Published On : Mon, Dec 1st, 2014

चंद्रपुर : अच्छे लेखक बनने सृजनशीलता आवश्यक


स्व. केलकर व कुलकर्णी की स्मृति में पुस्तक विमोचन समारोह में ल.त्र्यं. जोशी ने बताये गुर

Writer program in chandrapur
चंद्रपुर।
चंद्रपुर का देश में जैसी औद्योगिक जिले के रूप में पहचान बनी हुई है, वैसे ही साहित्य व सांस्कृतिक क्षेत्र में भी जिले ने अपना दबदबा बना लिया है. अच्छे लेखक बनना है तो उनमें सृजनशीलता होना जरूरी है. समाज में होने वाली अच्छी-बुरी घटनाओं की छवि लेखकों के लेखन में दिखती है. प्राचीन काल में भाऊसाहेब माडखोलकर, मा.गो. वैद्य जैसे साहित्य क्षेत्र से आये हुए पत्रकार थे, परंतु वर्तमान में उनकी अफवाह है. कई लोगों की ऐसी गलतफहमी है कि संपादक लेखक होते हैं. दोनों ही क्षेत्र में ऐसा भेद है. अपने मन की भावना, विचार, कलम के माध्यम से कार्य को उतारना व समाज में उसके माध्यम से बदलाव लाने के लिए पुस्तक रूपी मंच की जरूरत है. उसी से साहित्य का निर्माण होता है. उक्त आशय के माध्यम से साहित्य की परिभाषा मराठी दैनिक लोकशाही वार्ता के मुख्य सम्पादक लक्ष्मणराव जोशी ने दी है.

वे आई.एम.ए. सभागृह, गंजवार्ड में रविवार को वरिष्ठ साहित्यकार मदन पुराणिक व मोहन बा. देशपांडे के कथा, कविता व लेख संग्रह के विमोचन करने के बाद उपस्थितों को सम्बोधित कर रहे थे. अवसर पर वरिष्ठ शल्य चिकित्सक व साहित्यकार डॉ. शरदचंद्र सालफले, वरिष्ठ पत्रकार विनोद देशमुख व तरुण भारत के कार्यकारी संपादक सुनील कुहीकर प्रमुखता से उपस्थित थे.

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उन्होंने आगे कहा कि इस कार्यक्रम में दोनों लेखकों के एक साथ 6 पुस्तकों का विमोचन हमारे हाथों कर छक्का मारने जैसे है. इसके लिए उनके योगदान को महिमा मण्डित करने की जरूरी है. यदि हमें उनके विचारों द्वारा देश में परिवर्तन लाना हो तो उनके कृतियों को आधार बनाना होगा. उसका उदाहरण देते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान से देश के आम जनता से उद्योगपति तक सभी का सहयोग का जिक्र किया. इसमें कई लोगों ने स्वच्छता के नाम पर केवल फोटो निकलवाने के लिए स्वच्छता किया और कइयों ने प्रत्यक्ष रूप से अमल में लाया. इस लिहाज से मोदी के विचार यदि सही हैं तो उसे पूरा करने की आवश्यकता है.

वहीं वरिष्ठ पत्रकार विनोद देशमुख ने मदन धनकर और उनके कॉलेज के जीवनकाल के किस्से सुनाते हुए उपस्थितों को मनोरंजन किया. सुनील कुहीकर ने कहा कि जो व्यक्ति नाम से बड़ा होता है उनके काम भी उसी आधार पर हो ऐसा ही नहीं, कभी ऐसा भी हो जाता है कि जो छोटा व्यक्ति होता है, उसके हाथों से भी बड़ी चीजें हो जाती हैं. समाज में हमेशा होने वाली चीजें सिखाती हैं, उससे अपने राज सामने आते हैं. मनुष्य सिर्फ नाम से ही बड़े न हो बल्कि उनके कार्य, समाज के प्रति उनके दायित्व उन्हें बड़ा बनाते हैं. प्रत्येक की अच्छी बातें लेकर उन्हें समाज में भी बांटनी चाहिए, उससे जो आनन्द मिलेगा, वह बहुत बड़ा है.

डॉ. सालफले ने दोनों लेखकों को चंद्रपुर के मदन-मोहन की जोड़ी निरुपित करते हुए आशा व्यक्त की है कि उपस्थित सभी आने वाले समय में और अधिक साहित्य का निर्माण करेंगे. अपने शानदार संचालन से चंद्रशेखर वाडेगावकर ने कार्यक्रम में जान फूंक दी. सरस्वती स्तवन व वंदना मनश्री देशपांडे ने किया. आभार कल्याणी देशपांडे ने माना. कार्यक्रम में शहर के गणमान्य नागरिक अधिसंख्य उपस्थित थे.

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