Published On : Tue, Apr 7th, 2020

वाह रे सिस्टम : माता-पिता ने यात्रा की , लेकिन क्वारेंटाइन में बेटी को ले गए

नागपुर – कोरोना को लेकर पुरे देश में डर का माहौल है. लोग इस संकट की घडी में घरो में रहकर अपनी सरकार का साथ दे रहे है. लेकिन सरकार और प्रशासन भी क्या इतनी ही गंभीरता से इससे लड़ रहा है. यह सवाल इस घटना से उठ रहे है. जहां एक लड़की के माता पिता ने वृंदावन और दिल्ली की रेल यात्रा की और पुलिस प्रशासन की ओर से उसके माता पिता को छोड़कर उनकी बेटी जो लॉकडाउन होने के बाद घर से ही ऑफिस का काम कर रही थी. उसे ही क्वारंटाइन के लिए ले जाया गया. हमारी ‘ नागपुर टुडे ‘ की संपादक सुनीता मुदलियार से उस लड़की ने बात की और शुरू से लेकर आखरी तक पूरी घटना की जानकारी दी. जया (बदला गया नाम) अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ उत्तर नागपुर में रहती है . माँ 70 साल की है और पिता 80 साल के हैं . अपने 80 वें जन्मदिन के मौके पर वे अपने एक सपने को पूरा करना चाहते थे की वे अपनी पत्नी को मथुरा के पास वृंदावन ले जाएं . उन्होंने 14 मार्च से आगे के हफ्ते की रेलवे टिकट बुक की थी.

कोवीड-19 के लिए लोकल, राज्य और केंद्र सरकार मार्च के तीसरे हफ्ते में तक कोवीड-19 के नियंत्रण के बारे में अधिक सक्रिय हुए. इस दौरान ट्रेनें चल रही थीं, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी जारी थीं. इसलिए जया के माता-पिता 14 तारीख को मथुरा के लिए रवाना हो गए . मथुरा से, वे सड़क मार्ग से वृंदावन गए, जहां वे कुछ दिनों तक रहे.

उनकी वापसी 18 मार्च दिल्ली से नागपुर तक थी . इसलिए वे ट्रेन से कुछ घंटे पहले दिल्ली पहुंचे, दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 2 घंटे इंतजार किया और नागपुर ट्रेन में सवार हो गए . वे 19 तारीख को घर वापस आ गए. .

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जया, एक इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारक हैं और निजी क्षेत्र में एक कार्यकारी के रूप में काम करती हैं, स्टेट लॉकडाउन के कारण घर से काम कर रही थीं . कोरोना की जागरूगता के कारण जया चिंतित थी कि उसके माता-पिता उत्तर भारत की यात्रा से लौटे थे.

इसके बाद जया उन्हें अपनी कार से मेयो अस्पताल लेकर गई, लेकिन वे दोनों थे .

ठीक 14 दिन बाद, 2 अप्रैल को, उसके पिता को पांचपावली पुलिस स्टेशन से कॉल आया. उन्होंने फ़ोन पर कहा की हमारे रिकॉर्ड के अनुसार, इस फोन के मालिक ने हाल ही में दिल्ली की यात्रा की है . उसे तुरंत एमएनसी क्लिनिक को रिपोर्ट करना होगा.

यह सुनकर उसके पिता चिंतित हो गए तब उन्हें याद आया कि उनकी बेटी ने आठ साल पहले उनके लिए सिम और फोन खरीदा था, और तकनीकी रूप से यह उनके नाम पर था . हालांकि उनका अपना सिम भी है . क्योकि वे परिवार के एकमात्र कामकाजी सदस्य है और सभी बिलों का भुगतान करते है, इसलिए यह सिम उनके नाम पर था.

जया के पिता ने पुलिस अधिकारी को यह सब समझाया और उन्हें बताया कि उनकी बेटी नहीं, बल्कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने यात्रा की थी और वे परीक्षण के लिए डॉक्टरों से मिलने जाने के लिए तैयार है. पुलिस ने कहा की हमारी लिस्ट में आपकी बेटी का नाम है. उसे क्वारंटाइन करने लेकर जाना होगा .

इसके बाद जया परेशान हो गई. जिसके बाद उसने योजना बनाई कि वे तीनों एक साथ क्लिनिक जाएंगे . लेकिन उसके पिता गलतफहमी को दूर करने के लिए पैदल ही क्लिनिक के लिए रवाना हो गए. उन्होंने डॉक्टर और स्वास्थ्य अधिकारियों को फिर से पूरी स्थिति बताई . लेकिन उन्होंने भी बेटी को देखने की जिद की . जिसके बाद जया को रवि भवन जाने के लिए कहा गया और कहां गया की मामले को सुलझा लिया जाएगा . जिसके लिए उसे कुछ घंटों के लिए इंतजार करना पड़ सकता है.

इसलिए जया ने अपने पिता को घर छोड़ दिया, और अपने साथ लैपटॉप ले लिया ताकि वहां से काम किया जा सके. वहां पर डॉक्टरों में भी बहस चल रही थी की जब इस लड़की ने घर नहीं छोड़ा तो इसमें सिम्प्टम कैसे होंगे . आखिरकार उन्होंने निश्चय किया की उसे कोरोना टेस्टिंग के लिए रविभवन में रखा जाए. जया इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थी. क्योकि वह कपडे लेकर नहीं आयी थी. इसके साथ ही उसे अपने माता पिता की चिंता थी,क्योकि वो घर पर अकेले थे. जिसके बाद एक रिश्तेदार ने जया की बैग उसके घर से लाकर दी.

रविभवन में जया के साथ कुछ और भी लोग थे. जिसमे से केवल 5 लोगों का ही टेस्ट किया गया था. जिसकी रिपोर्ट 3 से 4 दिन के बाद आनेवाली थी. यहां जया को बताया गया की करीब 14 दिनों तक उसे यहां रहना होगा . जया वहां अन्य लोगों के साथ रह रही है. जिसमे से 70 लोग संदिग्ध है.

इन सबके बीच जया के माता पिता उसके लिए काफी चिंतित है. क्योकि वही उनका इकलौता सहारा है.

कुछ तथ्यों पर विचार करना लाजमी है, उसके पिता वह सिमकार्ड 8 साल से यूज कर रहे थे और उनके पास दिल्ली,वृन्दावन के रेल टिकट भी मौजूद थे. बावजूद इसके अधिकारियो ने यह क्यों नहीं देखे.

जया ने ‘ नागपुर टुडे ‘ की संपादक सुनीता मुदलियार से फोन पर बात करते हुए कहा की हम शिक्षित हैं, जिम्मेदार नागरिक है. हम इस बिमारी को नियंत्रण में लाने के लिए अपने डॉक्टरों, हमारी सरकार के साथ सहयोग करना चाहते हैं . मेरे माता-पिता के लौटने को लगभग 20 दिन हो चुके हैं . भगवान का शुक्र है कि वे दोनों ठीक हैं .लेकिन अगर उनमें से एक भी अगर संक्रमित हो गया तो क्या होगा? ”

इस दौरान जया ने अंतिम सवाल किया की .इस धोखे से किसका फायदा होगा ? यदि इस तरह हमारा सिस्टम काम करता है , तो मुझे वास्तव में हमारे देश, हमारे लोगों के लिए डर है.

अंत में जया ने कहा की ‘ भगवान् हम सभी की मदद करे ‘

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