Published On : Mon, Feb 26th, 2018

लाली व फाली का व्यापारिक गढ़ है नागपुर

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नागपुर: सड़ी और अच्छी सुपारी को व्यापारिक भाषा में लाली व फाली से सम्बोधित किया जाता हैं. इस सुपारी कारोबार का देश का सबसे बड़ा ‘हब’ नागपुर हैं. जहाँ वैध दर्शाकर अवैध रूप से केंद्रीय और राज्य स्तरीय प्रशासन को जेब में रख एवं शहर के बाहरी इलाकों के गोदामों से गंतव्य स्थानों तक पहुंचाया जाता है. उक्त व्यवसाय का संचालन मध्य नागपुर के मसकासाथ से होता है.

मसकासाथ स्थित नाम न बताने के शर्त पर एक सुपारी व्यापारी ने जानकरी दी कि सुपारी कारोबार का एशिया का सबसे बड़ा हब नागपुर है. वैसे सुपारी का उत्पादन इंडोनेशिया में होता है. भारत में आयात करने के लिए उसकी दर के साथ आयात शुल्क तगड़ी होने के कारण सीधी खरीदी बहुत कम होती है. भारत में २३०० रुपए प्रति टन व इसके ऊपर १०६% आयात शुल्क अदा करने के बाद ही लाने और कारोबार की अनुमति है.

उक्त भाव का तोड़ निकालते हुए नागपुर से राज्य भर में सुपारी का व्यापार करने वाले ‘सार्क देशों’ के लिए व्यापारिक शर्तों का इस्तेमाल करते हुए देश में सुपारी का आयात हो रहा है. ‘सार्क देशों’ के मध्य समझौते के अनुसार आपसी खरीदी १०% ही आयात शुल्क अदा करनी पड़ती है. ‘सार्क’ देशों में भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकि स्तान, नेपाल, भूटान, बर्मा आदि का समावेश है.

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उक्त व्यापारी के अनुसार नागपुरी व्यापारी इंडोनेशिया से सड़ी(लाली) व अच्छी(फाली) सुपारी खरीदकर बर्मा, बांग्लादेश व श्रीलंका भेजते हैं. फिर यहां पर सुपारी का छिलका उतर कर पुनः पैकिंग कर उसका ‘ओरिजन’ बदल कर उसका प्रमाणपत्र प्राप्त कर भारत लाते हैं.

फिर बर्मा से मणिपुर व बांग्लादेश से पैट्रापोल और श्रीलंका से टूटीकोरण व मुंबई बंदरगाह सुपारी का ‘स्टॉक’ पहुंचता है. फिर उक्त तीनों स्थलों से भारत के कोने-कोने में नागपुरी व्यापारियों के इशारे पर ‘स्टॉक’ पहुंचाया जाता है.

मुंबई बंदरगाह से नागपुर के गोदामों में सुपारी लाने के लिए बोगस वैट नंबर डालकर राजस्थान के नागौर के नाम से सुपारी का स्टॉक लेकर परिवहन किया जाता है और नागपुर में खाली की जाती है. सुपारी का परिवहन अधिकतर रात में होता है.

सड़ी(लाली) सुपारी का उपयोग गुटका पान मसाला निर्माण में और अच्छी(फाली) सुपारी पानठेलों में उपयोग किया जाता है. नागपुर में हज़ारों की संख्या में चना अर्थात सुपारी के टुकड़े करने की फैक्ट्रियां हैं. रोजाना एक फैक्ट्री में १० से २० बोरे सुपारी के टुकड़े किए जाते हैं.

विदेश में सड़ी सुपारी की खरीदी-बिक्री-इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध है. वहीं दूसरी ओर गुटके के लिए सड़ी सुपारी का इस्तेमाल किया जाता है, उनके ट्रांसपोर्टर तय होता है. जो खुद की गैरेंटी पर गुटके के निर्माताओं को उनकी मांग के अनुरूप सड़ी सुपारियों का स्टॉक पहुंचाते हैं. गुटखा कारखाने उत्तरप्रदेश, हरियाणा, उत्तरांचल में हैं जिन्हें सुपारी का स्टॉक नागपुर से पूर्ति की जाती है.

सुपारी के व्यवसाय में केंद्र सरकार की राजस्व ख़ुफ़िया निदेशालय (डीआरआई), पुलिस विभाग, आरटीओ(बॉर्डर चेक पोस्ट), बिक्री कर विभाग, राष्ट्रीय व राज्य महामार्ग पुलिस आदि का महत्वपूर्ण सहयोग रहता है. नागपुर जिले में पारडी, कलमना, वड़धामना, कामठी मार्ग सहित गोदामों में लाली-फाली का ‘स्टॉक’ किया जाता है.

हाल ही में ‘डीआरआई’ ने मुंबई में छापा मारा, जिसमें बड़ी मछली पकड़ी गई. नागपुर में कलीवाला, गोयल जैसे एक दर्जन से अधिक दिग्गज व्यापारी हैं, जो मसकासाथ से व्यापर करते हैं. स्टॉक के लिए या तो खुद का या फिर किसी से किराए पर गोदाम लेकर काम चला रहे हैं.

उल्लेखनीय यह है कि राजस्व ख़ुफ़िया निदेशालय (डीआरआई) का नागपुर स्थित सीजीओ काम्प्लेक्स में विभागीय कार्यालय है. राज्य के मुख्यमंत्री व गृहमंत्री समेत केंद्रीय परिवहन मंत्री भी नागपुर के हैं. बावजूद इसके देश का राजस्व चोरी कर नागपुरी सुपारी के माफिया सम्पूर्ण देश में व्यापार कर रहे हैं और सड़ी सुपारी का शौक लगाकर देशवासियों को मुख संबंधी रोग के ख़तरों में झोंक रहे हैं. उक्त केंद्रीय और स्थानीय विभाग ने संयुक्त रूप से छापामार कार्रवाई की तो शहर के बाहरी भागों में खासकर पारडी, कलमना, वड़धामना इला के में सैकड़ों ट्रक सड़ी(लाली) व अच्छी(फाली) सुपारी पकड़ी जा सकती हैं.

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