Published On : Mon, Mar 6th, 2017

नागपुर विद्यापीठ की निष्क्रियता उजागर, 2 महीने बाद भी विद्यार्थियों के पुनर्मूल्यांकन नतीजे नहीं किए घोषित

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Nagpur University
नागपुर:
राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ (रातुमनावि) की ओर से एक बार फिर विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की जानकारी सामने आयी है। दरसअसल बी.ई ,कॉमर्स और आर्ट्स संकाय के विद्यार्थियों ने पिछले वर्ष 2016 के शीतकालीन सत्र में परीक्षाएं दी थी। परीक्षा परिणाम आने के बाद सैकड़ो विद्यार्थी अनुत्तीर्ण हो गए थे। जिसके बाद अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों में से कुछ विद्यार्थियों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए अपील की थी, लेकिन लगभग 2 महीने बाद भी पुनर्मूल्यांकन का कोई भी नतीजा सामने नहीं आया है। अगले महीने अप्रैल से बी.ई ,कॉमर्स और आर्ट्स संकाय की परीक्षाएं शुरू हो रही है।

जिसके कारण अब विद्यार्थी दुविधा में है। विद्यार्थियों ने आनेवाले ग्रीष्मकालीन के लिए परीक्षा फॉर्म तो भर दिए हैं। पुनर्मूल्यांकन के आवेदन भरनेवाले विद्यार्थियों ने भी परीक्षा परीक्षा फॉर्म भर दिए हैं। लेकिन अब तक रातुमनावि की और से पुनर्मूल्यांकन का नतीजा घोषित नहीं किया गया है। इस बारे में कुछ विद्यार्थियों का यह भी कहना है की पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया में जो अनुत्तीर्ण होंगे और उन्होंने परीक्षा फॉर्म भरे तो ठीक है। लेकिन अगर पुनर्मूल्यांकन में कुछ विद्यार्थी उत्तीर्ण होते हैं तो उन्होंने जो परीक्षा शुल्क भरा है उसकी भरपाई कौन करेगा।

रातुमनावि की ओर से यह निर्णय लिया गया था कि 26 जनवरी के बाद से पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया के काम में तेजी लाई जाएगी। पुनर्मूल्यांकन के नतीजे एक महीने के भीतर घोषित करने का भी दावा किया गया था। साथ ही इसके उत्तरपत्रिका की कॉपी भी विद्यार्थियों को 7 दिनों के भीतर दिए जाने का आश्वासन दिया गया था । लेकिन विद्यापीठ के सभी दावों की इसमें पोल खुलती जा रही है। ना तो 30 दिनों के भीतर नतीजे घोषित हुए और ना ही उत्तरपत्रिका की कॉपी विद्यार्थियों के पास 7 दिनों में पंहुच पा रही है। यही नहीं इस परिप्रेक्ष्य में रातुमनावि को डिजिटल बनाने का प्रशासन का प्रयास खोकला साबित हो रहा है।

पुनर्मूल्यांकन के नतीजो में देरी आने के विषय में जब रातुमनावि के कुलगुरु डॉ. सिद्दार्थविनायक काणे से बात की गई तो उन्होंने दावा किया कि पुनर्मूल्यांकन के सभी नतीजे आ चुके है। अगर कुछ नतीजे बाकी है। तो वह भी इस महीने आ जाएंगे। विद्यार्थियों को परेशान होने की जरुरत नहीं है।

—शमानंद तायडे