नागपुर. धंतोली में निर्मित किए जा रहे सीमेंट रोड के कारण चल रही त्रास्दी पर एक दिन पहले ही हाई कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताते हुए तकनीकी रूप से सक्षम मनपा के विशेषज्ञ को कोर्ट में उपस्थित रहने के आदेश दिए थे. अधिकारियों की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर मनपा आयुक्त को हाई कोर्ट में उपस्थित होना पड़ा. जिसके बाद हाई कोर्ट ने मनपा को स्थिति से निपटने के लिए किए जानेवाले कार्यों की जानकारी हलफनामा के साथ देने के आदेश दिए थे. गुरूवार को सुनवाई के दौरान मनपा की ओर से अर्जी दायर की गई. जिसमें कई समस्याओं का समाधान दिया गया. साथ ही धंतोली नागरिक मंडल के आर्किटेक्ट आहुजा द्वारा कोई सुझाव देने पर सहमति और समन्वय से कार्य करने का आश्वासन भी मनपा ने दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. ए.सी. धर्माधिकारी और अधि. देशपांडे तथा मनपा की ओर से अधि. जैमीनी कासट ने पैरवी की.
धंतोली में होनेवाली अवैध निर्माण की समस्या से निपटने के लिए हाई कोर्ट की ओर से निगरानी के लिए समिति का गठन किया था. जिसके लिए याचिकाकर्ता की ओर से नामों का सुझाव दिया गया था. याचिकाकर्ता की ओर से समिति के सदस्यों के नाम सुझाते हुए अभिलेख प्रस्तुत किए थे जो अतिक्रमण हटाने, पार्किंग क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई और बिल्डिंग कंट्रोल रूल्स को लागू करने के मामले में निगरानी कर सकते हैं और सुझाव दे सकते हैं. सुझाव के अनुसार एसोसिएशन के सचिव देवेंद्र प्रधान और आर्किटेक्ट परमजीत सिंह आहूजा को समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की गई थी.
गत सुनवाई के दौरान एक बात स्पष्टता से उजागर हुई कि मनपा के अधिकारी टेंडर जारी करने के बाद साईट पर कार्य का अवलोकन करने के लिए जाते ही नहीं है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने स्पाट इंस्पेक्शन के संदर्भ में चीफ इंजीनियर से जवाब मांगा था, जिस पर चीफ इंजीनियर ने स्पाट विजिट नहीं करने की स्पष्ट जानकारी कोर्ट को दी थी. कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि महानगर पालिका में ये क्या चल रहा है?. यदि अधिकारी निर्माणकार्य स्थल पर नहीं जा रहे है, तो विकास किस तरह से हो रहा है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. तमाम मुद्दों को लेकर हाई कोर्ट ने हलफनामा दायर करने को कहा था.