Published On : Wed, May 16th, 2018

नागपुर की कृषि उपज मंडी “APMC” में चांदी काट रहे दलाल, किसान हुए बेहाल

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नागपुर:‘एपीएमसी’ अर्थात कृषि उत्पन्न बाजार समिति. इस समिति का गठन किसानों द्वारा पैदा की गई फसलों की बिक्री के लिए किया गया था. राज्य में अमूमन नागपुर छोड़ कर सभी जगह ऐसा ही होता हैं लेकिन नागपुर जिले के कलमना में किसानों का जमकर शोषण हो रहा है. सूत्र बताते हैं कि कलमना के सफेपोश दलाल गरीब किसानो पर आर्थिक रूप से बेतहाशा बोझ लाद रहे हैं. इस बाजार में यूं तो नियमानुसार खेती में उत्पन्न माल सीधे बिक्री के लिए आना चाहिए लेकिन इसे तरजीह न देते हुए एपीएमसी के तथाकथित संचालक ‘फिनिश्ड गुड्स’ यानी तैयार माल की खरीदी बिक्री के लिए कलमना एपीएमसी का इस्तेमाल कर रहे हैं.

चुनिंदा अनाजों का बाजार
कलमना एपीएमसी में मुख्यतः गेहूं,चावल,सोयाबीन,चना,तुअर की खरीदी बिक्री होती हैं. सब्जियां स्थानीय क्षेत्रों और पडोसी राज्य के जिलों से आती हैं. खासकर मिर्ची आंध्रप्रदेश से आती हैं. स्थानीय माफियाओं के कारण किसानों को अपना माल (खेती में उत्पन्न होने के बाद सीधा बिना किसी पोलिश के ) खुले में या सड़क पर रखने पर मजबूर होना पड़ता है. एपीएमसी परिसर में रखे होने के बावजूद ख़राब और चोरी होने की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता हैं. किसानों का माल चोरी करने में स्थानीय दलाल अग्रणी होते हैं. जिसका किसान कुछ नहीं बिगाड़ नहीं सकते हैं.यह सिलसिला वर्षों से जारी हैं.

उद्देश्य से भटका एपीएमसी
जब तक द्वारका प्रसाद काकाणी ने एपीएमसी का कार्यभार संभाला तब तक किसान खुशहाल थे,जब से सफेदपोश दलाल सक्रिय हुए एपीएमसी का उद्देश्य से भटक गया.

नीलामी से किसान नुकसान में
एपीएमसी में रोजाना किसानों द्वारा सीधा खेत से माल लाकर बेचना अनिवार्य होने से सीजन दर सीजन किसान अपना माल लेकर आते हैं. आते सुबह में हैं लेकिन इसकी नीलामी दोपहर १२ बजे के आसपास शुरू होती हैं. नीलामी प्रक्रिया एपीएमसी करती हैं.कुछ विशेष माल के दलाल/व्यापारी रिंग बनाकर बिना नीलामी करवाए खरीद लेते हैं.

अड़तिया कर देते हैं मजबूर
नीलामी प्रक्रिया से किसानों को नुकसान होता हैं. इनका शोषण करने वालों में अड़तिया (लाइसेंसी दलाल) सबसे आगे रहता है. वे किसानों से मनमाना २ से ७% कमीशन वसूलने के साथ ही अपने दुकान रूपी गोदाम में माल रखने के लिए उनसे किराया भी वसूलते हैं. जबकि इनका दुकान रूपी गोदाम काफी छोटा होता हैं,उसमें २५% या उससे भी कम माल आता हैं और शेष माल अड़तिया (लाइसेंसी दलाल) दुकान के बाहर खुले में सड़क पर रखते हैं. माल की दशा देख किसान औने-पौने दाम में माल बेचने पर मजबूर हो जाता हैं.

किसान बाजार भाव बढ़ने की राह तकने के लिए अड़तिया (लाइसेंसी दलाल) के पास माल जमा कर देता हैं और इन जमा माल की कीमत का आधा या ६०% राशि अड़तिया (लाइसेंसी दलाल) से लेकर अपने कामकाज निपटाता आया हैं.इसके एवज में किसान माल रखने का किराया और लिए गए पैसे पर सालाना ३६% के आसपास ब्याज भी देने को मजबूर होता रहा हैं.


