Published On : Sun, May 24th, 2020

नांदेड में आश्रम से मिला साधु का शव, आरोपी के साथी का भी शव बरामद

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नांदेड: महाराष्ट्र के नांदेड में शनिवार देर रात एक आश्रम के अंदर से एक साधु का शव मिला है। नांदेड़ के पुलिस अधीक्षक विजयकुमार मागर के हवाले से कहा गया, ‘साधु का शव कल देर रात नांदेड़ के उमरी में उनके आश्रम में मिला। जांच शुरू की गई है।’ ‘आज तक’ की खबर के मुताबिक, साधु पशुपति महाराज लिंगायत समाज से थे और हत्या करने का जो आरोपी है, वो भी उसी समाज से है। करने का आरोप भी उसी समाज के एक शख्स पर लगा है. साधु के अलावा एक और शख्स की हत्या की गई है, जिसका नाम भगवान राम शिंदे बताया गया है। इसकी पहचान हत्यारोपी के साथी के रूप में हुई है।

विजयकुमार मागर ने कहा, ‘मृतक साधु और हत्या का आरोपी एक ही समुदाय के हैं। हत्या के मामले में कोई सांप्रदायिक रंग नहीं है। हम अभी भी उस आरोपी की तलाश कर रहे हैं जो हत्या के बाद से फरार चल रहा है।’

IANS के अनुसार, मागर के कहा, ‘शनिवार देर रात कम से कम दो अज्ञात लोगों ने आश्रम में घुसकर शिवाचार्य निर्वाणरुद्र पशुपतिनाथ महाराज की आंखों में मिर्च पाउडर डाल दिया, जिससे उन्हें दिखना बंद हो गया। अपराधियों ने पीड़ित के बेडरूम से उनकी कार की चाबियों के अलावा 69,000 रुपए, उनका लैपटॉप और लगभग 1.50 लाख रुपए की कीमत के अन्य सामान लूट लिए। जब शिवाचार्य ने उनका विरोध किया तो बदमाशों ने उनकी हत्या कर दी।’

अपराधियों ने साधु की कार से भाग निकलना चाहा लेकिन आश्रम के मुख्य गेट से कार भिड़ा दी। मागर ने बताया, देर रात कार भिड़ने की आवाज सुनकर अश्रम में रहने वाले करीब 8-10 लोग दौड़कर बाहर निकले और दोनों को मोटरसाइकिल पर बैठकर अंधेरे में वहां से फरार होते देखा। बाद में हमें लुटेरों में से एक का शव आश्रम से थोड़ी दूर पर मिला। उन्होंने कहा कि साधु की हत्या की वजह लूट लग रही है। दो अपराधियों में से एक की हत्या के पीछे का कारण दोनों के बीच मतभेद हो सकता है। हमने फरार हत्यारे की पहचान कर ली है और जल्द ही उसके पकड़े जाने की उम्मीद है।

कर्नाटक के रहने वाले शिवाचार्य महाराज एक दशक पहले नांदेड़ आए और आश्रम की स्थापना की, जिसका संचालन वह अनुयायियों के एक समूह के साथ किया करते थे।

इससे पहले पिछले महीने महाराष्ट्र के ही पालघर जिले में चोर होने के संदेह में दो साधुओं सहित तीन लोगों की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी।