नागपुर:
दक्षिण नागपुर विधान सभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार एवं पूर्व मंत्री सतीश चतुर्वेदी को एक बार फिर करारी हार का सामना करना पड़ा है जिससे अब उनके राजनीतिक अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है।
पिछले विधान सभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी कृष्णा खोपड़े ने पूर्व नागपुर में तो इस बार भी भाजपा के सुधाकर कोहले ने दक्षिण नागपुर में सतीश बाबू को लम्बे अंतर से पटकनी दी। सूत्र बताते हैं की कार्यकर्ताओ को तरजीह न देना ही इसकी बड़ी वजह है। जानकार मानते हैं कि एक समय पर चतुर्वेदी का अति आत्मविश्वास ही उनके राजनैतिक पतन का कारण बना।
दक्षिण विधानसभा में इस बार चुनाव में कांग्रेस से सतीश चतुर्वेदी, शिव सेना से किरण पांडव, निर्दलीय शेखर सावरबांधे, एनसीपी से दीनानाथ पडोले मुक़ाबले में थे। उम्मीदवारों के चयन के दौरान भाजपा ने आधा दर्ज़न इच्छुकों को दरकिनार कर नगरसेवक सुधाकर कोहले को भाजपा उम्मीदवारी दी। बेशक सुधाकर ने किसी को खुश भी नहीं किया। इसके बावजूद महापौर प्रवीण डटके ने खंभ ठोक दावा किया था कि शहर के सभी सीटें निश्चित जीतेंगे और यह बात सच साबित हुई।
सुधाकर की जीत के पीछे की वजह साफ थी कि लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार नितिन गडकरी को सिर्फ दक्षिण नागपुर से 73000 की बढ़त मिली थी। इस बढ़त को भेद पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था।
इस हार के बाद सतीश बाबू को राजनीतिक जीवन से सन्यास ले लेना चाहिए।इनके साथ विडम्बना यह भी है कि बाबू ने अपने राजनैतिक जीवन में कोई उत्तराधिकारी नहीं बनाये।
द्वारा:-राजीव रंजन कुशवाहा