एपीएमसी का नहीं हैं शीतगृह
एपीएमसी ने जिले के चुनिंदा कोल्ड स्टोरेज के व्यवसायी को समर्थन देते हुए खुद का कोल्ड स्टोरेज का निर्माण करने पर कोई जोर नहीं दिया. इसका नतीजा किसानों, व्यवपारियों को अपना माल सुरक्षित रखने के लिए एपीएमसी के बाहर कोल्ड स्टोरेज का उपयोग करना पड़ता हैं. कोल्ड स्टोरेज वालों की मोनोपोली होने के कारण किसानों और व्यापारियों का शोषण हो रहा हैं. दूसरी ओर एपीएमसी से कोल्ड स्टोरेज तक माल ले जाने के लिए एपीएमसी के माफिया व्यापारियों व किसानों से ‘अग्रिम शेष’ की वसूली करते हैं. फिर व्यापारियों व किसानों को माल थोड़ा-थोड़ा बेचने के लिए एपीएमसी लाना और बेचने के लिए माल के हिसाब से ‘शेष’ चुकाना पड़ता हैं. जब सम्पूर्ण माल की बिक्री हो गई तो एपीएमसी में जमा की ‘अग्रिम शेष’ वापसी के लिए आवेदन करना पड़ता हैं,एपीएमसी साल-सालभर भुगतान नहीं करता हैं. एपीएमसी माफियाओं ने इस अनिवार्यता से मिर्ची के व्यापारियों को छूट दे रखी हैं.

एपीएमसी द्वार पर वसूली
नीलामी में भाग न लेने वाले किसानों और व्यापारियों के माल को बिना शेष चुकता किये ले जाने के लिए प्रति व्यवहार तय राशि चुकानी होती हैं.परिसर से बाहर जाने के लिए २ मार्ग शुरू हैं.इस शेष की चोरी से एपीएमसी को नुकसान और इस चोरी में लिप्त मजे काट रहे हैं.

फलों में १७% का नुकसान उठा रहे किसान
फलों के उत्पादक किसानों को एपीएमसी के दलाल ७% कमीशन और १०% घट (माल बिक्री हेतु सुबह-सुबह या फिर एक रात पहले आया और सौदा तय होने के बाद माल को सूखा दर्शाकर) काट नियमित लूट रहे हैं. फल जिले और अन्य राज्यों सह जिलों से शहर में बिक्री हेतु वहां के किसान/व्यापारी द्वारा लाया जाता हैं.

मवेशियों की खरीदी बिक्री पर शेष की वसूली
कलमना एपीएमसी में मवेशियों की खरीदी बिक्री की व्यवस्था हैं, इसके एवज में एपीएमसी शेष की वसूली प्रमुखता से करती और कहती हैं कि यह भी खेती काहिस्सा है.

माल विदेश का और शेष वसूल रही एपीएमसी
जिले और शहर में बिक्री के लिए कुछ अनाज विदेशों एवं देश के अन्य राज्यों से नागपुर लाए जाते हैं. इन उत्पादों से एपीएमसी का कोई लेना-देना नहीं। एपीएमसी का गठन खेत से सीधे माल बिक्री हेतु किया गया है लेकिन इसके बावजूद एपीएमसी माफिया अन्य राज्यों और विदेशी अनाजों पर शेष वसूल रहे हैं. अमरावती मंडी में शेश चुकता करने के बाद नागपुर बिक्री हेतु आने वाले माल पर कलमना एपीएमसी भी शेश वसूल रही हैं। अर्थात एक ही माल राज्य के अलग-अलग मंडियों में अलग-अलग शेश वसूली अभियान जारी हैं.जबकि ‘सिंगल टाइम शेष’ होना चाहिए.

माफियाओं की वक्र दृष्टि एपीएमसी की सम्पत्तियों पर
कलमना एपीएमसी में सब्जी, फल, अनाज, मवेशी आदि खरीदी-बिक्री हेतु बड़ी व्यवस्था हैं.इन दुकान रूपी जगहों को अधिकाधिक हथियाने और मुँह-माँगे दामों में बिक्री हेतु माफिया सक्रिय हैं. पहले इस जगह के दुकाने बाजार भाव का २५% दर में मिल जाया करता था. तब ज्यादा से ज्यादा दुकान हथियाने के लिए अपने ही परिजनों के लाम कई लाइसेंस बना कर हथियाया जाता था. आज यही दुकान बाजार भाव का आधा में एपीएमसी बेच रही.व्यापारी,दलाल आदि के लिए लाभप्रद सौदा होने से माफिया इस ओर कुछ ज्यादा ही सक्रिय हैं. एपीएमसी पर प्रशासक होने से दाल पहले के बनस्पत इस मामले में कम और ज्यादा देर में गल रही हैं.