नागपुर। नागपुर-काटोल मार्ग के 13 कि.मी से 62 कि.मी तक फोरलेन सड़क निर्माण में हो रही देरी पर हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से जवाब तलब किया है। सितंबर 2021 में यह प्रोजेक्ट एनएचएआई ने अग्रवाल ग्लोबल इन्फ्राटेक प्रा. लि. और ज्वाइंट स्टॉक कम्पनी इंडस्ट्री एसोसिएशन को सौंपा था, लेकिन अभी तक कार्य अधूरा है।
इस देरी और आम जनता को हो रही परेशानियों को लेकर एपीएमसी काटोल के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान संचालक दिनेश ठाकरे समेत अन्य याचिकाकर्ताओं ने जनहित याचिका दायर की थी। गुरुवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को निर्देश दिया कि वे बताएं, आखिर यह 48 किमी का लंबा स्ट्रेच कब तक पूरा किया जाएगा। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता महेश धात्रक और राज्य सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील देवेन चौहान ने पक्ष रखा।
फौजदारी मामला दर्ज क्यों न किया जाए?
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि ऐसी लापरवाही होती है, तो संबंधितों के खिलाफ फौजदारी मामले दर्ज किए जा सकते हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि कलमेश्वर और काटोल तहसील में हुई दुर्घटनाओं का विवरण प्रस्तुत किया जाए। गुरुवार को अधिवक्ता चौहान ने यह जानकारी कोर्ट के समक्ष रखी। इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि कार्य में गंभीर लापरवाही बरतने पर एनएचएआई अधिकारियों और ठेकेदार कंपनियों पर फौजदारी मामला क्यों न दर्ज किया जाए।
कोर्ट ने यह भी बताया कि ठेकेदार कंपनी को 30 मार्च 2021 को कार्यादेश जारी हुआ था और प्रोजेक्ट की समयसीमा 28 अक्टूबर 2023 थी, लेकिन अब तक कार्य पूरा नहीं हुआ है। इसके चलते पिछले पांच वर्षों से यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है।
कोर्ट ने जताई नाराजगी
हाई कोर्ट ने पूरे मामले पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जनता के हितों की रक्षा के लिए लोगों को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है। यह प्रतीत होता है कि NH-357J नागपुर-काटोल सेक्शन की परियोजना को तार्किक अंजाम तक नहीं पहुंचाया गया है। कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में यह भी निर्देश दिया था कि सड़क पर रेडियम बोर्ड और डायवर्जन साइनबोर्ड लगाने व उनके रखरखाव के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।