नागपुर — कोलकाता के रितुराज होटल में 29 अप्रैल को लगी भीषण आग, जिसमें 14 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, ने एक बार फिर देशभर में रूफटॉप रेस्टोरेंट्स की वैधता और सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस घटना के तुरंत बाद कोलकाता नगर निगम (KMC) ने शहर के सभी रूफटॉप रेस्टोरेंट्स को तत्काल बंद करने का आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया कि छतें आम जगह होती हैं और उन्हें व्यावसायिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, खासकर जब सुरक्षा उपायों की भारी कमी हो।
यह हादसा मुंबई के मोजो बिस्ट्रो अग्निकांड (29 दिसंबर, 2017) की भयावह याद दिलाता है, जिसमें कमला मिल्स परिसर में लगी आग से 14 लोगों की जान गई थी। जांच में पाया गया कि रेस्टोरेंट्स में अग्नि सुरक्षा के बुनियादी इंतजाम भी नहीं थे और अवैध निर्माण हुआ था।
नागपुर में स्थिति भी अलग नहीं है, बल्कि और चिंताजनक है। नागपुर महानगर पालिका (NMC) के अनुसार, शहर में रूफटॉप रेस्टोरेंट्स या बार चलाना अवैध है। Unified Development Control and Promotion Regulations (UDCPR) और महाराष्ट्र अग्नि सुरक्षा अधिनियम, 2006 के तहत छतों पर किसी भी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि की अनुमति नहीं है।
फिर भी, नागपुर में लगभग 44 रूफटॉप रेस्टोरेंट्स चल रहे हैं, जिनमें से 27 अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। केवल 13 रेस्टोरेंट्स में ही बुनियादी अग्नि सुरक्षा उपाय उपलब्ध हैं। एनएमसी ने अब तक कुछ रेस्टोरेंट्स को बंद करने के नोटिस दिए हैं, 14 इमारतों को ‘असुरक्षित’ घोषित किया गया है और कुछ का बिजली-पानी कनेक्शन काटा गया है। फिर भी कई जगह कारोबार जारी है।
तो सवाल उठता है – प्रशासन किसका इंतजार कर रहा है? क्या नागपुर में भी किसी जानलेवा हादसे का इंतजार है ताकि कार्रवाई की जा सके? क्या छोटे शहरों के नागरिकों की जान की कीमत कम है?
कोलकाता की घटना और मोजो बिस्ट्रो की त्रासदी एक चेतावनी है। नागपुर प्रशासन को चाहिए कि वह स्वतः संज्ञान (suo moto) ले, सभी रूफटॉप रेस्टोरेंट्स की जांच करे और नियमों को सख्ती से लागू करे। कानून सिर्फ कागज़ों में नहीं, ज़मीन पर भी लागू होने चाहिए।
छतें आम स्थान होती हैं – सुरक्षा, मरम्मत और आपातकालीन स्थितियों के लिए। उनका अवैध व्यावसायिक उपयोग न केवल गैरकानूनी है, बल्कि जानलेवा भी।