दरभा जंगल मुठभेड़, बोरिया-कसनसूर फायरिंग , वेडदर्मी जंगल एम्बुश , झारेवाड़ा फायरिंग जैसी कई बड़ी नक्सली घटनाओं में शामिल रहा है।
भामरागढ़ क्षेत्र के पी.एल.7 और गट्टा दलम में रहकर उसने वर्षों तक संगठन के लिए काम किया, लेकिन भीतर की धोखाधड़ी, फंड की लूट और झूठी विचारधारा से तंग आकर उसने हथियार डालने का फैसला लिया।
वरिष्ठ कैडर गरीब आदिवासी युवाओं का उपयोग करते हैं
कोसा ने बताया कि -वरिष्ठ कैडर फंड के नाम पर पैसा वसूलते हैं पर गरीब सदस्यों तक कुछ नहीं पहुंचता ऐसे में भविष्य अंधकारमय लगता है। गरीब युवाओं को अपने स्वार्थ के लिए वरिष्ठ कैडर इस्तेमाल करते हैं, मासूम ग्रामीणों को पुलिस का मुखबिर बताकर मारने को कहते हैं।
दलम में जीवन कठिन है भोजन की कोई सुविधा नहीं , जंगल में भटकती जिंदगी के बीच बीमारियों का इलाज भी मुमकिन नहीं , पुलिस के लगातार कोम्बिंग अभियान से जंगल में रहना असुरक्षित हो गया है। महाराष्ट्र सरकार की आत्म समर्पण योजना से प्रेरित होकर हिंसा का रास्ता छोड़ने का निर्णय लिया , इसलिए अब मैं भी मुख्यधारा में जीना चाहता हूँ।
माओवादियों से निपटने में पुलिस सक्षम- एसपी
पुलिस अधीक्षक गोरख भामरे ने कहा-विकास कार्यों में बाधा डालने वाले माओवादियों से निपटने में गोंदिया पुलिस सक्षम है ,जो माओवादी हिंसा छोड़ समाज की मुख्य धारा में में लौटना चाहते हैं, उन्हें शासन की आत्मसमर्पण योजना के तहत सम्मानपूर्वक जीवन दिया जाएगा।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार की “नक्सल आत्मसमर्पण योजना” के तहत वर्ष 2005 से अब तक गोंदिया जिले में 25 माओवादी हथियार छोड़ चुके हैं।
रवि आर्य











